मौसम की मार , सिर पर त्यौहार, बंद कारोबार, बेखबर सरकार

खबर नेशन / Khabar Nation

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवभगत में प्रदेश के दो लाख किसानों का दुखदर्द भूली शिवराज सरकार 

हड़ताल के चौथे दिन, 325 करोड़ का कारोबार प्रभावित 

मानसून बाद की बारिश मध्यप्रदेश के किसानों पर कहर बन रही है। दीपावली का त्यौहार सिर पर खड़ा हुआ है। कपास पर मंडी शुल्क कम किए जाने को लेकर व्यापारी हड़ताल पर हैं। कारोबार बंद पड़ा हुआ है। इस सबके बावजूद मध्यप्रदेश की सरकार बेखबर है । सवाल है कि किसानों को दुगनी आय का सपना दिखाने वाली सरकार आखिर चाहती क्या है ?

गौरतलब है कि दो दिन से मध्यप्रदेश के सात जिलों की मंडियों में कारोबार ठप्प पड़ा हुआ है। रतलाम, झाबुआ, धार ,बड़वानी ,खरगोन खंडवा ,छिंदवाड़ा सभी जिलों की मंडिया पूर्ण रूप से हड़ताल के कारण शत प्रतिशत बन्द हैं । इन दिनों खरगोन बड़वानी धार खंडवा मे  कपास आता है । व्यापारी लंबे समय से मंडी शुल्क 0.5 प्रतिशत कम करने एवं आयतित कपास पर मंडी शुल्क 0.5 प्रतिशत लगाने की मांग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में जहां मंडी शुल्क 1.5 प्रतिशत एवं 0.20 प्रतिशत आश्रय शुल्क वसूला जा रहा है। गुजरात और महाराष्ट्र में मंडी शुल्क 0.25 प्रतिशत से 0.50 प्रतिशत तक है। जिसके चलते व्यापारियों और जीनिंग फेक्ट्री संचालकों को व्यापार में कठिनाईं उठाना पड़ रही है।  इसके चलते लगभग 250 मंडी व्यापारी और 130 इंडस्ट्री संचालक परेशान हैं। जिस को लेकर कपास व्यापारी और उधोगपति मध्यांचल कॉटन जिनर्स एवं ट्रेडर्स एसोसिएशन के आव्हान पर 

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। व्यापारियों ने पूर्ण रूप से एकता दिखाते हुए कामकाज बंद रखा है । अगर एसोसिएशन के सुझाए फार्मुले को सरकार मान लेती है तो सरकार को सिर्फ 30 करोड़ रुपए का नुक़सान होगा लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के बराबर मंडी शुल्क करने से सरकार को दुगनी आय प्राप्त होगी। व्यापारियों और उद्योगपतियों का प्रतिनिधिमंडल भोपाल में कई बार अधिकारियों और मंत्री से मिले हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में आगे आकर शीघ्र अतिशीघ्र घोषणा करना चाहिए।

हड़ताल से करीब करीब 2 लाख किसान अपना नमी वाला कपास डायरेक्ट मंडी में विक्रय नहीं कर पा रहे है। नमी वाला कपास को घर पर संभालने में किसान को मजबूर होना पड़ रहा है। घर में जगह कम होने से कपास पीला एवम खराब हो रहा है। आने वाले दिनों में दिवाली का त्योहार आने वाला है उसमें खरीदी एवं रबी की फसल बोने एवं फसल  के लिए खाद बीज खरीदने 

के लिए किसानों को पैसे की आवश्यकता है ।  साथ ही फसल विक्रय के लिए नहीं आने से लोकल मार्केट में भी रौनक नहीं है। किसान संशय में है कि मंडिया शीघ्र चालू नहीं हुई तो नुकसान के साथ-साथ त्योहार कैसे मनाएंगे।

सभी मंडियों में प्रतिदिन लगभग 50 से 60 करोड़ का  कपास बिकने आता है। आज हड़ताल का तीसरा दिन है। सरकारी स्तर पर इस मामले को लेकर किसी भी प्रकार की हलचल नज़र नहीं आ रही है। प्रतिदिन के मान से किसानों का लगभग 200 करोड़ का कपास घरों में पड़ा है। वहीं जीनिंग मिलों में भी अपेक्षित काम नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते लगभग 325 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है।

कपास उत्पादक किसान एवं संभाग मंत्री रामेश्वर गूर्जर का कहना है कि किसानों के घर छोटे छोटे हैं। फसल रखने की व्यवस्था ठीक नहीं है। किसानो और व्यापारियों के हित में सरकार का रुख ठीक नहीं है। सरकार को मंडी जल्दी चालू करवाना चाहिए।

सनावद नेमार के कपास उत्पादक किसान विशाल चौधरी शासन प्रशासन के रुख से जबरदस्त तरीके से हताश हैं। उन्होंने बताया कि किसानों ने कपास  खेत और घर के कोने कोने में रखा हुआ है। मौसम के हालात किसी से छिपे नहीं है। शासन को वैकल्पिक खरीदी की व्यवस्था करना चाहिए। जानकारी होते हुए भी उपेक्षा भरा रवैया है जिला प्रशासन का।

 

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