मंत्री जी का सरकारी बंगला सेटलमेंट का अड्डा

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मुख्यमंत्री के इशारे पर चुप हुआ शिवराज का ब्ल्यू आईड बॉय

महाकाल नगरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी महाकाल लोक का लोकार्पण करने आए। एस पी जी ने सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गाड़ी ही प्रधानमंत्री के काफिले में शामिल करने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी तो चाय से गरम केटली के अंदाज में शिवराज के ब्ल्यू आईड बॉय नीरज वशिष्ठ आपत्ति लेने लगे। मुख्यमंत्री ने इशारे से वशिष्ठ को चुप रहने के लिए कह दिया।

 

मंत्री जी का सरकारी बंगला सेटलमेंट का अड्डा

पश्चिमी मध्यप्रदेश के मंत्री जी के गृहनगर वाले सरकारी बंगले में जमीनों और संपति लेनदेन के विवादित सौदों का सेटलमेंट किया जा रहा है। सेटलमेंट मंत्री जी के एक खास समर्थक करते हैं। समर्थक पूर्व में जेल की हवा खा चुके हैं। वसूली करने वाले को बकायदा समर्थक का एक पठ्ठा फोन लगाता है और समर्थक के मिलने का हवाला देकर मंत्री जी का नाम लेकर उनके बंगले पर बुलवाता है। एक मामले में पीड़ित ने कह दिया कि मैं मंत्री जी से बात कर लूंगा तो पठ्ठा बोल पड़ा कि मंत्री जी को बता देना कि समर्थक भिया ने बुलाया था। वैसे इस तरह के मामले एक सांसद और विधायक भी सरकारी बंगले में बैठकर निपटारा करने में कुख्यात माने जाते हैं।

जमीन की रजिस्ट्री करा ली किसान के ऊपर के पैसे गपा गये राजधानी के एक अफसर

मध्यप्रदेश की राजधानी में बैठे एक अपर आयुक्त स्तर के राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अफसर ने नर्मदा किनारे जमीन खरीद ली। किसान से रजिस्ट्री भी करा ली। रजिस्ट्री में उल्लेखित राशि अफसर ने चुका दी। बाजार मूल्य के अंतर की राशि देने में आनाकानी कर रहे हैं। सस्ते में ली जमीन आज मंहगी हो गई है। अफसर ने स्थानीय व्यापारियों से निर्माण कार्य की सामग्री का भुगतान भी अभी तक नहीं किया है। बता दें अफ़सर हीरो के अंदाज में रहना पसंद करते हैं और इनका एक बेटा मुंबई में संघर्ष कर रहा है।

200 करोड़ ऊपर

मध्यप्रदेश के एक मुख्य पद के लिए बोली लगना शुरू हो गई है। दिल्ली के एक ताकतवर नेता से अपने नाम पर हरी झंडी दिलवाने पर मध्यस्थता कराने वाले को दूसरे से 200 करोड़ ऊपर देने का वादा किया गया है। समझा जा सकता है मध्यप्रदेश में मनी पॉवर में अफसर कितने ताकतवर हो गये हैं।

महाकाल नाराज़ तो सब नाराज़

भगवान महाकाल की महिमा अपरंपार है। भोलापन इतना कि कृपा हो जाए तो उद्धार और नाराज़ हो जाएं तो पद प्रतिष्ठा मान छीनने में देरी नहीं करते। महाकाल नगरी उज्जैन में खबर नेशन के पत्रकार मित्र हम चुप रहेंगे के प्रशांत आंजना ने मज़ेदार जानकारी साझा करते हुए बताया कि ऐसा भी होता है ।

जिसको अपना निज सचिव बनाया था, उसी ने ग्रुप से हटा दिया....! प्रधानमंत्री के आगमन से पहले आय ए एस अफसर अंशुल गुप्ता को नगर निगम आयुक्त के पद से तत्काल हटा दिया ।इस चोट से तत्कालीन आयुक्त उबरे भी नहीं कि उन्होंने जिस बाबू को अपना निज सचिव बनाया था।उसी ने उनको निगम के 2 वाट्स एप ग्रुपों से हटा दिया।तभी तो निगम के गलियारों में चर्चा जोरदार है।

बताया जा रहा है कि उक्त निज सचिव को निगमायुक्त खुद लेकर आए थे।

8000 के लिए 15 लाख रोके 

माले मुफ्त दिल ए बेरहम के ढर्रे पर काम करने वाले मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग ने मात्र 8000 रुपए के लिए एक सहयोगी की पेंशन ग्रेच्युटी की एन ओ सी रोक दी। हिसाब किताब की ईमानदारी देखिए बारह तेरह साल पहले लिखाई पढ़ाई के माहिर रहे आय ए एस अफसर ने जनसंपर्क आयुक्त रहते कुछ किताबें निकलवाई थी। कुछ किताबें जमा हो गई और कुछ बाकी रह गई।बाकी किताबों की जबाबदारी आयुक्त के निज सचिव रहे कर्मचारी पर डाल दी गई। 8000 जमा करने के बाद ही निज सचिव अपने स्वत्वों का निराकरण करवा पाए।

असली राजा कौन ? अमित शाह या सिंधिया

भारत के गृहमंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश के दौरे पर ग्वालियर आए तो ठसकदार अंदाज देखने मिला। विजिटर्स बुक पर लिखते समय किसी की हिम्मत नहीं हुई कि बैठ जाएं । ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खड़े रहे। जलवा हो तो ऐसा। ऐसे ही नहीं कहलाते शहंशाहों के शहंशाह.....

लोकायुक्त में जंग

मध्यप्रदेश की जांच एजेंसी लोकायुक्त में शीर्ष स्तर पर युद्ध का वातावरण बना हुआ है। शिकायतों के निराकरण की धीमी गति से माहौल गर्माया हुआ है। सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त महोदय नाराज़ हैं। सरकार को युद्ध और नाराजगी की जानकारी है।

 

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