तो ऐसे तत्वों पर सख्त कदम उठाए जाएं

नफ़रत जी नहीं... इस बार विभत्सता भी शामिल है..... कुछ असामाजिक तत्व जो चाहते थे वह समाज के दोनों हिस्सों में बराबर बराबर पैवस्त हो गया..... गंगा जमुनी तहजीब जो सिर्फ अभी तक कही जा रही थी अब स्पष्ट तौर पर अलग अलग बहती नज़र आ रही है.. ... गंगा की धारा अलग और यमुना की धारा अलग बहती नज़र आ रही है। भारत की अनेकता में एकता और अखंडता में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद,कश्मीर में धारा 370 ,एन आर सी,सी ए ए,सी ए बी, गोधरा काण्ड, जैसे मुद्दे बरसों जिंदा रहने के बाद अपना असर नहीं छोड़ पाए थे......उसे कोरोना वायरस संकट ने लॉकडाउन के दस दिन के भीतर घृणा और विभत्सता से भर दिया।
दिल्ली मरकज के थूकते जमाती हों या इंदौर भोपाल में पथराव करते असामाजिक तत्व....... बदनाम पूरे मुस्लिम समाज को कर गए हैं.......इस नफ़रत का लाभ उठाने वाले अब अपने सियासी मंसूबे साधने के कुत्सित प्रयासों को हवा देने का काम कर रहे हैं...... दोनों समुदायों में अफवाहों का दौर सरगर्म है.......खाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है ।
ख़तरा सिर्फ राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक आधार पर बंटने का नहीं रह गया है...... देश की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा ख़तरा हो गया है....... दोषियों को सजा मिलना चाहिए लेकिन समाज के विभिन्न हिस्सों पर असर ना हो....... सवाल सौ करोड़ बनाम तीस करोड़ में बदल गया है...... सोशल मीडिया का प्लेटफार्म हो या चौराहे गलियों में टेलीफोन पर बतियाते इस गंगा जमुनी तहजीब के नागरिक अब सोशल बायकॉट की जरूरत बता रहे हैं । एक समय शहर के एक मुहल्ले में बसने का चलन और उनसे उपजे हालात शहर की नयी बसाहट का ख़तरा खड़ा कर रहे हैं
हांलांकि उम्मीद की एक किरण यूं है शायद समाज के एक वर्ग में नाराजगी हो जो तात्कालिक पनप रही है.... ऐसा ही कुछ दूसरे वर्ग में भी हो सकता है। बस इसे हवा ना दी जाए तो.......यह आम जनता को भी समझना होगा..... ऐसे तत्वों को दूर करना होगा जो अफवाहों के घोड़ों पर सवार होकर हम सब के बीच एक खाई पनपाने का प्रयास कर रहे हैं....... फिर चाहे कोई मीडिया घराना ही क्यों ना हो ? सच समाज के सामने आना चाहिए पर ऐसे अंदाज में नहीं जो घृणा को बड़ा रहा हो.....हम उम्मीद करते हैं कि जो गलतियां हर पक्ष से हुई हैं उन पर शांत मन से विचार किया जाएं...... दूरियों को मिटाने का काम किया जाए और ऐसी दूरियां पनपाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं ।

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