भाजपा के सामाजिक सरोकार बने जनांदोलन-विष्णुदत्त शर्मा

कहि रहीम संपति सगे बनत बहुत बहु रीत।
विपति कसौटी जे कसे तेई सांचे मीत।।

अर्थात्, संपत्ति रहने पर तो कई लोग सगे-संबंधी बनकर आगे आ जाते हैं, लेकिन विपत्ति या संकट के समय में जो साथ देता है वही सच्चा मित्र और संबंधी है। महाकवि रहीम ने अपने इस दोहे में सच्चे मित्र के जो लक्षण बताए हैं, उसके अनुसार भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी के इस संकटकाल में अपने आपको पीड़ित जनता का सच्चा मित्र साबित किया है।  
देश में जब कोरोना वायरस का कहर बरपना शुरू हुआ, लॉक डाउन लगाया गया, तब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता दुबक कर घरों में नहीं बैठे, बल्कि जनता के सम्बल का सेतु बने। असहाय और गरीब लोगों को सहयोग की भावना के साथ अपनाने में जुट गए। इस संकटकाल में हम सिर्फ संख्यात्मक ही नहीं, गुणात्मक तौर पर भी एक बार फिर एक अगुआ राजनीतिक दल साबित हुए हैं। कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक भूमिका के साथ साथ अपनी सामाजिक भूमिका का निर्वहन पूरी प्रतिबद्धता के साथ करते हुए गाँधी और दीनदयाल के दर्शन को साकार किया है।  
हमारे लिए यह निश्चित तौर पर एक गौरव का कारण है कि लगभग 5,00000 कार्यकर्ताओं ने 28 लाख 76 हजार 117 लोगों के सक्रिय सहयोग से एक करोड़ 91 लाख 29,546 खाने के पैकेट जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए,  तो वहीं दूसरी ओर गरीब परिवारों को सूखे राशन के 1,47,0159 पैकेट वितरित किए।  इस पूरे अभियान से 2 करोड़ 90 लाख 54 हजार 899 नागरिक लाभान्वित हुए। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने जब पी एम केअर फण्ड में कम से कम 100 रुपये की राशि दान करने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया, तो प्रदेश के 301028 कार्यकर्ताओं ने स्वयं दान किया तथा 933171 अन्य लोगों को दान के लिए प्रेरित किया।
भारत का समाज एक विलक्षण समाज है। यहां की जीवन पद्धति और लोक व्यवहार दुनिया में अनूठा है। संकट के समय सहयोग यहां की परंपरा है,  इसलिए इस संकट के समय में सभी ने अपनी हैसियत के अनुरूप सहयोग करने की कोशिश की। जहां, जब जैसे, जो बन पड़ रहा है, वह किया। सेवा को मिशन के तौर पर एक अभियान के रूप में चलाना और चलाते-चलाते आंदोलन खड़ा कर देना, राजनीति का यही उद्देश्य लेकर तो हम चले हैं।  1951 में जन्मे जनसंघ के तौर पर हमने यही काम किया और अब भाजपा के नाते यही कार्य करते आ रहे हैं। जब सरकार में आने की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही थी, तब भी हमने इन्हीं भारतीय परंपराओं को आदर्श मानकर काम किया है।  पं. दीनदयालजी ने आजादी के पहले दशक में ही अपना जो राजनीतिक दर्शन रखा वह आज भी जस का तस हमारा संकल्प ही नहीं, जीवन व्रत है।
तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अगस्त, 1959 में हैदराबाद में भाषण करते हुए कहा था कि “प्रत्येक बात और वस्तु के लिए सरकार की ओर देखने की मनोवृत्ति उचित नहीं है। उन्होंने इस संबंध में एक विकेंद्रीकृत पद्धति अपनाए जाने की बात कही थी और सामाजिक कार्यकर्ताओं से कहा था कि ‘’अपने प्रयास चालू रखें।