बांगडू हास्य कवि सम्मेलन में गूंजे ठहाके

खबरनेशन/Khabarnation  

इंदौर। मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा कृष्णपुरा छत्री पर बांगडू हास्य कवि सम्मेलन में देशभर से आये कवि-कवियत्रियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाईं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी बाबू भाई महिदपुरवाला और क्षेत्रीय पार्षद रत्नेश बागड़ी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों और कवियों का स्वागत मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष समीर पाठक,प्रवीण धनोतिया,ताहिर कमाल सिद्दीकी,प्रीतमसिंह भदौरिया आदि ने किया। 

कार्यक्रम में सफाई कर्मियों एवं किन्नरों का सम्मान भी किया गया।आगरा से रामेंद्र मोहन त्रिपाठी, लखनऊ के वाहिद अली वाहिद,  बाराबंकी से प्रमोद पंकज, मुजफ्फरपुर से प्रीति अग्रवाल, बनारस से कवियत्री  विभा सिंह, नागपुर से आनंद राज आनंद, राजस्थान से देवेंद्र वैष्णव, देवास से पंकज जोशी ने उम्दा रचनाएं सुनाकर न सिर्फ गुदगुदाया बल्कि देश की व्यवस्था पर प्रहार भी किया।बेहतरीन संचालन कवि सत्येन वर्मा सत्येन ने किया।

आगरा के रामेंद्र मोहन त्रिपाठी ने रंगभरी शुभकामनाएं देते हुए सुनाया-

रंग बिरंगी ओढ़नी रंगाय के चली,
घेरदार घांघरों घुमाय के चली,लुहार की लली जैसे अनार की गली।

उन्होंने देश के राजनेताओं पर कटाक्ष किया-

वो रहबर था ग़रीबी का ग़रीबी पास थी जब तक,
हवा के साथ उसने खुद को मालामाल कर डाला,
जरूरत के मुताबिक हमको इस्तेमाल कर डाला,
अमीरे शहर ने बाजा़र फिर से लाल कर डाला।

कवि वाहिद अली वाहिद ने मौजूदा सियासत पर कहा-
‘किसी अफवाह के पत्थर से दर्पण टूट जाएगा, 
रहीमो राम के रिश्ते का बंधन टूट जाएगा, 
जरा हल्के से टकराओ मधुर संगीत निकलेगा, 

बहुत टकराओगे तो बर्तन टूट जाएगा...’ पंक्तियां सुनाकर खूब तालियां बटोरीं।

बाराबंकी के हास्य कवि प्रमोद पंकज ने देश की दशा,वर्तमान राजनीति और बाबाओं पर निशाना साधते हुए पैरोडी सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।

बनारस से आई कवयित्री विभा सिंह ने श्रृंगार रस पर आधारित रचनाओं से खूब दाद बटोरी,उन्होंने सुनाया-

लोग प्यार करके क्यों छोड़ देते हैं,
फूलों से सीखो निभाना,
जो टूटकर भी दो दिलों को जोड़ देते हैं।
अंत मे आभार नगर संघ के अध्य्क्ष कृष्ण कुमार वर्मा ने माना।

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