शिवराज सरकार ने किया विकास दर में भारी घोटाला
Khabar Nation
भोपाल
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पिछले 18 सालों में बड़े बड़े घोटाले किए। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ पर स्कैम और घोटाले न हुए हों। करोड़ों बच्चों का भविष्य बर्बाद करने वाला व्यापम घोटाला, पटवारी घोटाला, 43 लाख बच्चों की स्कूल ड्रेस का घोटाला, 50,000 फ़र्ज़ी शादी घोटाला, पोषण आहार घोटाला, किसानों के मुआवज़े में घोटाला, लगभग 250 से अधिक घोटाले हुए हैं — लेकिन अब जो घोटाला सामने आया है वो आपके होश उड़ा देगा क्योंकि शिवराज जी की सरकार ने तो मध्य प्रदेश की ग्रोथ रेट मतलब विकास दर के साथ ही घोटाला कर डाला। आँकड़े यह साफ़ तौर पर बताते हैं कि विकास दर में लगभग 2-2.5 लाख करोड़ का घोटाला हुआ है। आपका राजस्व बढ़ नहीं रहा, दो साल के कोविड को नज़रअंदाज़ कर विकास की दर बढ़ायी क्यों जा रही है? इसका एक कारण है - ज़्यादा विकास दिखाया तो ज़्यादा ऋण लिया।
फ़र्ज़ी विकास दर बढ़ायी और मध्य प्रदेश के विकास को ठेस पहुँचाई:
एक तरफ़ शिवराज सरकार यह बताती रही कि उसके कार्यकाल में हर तरफ़ प्रदेश प्रगति कर रहा है, उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है। और दूसरी ओर केंद्र सरकार का नीति आयोग बताता है कि मध्यप्रदेश के लगभग 35% लोग ग़रीबी रेखा के नीचे हैं।मध्य प्रदेश में नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। उज्ज्वला योजना गैस कनेक्शन उन लोगों को दिए गए जो ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं और ऐसे परिवारों की संख्या 82 लाख है। कृषि मंत्रालय की संसदीय समिति बताती है कि मध्यप्रदेश में किसान 55 रुपया प्रतिदिन कमाता है। अर्थात सारे स्वास्थ्य और सामाजिक सूचकांक ये बताते हैं कि प्रदेश को ग़रीबी की गर्त में धकेल दिया गया है, तो फिर आख़िर यह विकास दर किसके लिये और कहाँ बढ़ रही है!
आइए देखिए विकास दर के फ़र्ज़ीवाड़े के 4 प्रमाण
प्रमाण 1
मध्यप्रदेश में औसत छह वर्षों के बाद राज्य सकल घरेलू उत्पाद दोगुना हो जाता है।
मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद
Table 1
वर्ष प्रचलित भावों पर (करोड़ रु.)
2011 - 12 315562
2017 - 18 726338
2023 - 24 1513720
ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं।अगर आप देखें वित्तीय वर्ष 2011-2012 के छह वर्ष बाद वित्तीय वर्ष 2017-2018 में प्रदेश का GSDP लगभग दोगुना हो गया, इसी आधार पर 2017-2018 वित्तीय वर्ष के छह वर्ष बाद प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद मतलब GSDP लगभग 14.52 लाख करोड़ रुपये होना था मगर प्रदेश की भाजपा और केंद्र सरकार ने इससे उससे भी 50,000 करोड़ ज़्यादा लगभग 15 लाख करोड़ पार करा दिया। दलील यह दी गई कि ऐसा 15वें वित् आयोग के अनुमान के आधार पर किया गया। लेकिन असलियत यह है कि जब वित्त आयोग ने अनुमान लगाया था तब कोविड के दो साल का कहीं अतापता नहीं था - जिस दौरान अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी।
असलियत तो ये है कि मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में 2020-21 और 2021-22 में कोविड महामारी के प्रभाव ने अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात किया था।
मध्यप्रदेश की विकास दर तो -3.37% तक गिर गई थी. 2019-20 में प्रचलित भावों पर मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 937405 करोड़ रुपये था जो कि 2020-21 में घटकर 917555 करोड़ रुपये रह गया था। फिर यह कैसे संभव है कि छह साल बाद विकास दर दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। एक बात साफ़ है कि भाजपा सरकार ने 2 - 2.5 लाख करोड़ रुपये का राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में भी हर फेर किया है।
प्रमाण 2
प्रदेश की विकास दर कि ग्रोथ से राजस्व प्राप्तियों कि ग्रोथ आधी:
सकल राज्य घरेलू उत्पाद का सीधा संबंध प्रदेश की राजस्व प्राप्तियों मतलब रेवन्यू रिसीट से होता है। राजस्व प्राप्तियों की ग्रोथ बढ़ने का मतलब होता है कि राज्य में उत्पादन बढ़ा रहा है मगर ये चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है कि राज्य की राजस्व प्राप्तियों की ग्रोथ विकास दर से भी आधी से कम हैं।
Table 2
वर्ष राजस्व प्राप्तियाँ ग्रोथ स्कूल राज्य
घरेलू उत्पाद ग्रोथ
2022 - 23 203966.87
10% 1261015
20%
2023 - 24 225709.90 1513720
यह कैसे संभव है कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 20% और राजस्व प्राप्तियों 10% है? इससे भी साफ़ होता है कि राज्य घरेलू उत्पाद में फ़र्ज़ीवाड़ा करके आंकड़े बढ़ाएं गए हैं
प्रमाण 3
राजस्व प्राप्ति क्यों की वृद्धि दर से अधिक वृद्धि दर्ज कर्ज़ की:
किसी भी प्रदेश के विकास का मापदंड उसकी राजस्व प्राप्तियों की ग्रोथ और राज्य द्वारा लिए जा रहे कर्ज़ की ग्रोथ के तुलनात्मक अध्ययन से किया जा सकता है।
Table 3
वर्ष क़र्ज़ एवं अन्य दायित्व ग्रोथ राजस्व प्राप्तियाँ ग्रोथ
2022 - 23 369577.77
14.18% 203966.87
10%
2023-24 422009.37 225709.90
उपरोक्त चार्ट से यह स्पष्ट है कि शिवराज सरकार ने कर्ज़ लिया और उसे भीषणतम भ्रष्टाचार में उड़ा दिया
प्रमाण 4
लिया उधार, किया भ्रष्टाचार
बेशर्म शिवराज सरकार ने प्रदेश को कर्ज़ की गर्त में डुबो दिया। प्रदेश में पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे पर 40,000 रुपये का कर्ज़ थोपा जा रहा है। प्रदेश पर ऋण एवं अन्य दायित्वों 2023-24 के बजट में 422009.37 करोड़ रुपये हो गया है। अर्थात प्रति व्यक्ति कर्ज़ लगभग 40,000 रुपया और कर्ज़ की वृद्धि दर प्रदेश के राजस्व प्राप्तियों की वृद्धि दर से ज़्यादा है।
अब प्रदेश की जानता मध्यप्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए कमलनाथ जी के प्रति उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है क्योंकि प्रदेश के लोगों को पता है कि कमलनाथ जी निवेश को आकर्षित करेंगे और प्रदेश के वास्तविक विकास को गति देंगे।