कमलनाथ - शिवराज का अंतर

 गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन / Khabar Nation 

चुनावी दांव

मध्यप्रदेश के एक पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक ने अनोखा चुनावी दांव खेला है। उन्होंने अपनी अधिकांश संपति जो लगभग पच्चीस -तीस करोड़ की है बेचने का सौदा कर दिया है। कहने के लिए चुनाव फंड इकट्ठा कर रहे हैं। असल में दांव चुनावी युद्ध में बेटी को मैदान से हटाने के लिए खेला है। वैसे बता दें पूर्व सांसद जी के परिवार में जमकर युद्ध छिड़ा हुआ है। पूर्व सांसद की पत्नी अपने बेटे को आगे बढ़ा रही हैं। बेटी चुनावी मैदान में मेहनत के बल पर खूंटा गाड़ चुकी हैं और पूर्व सांसद जी की हसरतें फिर कुलांचे मार रही है। वैसे बता दें मालवा के ये नेताजी कांग्रेस से भाजपा होकर फिर कांग्रेस में आ गए हैं। टिकिट की लड़ाई तो रोचक रहेगी ही परिणाम भी रोचक रहेंगे भले ही टिकट कोई भी लाए।

पहले क्षत्रप अब जातियों के राजा

मध्यप्रदेश की राजनीति में पहले क्षत्रपों का बोलबाला हुआ करता था। कांग्रेस में शुक्ल बंधु, अर्जुन सिंह, सिंधिया, सुभाष यादव, कमलनाथ तो भाजपा में पटवा,जोशी,सारंग, अग्रवाल और राजमाता की तूती बोलती थी। अब दोनों ही दलों में जातियों के राजा मजबूत हो रहे हैं। तोमर,शिवराज,वी डी शर्मा, फग्गन, विजयवर्गीय, प्रहलाद अपने अपने स्तर पर जातियों को साधने के समीकरणों पर काम कर रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस थोड़ी तेज गति से काम कर रही है। दीपक जोशी को समझाने मुकेश नायक गये तो बैजनाथ यादव को लाने अरुण यादव को आगे किया गया।

कुलीनों का अनुशासन

कुलीनों के कुनबे की कलह लात ठूंसों में बदली तो गौड़ खानदान के चिराग को पद से हटा दिया। पर ऐसी ही अनुशासनहीनता पार्टी मुख्यालय पर हुई तो आला नेता भी चुप्पी साध गए। वह भी तब जब एक चपरासी नुमां कर्मचारी ने अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा लांघ दी हो। कार्रवाई ना होने की वजह कुछ नेताओं के राज उजागर होने के डर हैं।

मंत्री जी के मॉल में दो मौतों पर चुप्पी

मध्यप्रदेश के ताकतवर मंत्री के निर्माणाधीन मॉल में दो मजदूरों की दुर्घटना में मौत हो गई। शासन प्रशासन ने मामले को दबा दिया। दो माह होने को आए हैं रहस्यमई चुप्पी छाई हुई है। सुना है ऐन चुनाव के मौके पर विरोधियों द्वारा इस मसले को उठाए जाने की तैयारी की जा रही है। विरोधी भी पार्टी के भीतर के हैं बस तरीका अलग रहेगा।

कमलनाथ - शिवराज का अंतर

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चलो चलो का शिकार होकर पद गंवा बैठे पर उनके अंदाज में अंतर नहीं आया। एक वायरल वीडियो में वे किसी पत्रकार को हड़काते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जबलपुर में लाड़ली बहनों को सरकारी उपहार बैंक खातों में ट्रांसफर करने गए तो सहज व्यवहार सामने आया। कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इसी बीच धक्का-मुक्की में एक कैमरामैन का माइक टूट गया तो वे यह समझकर सॉरी बोल गए कि शायद उनके सुरक्षाकर्मी की वजह से टूटा है। इसी दौरान उक्त कैमरामैन ने कुछ कहा तो वे फिर से सॉरी कह बैठे।

वेटर के जामुन                                                                                                                                                                                                                                                                         शबरी के बेर की कहानी रामकथाओं में सुनी है। कुछ ऐसा ही वाकया मध्यप्रदेश की कटार वाली हिंदूवादी छवि की मंत्राणी का नजर आया। विभाग का काम खाना खिलाना है। इंदौर भोपाल मार्ग पर पर्यटन विभाग के हायवे ट्रीट पर मंत्राणी के लिए पेड़ के नीचे जामुन ढूंढता नजर आया।

 

 

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