संस्कृत भाषा के व्यापक प्रसार से भारत की प्राचीन संस्कृति का होगा संरक्षण

भोपाल में हुआ राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन 
 

भोपाल। भोपाल में हुए राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में संस्कृत भाषा के विद्वानों का मत था कि संस्कृत भाषा के व्यापक प्रसार से ही सही मायनों में प्राचीन भारतीय संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता हैं। इसके लिये प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा प्रभावी नीति तैयार करने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में संस्कृत विद्यालयों के प्रतिभाशाली बच्चों को पुरूस्कृत किया गया।
 

सम्मेलन के विभिन्न सत्र में, क्षेत्रीय सहसंगठन मंत्री विद्या भारती, प्रो. निरंजन शर्मा, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान लखनऊ के प्रो. आजाद मिश्र, नई दिल्ली के प्रो. देवेन्द्र मिश्र, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. भगवतशरण शुक्ल और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मुंबई के प्रो. भारतभूषण मिश्र ने विचार रखे। सम्मेलन में डॉ. सम्पदानंद मिश्र पुंडुचेरी ने बताया कि उनके द्वारा संस्कृत भाषा के प्रसार के लिये 24 घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा हैं जिसे दुनिया के 124 देश में रूचि के साथ सुना जा रहा हैं।
 

सम्मेलन में प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी और संस्कृत विद्यवान मनमोहन उपाध्याय ने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा हैं। इसके विकास से छात्र अन्य विषयों का कुशलता पूर्वक अध्ययन कर सकेंगे। आयुक्त लोक शिक्षण नीरज दुबे ने संस्कृत को रोजगार के साथ जोड़े जाने पर बल दिया।
 

महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के निर्देशक पी.आर. तिवारी ने बताया कि भोपाल में सर्वसुविधा युक्त चार मंजिला नवीन भवन के लिये 8 करोड़ 38 लाख रूपये मंजूर किये गये हैं। इस भवन में 200 सीटर का ऑडीटोरियम, गेस्ट हाउस और कार्यालय की व्यवस्था हैं।
 

प्रदेश का पहला शासकीय माध्यमिक कन्या आवासीय संस्कृत विद्यालय भोपाल से प्रारंभ किये जाने की स्वीकृति प्राप्त हो गई हैं। जहाँ कक्षा 6 से 8 तक संस्कृत माध्यम में शिक्षा दी जायेगी। इस विद्यालय के साथ 90 सीटर छात्रावास, नि:शुल्क भोजन एवं समस्त सुविधाएं रहेगी। यहाँ छात्राएँ पारस्परिक एवं आधुनिक पद्धतियों के माध्यम से अध्ययन करेंगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में शिक्षण सत्र 2016-17 में 168 विद्यालय को सम्बद्धता प्रदान की गयी हैं। सम्मेलन में सांस्कृतिक संध्या में संस्कृत बैण्ड की प्रस्तुति हुई। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

Share:


Related Articles


Leave a Comment