कॉल-सेंटर से पशु-पालकों को मिलेगी घर पहुँच उपचार सुविधा

पशुपालन विभाग और बीएफआईएल के बीच एमओयू हस्ताक्षरित 
 

भोपाल। देश के सभी जिलों में पशु-पालकों को घर पहुँच उपचार एवं कृत्रिम गर्भाधान सुविधा उपलब्ध करवाने के लिये पशुपालन विभाग और बीएफआईएल (भारत फायनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड) कम्पनी के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य की उपस्थिति में विभाग की ओर से संचालक डॉ. आर.के. रोकड़े और बीएफआईएल की ओर से प्रबंध संचालक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम.आर. राव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। इस मौके पर विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केशरी और बीएफआईएल के स्वतंत्र निदेशक ज्यॉफ वॉली और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। उल्लेखनीय हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 12 मार्च को पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए पूरे प्रदेश में कॉल-सेंटर से घर पहुँच पशु उपचार सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये थे।
 

मंत्री आर्य ने बताया कि हस्तांतरित एमओयू के अंतर्गत पशुधन संजीवनी-1962 परियोजना शासन और बीएफआईएल द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित की जायेगी। पशुपालक टोल-फ्री नम्बर 1962 पर डॉयल कर बीमार पशु की जानकारी दे सकेंगे। चिकित्सकों की टीम घर पहुँचकर चिकित्सा सेवा मुहैंया करवाएगी। आर्य ने बताया कि कॉल-सेंटर का संचालन, मानव संसाधन, सर्वर एवं सॉफ्टवेयर की व्यवस्था बीएफआईएल द्वारा की जायेगी। विभाग कॉल-सेंटर के लिये आवश्यक अधोसंरचना, कम्प्यूटर हार्डवेयर, इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं टोल-फ्री नम्बर उपलब्ध कराएगा।
 

पाँच चरणों में होगा परियोजना का विस्तार : आर्य ने बताया कि परियोजना का पूरे प्रदेश में 5 चरणों में विस्तार होगा। प्रथम चरण 30 अप्रैल, 2018 तक, द्वितीय 25 मई, तृतीय 20 जून, चतुर्थ 20 जुलाई और अंतिम चरण 15 अगस्त, 2018 तक पूर्ण कर लिया जायेगा। पहले चार चरणों में 10-10 जिलों में और अंतिम चरण में 11 जिलों में परियोजना लागू की जायेगी।
 

पायलेट प्रोजेक्ट ने बचाई पशु-पालकों की 2.52 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति : आर्य ने बताया कि पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में कॉल-सेंटर रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज एवं बाड़ी विकासखण्ड और देवास जिले के कन्नौद एवं बागली विकासखण्ड में शुरू किया गया हैं। बीएफआईएल द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर में विभागीय आवश्यकताओं के अनुरूप उन्नयन करते हुए कृत्रिम गर्भाधान, तकनीकी अमले को बैकअप सुविधा आदि से जोड़ते हुए पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया हैं। परियोजना में 5 फरवरी से 15 मार्च, 2018 के बीच 4,811 बीमार पशुओं के उपचार के कॉल अटेंड किये गये। इनमें 721 पशु अत्यंत गंभीर हालत में थे, जिनको तत्काल उपचार सुविधा देकर प्राणों की रक्षा की गई। इससे पशु-पालकों की ढाई करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक क्षति बची।
 

आर्य ने बताया कि 4 विकासखण्डों में योजना ने अच्छे परिणाम दिये हैं। आशा हैं कि पूरे प्रदेश में लागू होने पर पशु स्वास्थ्य में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेगा। पशुधन, पशु उत्पादन और पशु स्वास्थ्य में प्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर होगा। कॉल-सेंटर पशुपालक की जानकारी दर्ज करने के बाद संबंधित क्षेत्र में कार्यरत पशु चिकित्सक और पैरावेट को एसएमएस और एप के माध्यम से जानकारी देकर समय-सीमा के भीतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
सभी गौ-भैंस वंशीय पशुओं की होगी यूआईडी टेगिंग : आर्य ने बताया कि प्रदेश के सभी गौ-भैंस वंशीय पशुओं के चिन्हांकन के लिये उनकी यूआईडी टेगिंग की जायेगी। कॉल-सेंटर के सॉफ्टवेयर को भी इस टेग नम्बर से जोड़ा जायेगा। इससे मात्र टेग नम्बर अंकित करने पर पशु एवं पशुपालक की जानकारी कॉल-सेंटर को स्वत: ही मिल जायेगी। इससे समय की बचत होने से बीमार पशु को त्वरित इलाज मिलेगा। (खबरनेशन / Khabarnation)

 

Share:


Related Articles


Leave a Comment