“ उस दौरान भारतीय जनसंघ विपक्ष की भूमिका में था। पं. दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के संगठनकर्ता थे। उन्होंने ऐसे समय में जबकि जनसंघ की सरकार होने की कोई दूर दूर तक संभावना नहीं थी, तब भी बाकायदा 4 अगस्त 1959 को अपने एक लेख में लिखा था कि “ हिंदू परिकल्पना के अनुसार सरकार के अत्यंत सीमित कार्य हैं। राजनीति उन चार पुरुषार्थों में से केवल एक है, जिनकी अपेक्षा मनुष्य से की जाती है। पं. दीनदयाल जी ने उस लेख में लिखा था  कि  जीवन के प्रति, नीतियों के प्रति और आयोजना के प्रति हमारे दृष्टिकोण में आमूल सुधार आवश्यक हैं।  हमें उनकी सीमितता को स्वीकार करना चाहिए, इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार को इसके लिए तैयार किया जाए। राष्ट्रपति यदि जनता को वास्तव में स्वाबलंबी बनाना चाहते हैं तो उन्हें इस दिशा में अपने प्रभाव का उपयोग करना चाहिए कि वह समाजवाद की तृष्णा का परित्याग करें और उसका जनता के न्याय सम्मत और परंपरागत क्षेत्र में सिद्धांत और व्यवहार के रूप में प्रवेश रोक दें।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कोविड-19 के इस संकट में जनता व समाज को सरकार के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ जोड़कर इस दिशा में बहुत हद तक सफलता अर्जित की है। प्रधानमंत्री के नाते यह उनकी अद्भुत कार्यशैली रही है। समाज में जब हम सामाजिक मूल्यों के साथ काम करते हैं तो हमारी धाक व साख भी बनती है। लोग आग्रह को स्वीकारते भी हैं और कार्यों को अपनाते भी हैं। यही कारण है कि कई छोटे छोटे स्थानों पर भी छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े-बड़े लक्ष्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने साध लिए। 5,00000 सैनिटाइजर, दो लाख साबुन और 63 लाख 68 हजार से अधिक मास्क बांटना केवल सोचने भर से नहीं हो जाता। जरूरतमंदों को हरी सब्जी, चाय पत्ती, बिस्कुट और दूध तक का वितरण कई सेवा बस्तियों में हमारे कार्यकर्ताओं ने किया है और कई जगह अब तक जारी है। विदिशा जिले के गंजबासौदा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 150 यूनिट रक्त दान किया। भोपाल के सोनू गोलकर जो स्वयं नेत्रहीन दिव्यांग हैं, 21000 रुपये पीएम केयर में देकर अन्य लोगों को प्रेरित किया है, वहीँ डबरा की कीर्ति ने गुल्लक तोड़कर 5000 रुपये, भोपाल की एक बेटी ने गुल्लक तोड़कर 985 रुपये अपने नवें जन्मदिन पर दान कर दिए। कटनी में सिंधी समाज के मासूम और अबोध बच्चों ने अपनी गुल्लक तोड़ी और 21 हजार से ज्यादा की राशि  मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दी। अशोकनगर जिले की एक बहुत छोटी ईसागढ़ इकाई में महिलाओं की एक समिति द्वारा हर दिन 200 मास्क बांटने का कार्य अपनाया हुआ है। विदिशा की 82 वर्षीय श्रीमती सलमा ने अपने जीवन की गाढ़ी कमाई की बचत से 1 लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष में दे दिये। साथ ही साथ हमारे कार्यकर्ताओं ने गोवंश की भी सेवा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ये बहुत थोड़े उदाहरण हैं जिनका उल्लेख किया। इसी समाज के भरोसे के दम पर, एक आह्वान पर संकट में भी समाधान देने के लिए तत्पर हो जाने वाले  कार्यकर्ताओं के मूल स्वभाव के आधार पर भाजपा पर गर्व होता है।
