हाईकोर्ट के फैसले से साबित हुआ- द्वेषपूर्ण था विधायक लोधी की बर्खास्तगी का निर्णयः राकेश सिंह
विधायक प्रहलाद लोधी को स्टे मिलने पर प्रदेश अध्यक्ष ने जताया हाईकोर्ट के प्रति आभार
खबर नेशन / Khabar Nation
भोपाल। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आज के आदेश ने यह साबित कर दिया कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लिया गया निर्णय राजनीतिक, द्वेषपूर्ण एवं अपरिपक्व था। इस निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि कांग्रेस की सरकार बहुमत हासिल कर ले, इसके लिए कांग्रेस किसी भी स्थिति तक जाने के लिए तैयार है। कांग्रेस ने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष का एक टूल के रूप में प्रयोग किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने गुरुवार को पार्टी विधायक श्री प्रहलाद लोधी की सजा पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कही।
विधायकों का अभिभावक होता है अध्यक्ष
प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने श्री लोधी के मामले में न तो राज्यपाल महोदय की अनुमति ली और न ही उन्हें माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाने का समय दिया और जल्दबाजी में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी। हमने उस समय भी कहा था कि विधानसभा की गरिमा के प्रति हमारे मन में पूरा सम्मान है, लेकिन इस तरह से निर्णय नहीं लिए जाते। हम आज फिर से कहते हैं कि हम विधानसभा और विधानसभा अध्यक्ष का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन इस तरह के निर्णयों से बचना चाहिए, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष किसी पार्टी का सदस्य नहीं होता। अध्यक्ष सभी विधायकों के अभिभावक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं।
बहाल होगी श्री लोधी की सदस्यता
श्री सिंह ने कहा कि हम माननीय उच्च न्यायलय के आभारी हैं कि वहां से हमें न्याय प्राप्त हुआ। चूंकि अब दण्डादेश पर ही स्टे हो गया है, इसलिए अब श्री लोधी की सदस्यता भी विधानसभा में यथावत रहने वाली है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार जब दण्डादेश पर स्टे हो जाए तो फिर विधायक की सदस्यता समाप्त नहीं हो सकती, वह यथावत ही रहेगी। आगे इसके मामले में माननीय उच्च न्यायालय से जो भी फैसला होगा, उसके आधार पर ही आगे के फैसले एवं निर्णय होंगे, लेकिन अभी उनकी सदस्यता यथावत रहेगी।
विधानसभा स्वयं करे उचित कार्रवाई
श्री राकेश सिंह ने कहा कि विधायक श्री लोधी की सदस्यता समाप्त किए जाने के बाद अभी निर्वाचन आयोग ने पवई विधानसभा सीट को रिक्त घोषित नहीं किया है। चूंकि सदस्यता समाप्ति का निर्णय जल्दबाजी और हड़बड़ी में लिया गया था, इसलिए माननीय उच्च न्यायालय के आज के फैसले के बाद विधानसभा के अधिकारीगण स्वयं इसके बारे में समीक्षा करें और उचित कार्रवाई करें। श्री सिंह ने कहा कि संविधान विशेषज्ञों से बात करने के बाद ही यह निश्चित हुआ है कि दण्डादेश पर स्टे हो जाने के बाद सदस्यता यथावत रहती है, चाहे फिर विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा विधायक की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया हो।