मध्य प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त राघवेंद्र सिंह और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस इसे जरूर पढ़ें

एक विचार Feb 25, 2022

 

 

यह "तानाशाही है या आग्रह".... तो फिर मध्य प्रदेश के सारे अखबार बंद करवा दिया जाना चाहिए और साथ ही जनसंपर्क विभाग भी

 

 गौरव चतुर्वेदी /खबर नेशन/Khabar Nation

 

 यह "तानाशाही है या फिर आग्रह"..... तो फिर मध्य प्रदेश के सारे अखबार बंद करवा दिया जाना चाहिए और साथ ही जनसंपर्क विभाग भी। यह बात खबर नेशन आज इसलिए कह रहा है कि सुबह-सुबह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र राष्ट्रीय हिंदी मेल के प्रबंध संपादक विजय कुमार दास की फेसबुक पोस्ट पर आज के अखबार की एक क्लिपिंग सामने आई।  जिसका शीर्षक था जनसंपर्क आयुक्त के कहने पर 'बड़े लोगों की बातें' कॉलम आज से बंद । 

समाचार में विस्तार से इसके कारण का उल्लेख करते हुए मध्यप्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त राघवेंद्र सिंह का विजय दास के साथ मुलाकात में एतराज जताना रहा। श्री दास ने समाचार में राघवेंद्र सिंह के सहज भाव का उल्लेख करते हुए समझाइश एवं चेतावनी भरे शब्दों में यह कहने का जिक्र करना रहा कि जिस कॉलम में यह लिखा जाए कि इसका संबंध उस व्यक्ति से नहीं है जिसके बारे में लिखा गया है यह उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं है । 

खबर नेशन का इस मामले में कहना है की अखबार का कॉलम किसी एक व्यक्ति की पसंद या नापसंद से नहीं चलता । समग्र पाठकों की पसंद और नापसंद उस अखबार का भविष्य तय करती है। 

 

 यह मेरा खुलेआम वैचारिक विरोध है । ऐसे अधिकारियों से और ऐसे अखबार मालिकों से । पत्रकारिता के मापदंड और आचार संहिता के लिहाज से हर अखबार में गॉसिप कॉलम या ऑफ द रिकार्ड बातों का जिक्र इसलिए किया जाता है कि इस समाज में घटित घटना को सामने लाया जाए ।  जनसंपर्क आयुक्त को ऐसे कॉलम पर एतराज जताने की बजाय ऐसे अधिकारियों को यह समझाना चाहिए कि सामाजिक , राजनैतिक प्रशासनिक दृष्टि के साथ-साथ भारतीय पत्रकारिता को बचाए रखने की दृष्टि से यह उचित है ।  विजय दास जी की फेसबुक वॉल के अनुसार राघवेंद्र सिंह के एतराज की वजह 1 दिन पहले इसी समाचार पत्र में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर लिखा गया बड़े लोगों की बातों का एक पीस रहा जो संभवत उन्हें नागवार गुजरा था।  पीस में मध्य प्रदेश की बदहाल स्थिति का जिक्र है। जिसे लेकर उन्होंने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। 

 इस समाचार या पत्रकारों की व्यथा के माध्यम से मध्यप्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त राघवेंद्र सिंह से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उनका दायित्व मध्य प्रदेश की पत्रकारिता और पत्रकारों के हितों को बचाए रखने का भी है।  इस दिशा में वे भी और पत्रकार भी जरूर सोचें । वे एक ऐसा खुला वातावरण मुहैया कराएं जिसमें पत्रकार सरकार और सरकारी तंत्र की गलतियों को खुलकर सामने लाएं और पत्रकार भी सरकार के अच्छे कार्यों पर मुक्त भाव से अखबारों में जगह दे ।

वरना तो मध्य प्रदेश के सारे अखबार बंद कर दिए जाना चाहिए और जनसंपर्क विभाग भी ‌।

अंत में राम मनोहर लोहिया जी की इस बात का स्मरण सभी लोग करें 

 

"जिंदा कौमें 5 वर्ष इंतजार नहीं करती। वह किसी भी सरकार के गलत कदम का फौरन विरोध करती है।

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