ऐसा भी नहीं है कि आज हम सरकार में हैं तो सेवा व सहयोग करेंगे, वरना विरोध ! जब जब देश में संकट आए, अकाल-आपदा आई, चीन या पाकिस्तान से युद्ध हुए तो हमने सरकारों पर आरोप लगाने कार्य नहीं किया,  बल्कि एक सेना के अनुशासित सिपाही की तरह हर वह काम किया जिसकी दरकार उस दौरान रही। इतिहास साक्षी है कि  तब जनसंघ और अब भाजपा के कार्यकर्ताओं ने संकट के समय साथ खड़े होकर सहयोग किया। सैकड़ों उदहारण दर्ज हैं कि सेना के सहयोग से लेकर रक्तदान व अर्थ दान और जीवनदान तक हमारे कार्यकर्ताओं ने किया है। धरना-प्रदर्शन, आंदोलन, चुनाव और सरकार बस यही कार्य नहीं है,  राजनीतिक दल का। सामाजिक मूल्यों के आधार पर भारत के विचार के आलोक में स्वयं को संकट के समय सिद्ध भी करना पड़ता है।  मुझे गर्व है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने सामाजिक भूमिका में अपने आप को सिद्ध किया है।
दरअसल आजादी के बाद भारतीय देशज राजनीति के जो मानदंड कांग्रेस को स्थापित करने थे, वे कांग्रेस ने किए नहीं। उसने समाजवाद और साम्यवाद के फेर में एक नशा और लत भारतीय समाज में लगाने की कोशिश जरूर की, जिसकी राजनेताओं की कई पीढ़ियां आदी हो गईं। कांग्रेस से टूटे और निकले दल व अधिकांश नेता भी उसी प्रवृत्ति के थे, वे भी कुछ ना कर सके। अब जबकि भाजपा देश के कई हिस्सों में शासन में हैं और नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले 6 साल से सेवा करने में जुटी है, तब से लेकर तमाम उन कार्यों को हाथ में लिया है जिनको लंबे समय से समाज ताक रहा था। मोदी जी का नेतृत्व हमारी प्रेरणा है। उनके समर्पित जीवन से ‘तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहें’’ जैसी भावना व कार्यशैली विकसित हो रही है। कोविड-19 के संकट से देश को सुरक्षित रखने की जो सफल व कारगर सिद्धियां की हैं,  उन्हें दुनिया श्रेष्ठ बता रही है। कोविड-19 के चपेट में आये देशों के आकंड़े यह बताते हैं कि मोदी जी का नेतृत्व बहुआयामी है और सफल सिद्ध हुआ है। वहीँ मध्यप्रदेश में शिवराज जी के नेतृत्व वाली सरकार ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कारण बिगड़े हालातों को न केवल ठीक किया,  बल्कि गरीब व किसानों का सहारा बनने का कार्य किया। लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को तत्काल राहत व विद्यार्थियों को सहयोग करने का कार्य किया। उन्हें सहयोग और सुझाव देने की दृष्टि से भाजपा ने एक टास्क फोर्स का गठन किया, जिसकी बैठक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से लगातार होती आ रही है। जनता के अलग-अलग वर्गों से मिल रहे सुझाव और समस्याओं पर वरिष्ठ नेताओं के विमर्श इस टास्क फोर्स में होने से प्रदेश को लाभ हुआ है। टास्क फोर्स के सुझावों पर मुख्यमंत्री जी द्वारा त्वरित कार्रवाही किए जाने से संकट पर हम विजय की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले व्यवसायिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारतीय जनता पार्टी के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं से ऑडियो और वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से व्यापक विमर्श करते हुए कार्यकर्ताओं ने चुनौती को अवसर में बदला है। भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के उन लाखों कार्यकर्ताओं को साधुवाद देती है, जिन्होंने कोरोना योद्धाओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार कार्य किया। मानवता बचाने के अभियान में जुटे ऐसे सभी कार्यकर्ताओं के प्रति मैं नतमस्तक हूँ।
हम हमारे प्रेरक नेतृत्व के मार्गदर्शन में भाजपा को सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक अहम उपकरण बनाएंगे। सत्ता तो उसका और प्रभावी माध्यम बनती है, हम सत्ता के जरिए भी अपने होने का सार्थक भाव सिद्ध करेंगे और संगठन से भी।ं

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