कांवड़ यात्रा में शामिल हुए भाजपा नेता डॉ. राजकुमार मालवीय

बारह ज्योर्तिलिंगो के स्थान पर मात्र नीलकंठेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही पुण्य प्राप्त होता है: डॉ. राजकुमार मालवीय

शिक्षाविद् जितेंद्र तमोलिया ने इछावर क्षेत्र की खुशहाली के लिए मां नर्मदा से अरदास की

डॉ. राजकुमार मालवीय ने तिलक, श्रीफल, अंगवस्त्र और भगवा गमछा पहनाकर कांवड़ियों को नीलकंठ के लिए प्रस्थान करवाया

खबर नेशन/ Khabar Nation

इछावर/सीहोर। इछावर क्षेत्र के शिवभक्त कांवड़िएं बिशनखेड़ी से नीलकंठ के लिए रवाना हुए। शिक्षाविद् एवं सरपंच प्रतिनिधि जितेंद्र तमोलिया ने कांवड़ियों को डीजे की धुन पर जुलूस निकालकर नीलकंठ के लिए प्रस्थान करवाया। उन्होंने कहा कि कांवड़िएं प्रतिवर्ष नीलकंठ घाट से नर्मदा मैया का जल लाकर शिवजी का अभिषेक करते हैं और हमारे गांव में खुशहाली, रौनक एवं भाईचारा बना रहता है। तमोलिया ने मां नर्मदा से अरदास करते हुए कहा कि हे मां नर्मदे इछावर क्षेत्र में खुशहाली बनाए रखना। वरिष्ठ समाजसेवी अनिल मालवीय पत्रकार ने शंकर भगवान को नर्मदा मैया के जल से अभिषेक करने के महत्व को बताते हुए कहा कि जलाभिषेक से शंकर भगवान प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल का पुण्य लाभ भक्तों को मिलता है। भारतीय जनता पार्टी झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यालय प्रभारी डॉ. राजकुमार मालवीय ने सभी कांवड़ियों को तिलक लगाकर, श्रीफल भेंट किया और अंगवस्त्र पहनाकर नीलकंठ के लिए प्रस्थान करवाया। वरिष्ठों का साफा बांधकर अभिनंदन किया गया। डॉ. मालवीय ने ग्रामीणों को जानकारी दी कि नसरुल्लागंज क्षेत्र के नीलकंठ गांव के पास नर्मदा नदी और कौशल्या नदी का संगम स्थल है, जिसे कौशल्यम् संगम कहा जाता है। यहां पर मंदिर में नीलकंठेश्वर महादेव भी विराजमान है। यहां मां नर्मदा एवं मां कौशल्या के तट पर स्वयं नीलकंठेश्वर महादेव प्रकट हुए थे। यहीं पर नर्मदा और कौशल्या नदी के संगम से ओम की आकृति बनती हुई नजर आती है, जिससे इस स्थान का महत्व बढ़ जाता हैं। नर्मदा- कौशल्या नदी के संगम पर बनने वाली ओम की आकृति नीलकंठेश्वर मंदिर से दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि नीलकंठ नर्मदा तट का महत्व इतना अधिक है कि 12 ज्योर्तिलिंगो के स्थान पर मात्र नीलकंठेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही पुण्य प्राप्त होता है। कौशल्यम् संगम पर मां पुण्यदायिनी मां नर्मदा ओमकार रूप में आज भी कल-कल करती बह रही है। जो भी श्रद्धालु शांत भाव से भगवान शिव-पार्वती व मां नर्मदा का स्मरण करता है, उन्हें स्वत: ही ओमकार रूपी गूंज सुनाई देती है। डॉ. राजकुमार मालवीय ने अपने वक्तव्य में नीलकंठेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व बताया। यहां पर त्रेता युग के समय दक्ष यज्ञ किए जाने के बारे में किंवदती है। उन्होंने बताया कि त्रेतायुग के समय राजा दक्ष ने भगवान शिव को अपमानित करने के लिए यहां दक्ष यज्ञ किया था। इस यज्ञ में उन्होंने सारे राजा-महाराजाओं को तो आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया था। राजा दक्ष ने कहा कि ससुर होने के बाद भी भगवान शिव ने मुझे अपमानित किया था। यज्ञ की खबर जब माता पार्वती को लगी तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ से कहा कि मेरे पिता राजा दक्ष कौशल्यम् संगम पर यज्ञ करा रहे हैं वहां चलना है। इस पर भगवान भोले ने कहा कि मैं बिना बुलाए कहीं नहीं जाता हूं। तुम्हें जाना है तो जाओ और नंदी को साथ ले जाओ। दक्ष यज्ञ में जब माता पार्वती पहुंची तो वहां देखा कि कौशल्यम् संगम पर पूरा कुटुंब परिवार एकत्रित था। तब माता पार्वती ने कहा कि भोलेनाथ यह मेरे साथ कैसा अन्याय है। तब से ही नीलकंठ महादेव मंदिर और इस नर्मदा तट का महत्व बढ़ गया। इछावर जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि एवं भाजपा किसान मोर्चा जिला महामंत्री शंकर जायसवाल ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कांवड़िएं नीलकंठ से नर्मदा मैया का जल लेकर आएंगे और भगवान भोलेनाथ का जल से अभिषेक करेंगे। भगवान शंकर के भक्त कांवड़िएं भक्ति में लीन होकर नाचते गाते हुए नीलकंठ के लिए रवाना हुए। नर्मदा मैया की जय, हर हर महादेव, बम-बम.. भोले भोले.., कौशल्या मैया की जय आदि जयकारों से पूरा ग्रामीण क्षेत्र गूंज उठा। इस अवसर पर महिलाओं, बुजुर्गों और ग्रामीणजनों ने उत्साह के साथ सभी कांवड़ियों को प्रस्थान करवाया।

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