कैसे अफसरों और नेताओं को गोली दे गये चिरायु अस्पताल के संचालक डॉ अजय गोयनका?


 शिवराज के  वरदहस्त से  चिरायु मेडिकल कॉलेज की पर्यावरणीय कमेटी की रिपोर्ट सिया की वेब साईट  से गायब

 खबर नेशन / Khabar Nation
अक्सर वल्लभ भवन के पोर्च और मंत्रियों अफसरों के बंगलों में धड़धड़ाते एक कार आकर रूकती है ।  एक डॉक्टर इस कार से उतरकर तेजी से इन भवनों के कमरों में विराजे रहनुमाओं के बगलगीर होकर इलाज कर जाता है।  इलाज की गोली भी कुछ देर में अफसर राजनेताओं और मंत्री के बंगले या दफ्तर के कक्ष पर पहुंच जाती है ।  जी हां बात भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज संचालित करने वाले डॉ अजय गोयनका की है इन से इलाज कराने मुख्यमंत्री मंत्री राजनेताओं और अफसरों के परिजन लालायित रहते हैं । क्योंकि पंच सितारा सुविधाओं की यह फीस नहीं लेते ।  हां यह एक अलहदा बात है कि यह किसी पर भी अपनी फीस नहीं छोड़ते है। इस बात का खुलासा भी स्वयं इन्होंने कुछ साल पूर्व मेरे ही सामने मेरे एक मित्र से किया था। जब मेरे मित्र के पिता चिरायु अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें बचाए जाने की कोई गुंजाइश डॉक्टरों को नजर नहीं आ रही थी। तब डॉ गोयनका उन्हें ढाढस बंधाते हुए समझा रहे थे कि परिवार के लोगों को खबर कर दें। मैं उन्हें कुछ दिन और अस्पताल में रख सकता हूं लेकिन देह को कष्ट देना उचित नहीं होगा ।  मुझे तो पैसा मिलना ही है । आज  मैं जिस से भी हाथ मिलाता हूं वही मुझे पैसा देकर जाता है । चाहे डायरेक्ट दे या इनडायरेक्ट । इसके बावजूद मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा इन्हें भगवान से कम मानने पर तैयार नहीं ।कांग्रेस  की सरकार हो या भाजपा की डॉ गोयनका के रसूख में कोई कमी नहीं आई  I पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार के मंत्री हो या  पूर्व मुख्य मंत्री के चिरंजीव एवं तत्कालीन कांग्रेसी  नेता प्रतिपक्ष के सभी के  खास दरबारियों में शुमार  थे  डॉ साहब I मुख्यमंत्री शिवराज तो सरकारी सुविधाओं को त्याग कर चिरायु इलाज कराने पहुंच गए। स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा तो 2 माह पूर्व एक कार्यक्रम में यह कह गए कि डॉक्टर मैं कहता था तुम्हारी मूर्ति लगेगी । तुमने ऐसा काम कर दिया । बात कोरोना संक्रमित के मरीजों की थी I कोरोना मरीजों के परिजनों ने उपचार में लापरवाही बरतने के कारण डॉ साहब को भीड़ ने घेर लिया था भला हो भोपाल पुलिस का जिसने भीड़ से डॉ साहब को पिटने से बचा लिया था इसके अतिरिक्त सागर से डेडिकेटेड कोरोना सेंटर चिरायु में सागर से उपचार हेतु लायी गयी  कोरोना पीड़ित महिला की मृत्यु के उपरांत महिला के पहने हुए गहने गायब होने का मामला भी पुलिस  प्रशासन के संज्ञान में परिजनों द्वारा लाया गया है I दो माह बाद ही वह बात भी सामने आ गई कि कैसे एक तालाब को हड़प लिया गया?
नेता और अफसर तो डॉ गोयनका की गोली खा गए मगर बारिश के बाद बड़े तालाब ने अपनी सीमा दिखला कर पोल पट्टी खोल दी। अब जब सिस्टम की लापरवाही उजागर हो ही गई है तो इसकी भी कोई एंटीबायोटिक डॉ गोयनका के पास होगी ही। जब इस एंटीबायोटिक की तलाश की गई तो मध्यप्रदेश में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने वाली संस्था सिया की वेबसाइट से चिरायु हास्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज के दस्तावेज में छेड़छाड़ करने की जानकारी सामने आई । वेबसाइट से सिया की तकनीक कमेटी  सीइक के द्वारा किये गए निरिक्षण की  रिपोर्ट गायब है । उल्लेखनीय है कि चिरायु मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल का निर्माण कार्य सिया से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के पूर्व आरंभ कर दिया गया था I चिरायु  प्रवंधन  का यह कृत्य पर्यावरण संरक्षण नियम 1984 की नियम 5 के उपनियम 3 के तहत जारी पर्यावरण प्रभाव निर्धारण नोतिफिकेशन के उल्लंघन की परिधि में आता है I सीऐक की बैठक के कार्यवाही विवरण में आवास एवं पर्यावरण विभाग को चिरायु मेडिकल के प्रबंधन के विरुद्ध  कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई थी I सिया के वेब साईट पर उपलब्ध पर्यावरण के नियमों के उलंघन करने वालों की सूचि में से   भी चिरायु मेडिकल एवं हॉस्पिटल का नाम आश्चर्यजनक रूप से नदारद होना भी कई संदेहों को देता है इसके अतिरिक्त सेएक के कार्यवाही विवरण में भी निरीक्षण प्रतिवेदन का कोई उल्लेख  की न होना भी मिनट्स में हेरा फेरी किये जाने का संकेत देरह है I   पर्यावरणीय सम्मति द्वारा चिरायु मेडिकल  के आवेदन के परीक्षण   के दौरान एक कमेटी ने साइट इंस्पेक्शन किया था । जिसमें नाले के किनारे नौ मीटर के क्षेत्र में प्लांटेशन , नाले के स्लोपिंग को दो फीट ऊंचा रखने, आठ फीट की टो वॉल बनाने, बॉउंड्रीवाल में वीप होल्स बनाने, सहित कई अन्य प्रमुख निर्देश दिए गए थे । चिरायु हास्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन सरकार ने दी थी लेकिन सरकारी विभागों ने शासकीय दस्तावेजों में इसे तालाब की भूमि के तौर पर चिंहित नहीं किया जिसको आधार बनाकर न्यायालय ने तालाब माने जानी संबधी एक याचिका में याचिकाकर्ता को दण्डित कर दिया। जब न्यायालय में यह प्रकरण चल रहा था तब के वर्षो में ऐसी वर्षा नहीं हुई जिससे यहां पानी भरने का पता चले। हाल ही के वर्षो में जब चिरायु अस्पताल परिसर में जलभराव हुआ तो सरकार की बड़ी खामी नजर आई। संलग्न वीडियो को यूट्यूब लिंक https://youtu.be/k2dS1zEOBIw   पर जाकर देखा जा सकता है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी विभागों ने उच्च राजनीतिक और प्रशासनिक दबाब में न्यायालय को वस्तुस्थिति से अवगत ही नहीं कराया  और कुछ तथ्य प्रस्तुत ही  नहीं किए ।  सूत्रों के अनुसार इसकी एक वजह राजनेताओं और अफसरों का चिरायु हास्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज से भारतीय  मुद्रा का आचमन करा कर आर्थिक तौर पर भी उपकृत रहना रहा ।

Share:


Related Articles


Leave a Comment