मुर्गी, मछली, मधुमक्खी, बकरी पालन बढ़ा रहा हैं ग्रामीणों की आय

भोपाल। राज्य शासन द्वारा कमजोर वर्गों की आय में वृद्धि के लिये संचालित योजनाओं से ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार दिखने लगा हैं।

रीवा जिले के ग्राम गेरूआर की अनुसूचित जाति की महिला राजकली साकेत ने ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से मुर्गी पालन शुरू किया हैं। उन्होंने आजीविका के लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़कर मुर्गी पालन को अपना व्यवसाय बनाया। राजकली कहती हैं कि मुर्गी पालन के पहले दोनों वक्त का खाना जुटाना ही मुश्किल था। अब मेरे बच्चे न केवल अच्छा जीवन-यापन कर रहे हैं बल्कि, उन्हें बेहतर शिक्षा भी मिल रही हैं। पहले पति राजेश को गांव में कभी मजदूरी मिलती थी, कभी नहीं। कई बार मजदूरी की तलाश में गांव के बाहर भी जाना पड़ता था। अब मेरे पति भी मुर्गी पालन में सहायता कर रहे हैं। मुझे स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने का काम भी मिल गया हैं। पहले हम महिने में 2 से 3 हजार रुपये ही कमा पाते थे। अब मुर्गी पालन से 12 हजार, मध्यान्ह भोजन बनाने के काम से एक हजार और पति की आय से 7 हजार मिला कर आसानी से 20 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती हैं।

बैतूल जिले के ग्राम तिरमहू की संतोषी पाटने भी ग्रामीण आजीविका मिशन के दुर्गा स्व-सहायता समूह से जुड़कर प्रति माह मुर्गी पालन से 8 से 11 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं। संतोषी 13 सदस्यीय समूह की अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने रिवाल्विंग फंड की राशि से 13 हजार और समूह बचत से 2 हजार कुल 15 हजार रुपये की राशि एकत्रित कर 1500 चूजे खरीदे और कच्चे शेड का निर्माण किया। इनकी लगन को देखते हुए मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में इनके पति नीरज पाटने को पक्के मुर्गी शेड निर्माण के लिये एक लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई। इनके पास अब 23 सौ से अधिक चूजे हो गये हैं। पाटने दम्पत्ति मुर्गी पालन व्यवसाय को और बढ़ा रहे हैं।

छिन्दवाड़ा के पास सोनपुर में हर्षित साहू ने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से लगभग आधा एकड़ में मधुमक्खी पालन शुरू किया हैं। हर्षित को मधुमक्खी पालन के लिये 10 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत हुआ हैं। उन्होंने इससे 20 बॉक्स (मधुमक्खी कॉलोनी) बनाए। गत दिवस कलेक्टर जे.के. जैन ने भी हर्षित के कार्यो को देखा और सराहा। मौके पर मौजूद उद्यानिकी विभाग के सलाहकार राजबीर सिंह के मुताबिक इस यूनिट से हर्षित को सालाना 5 से 6 लाख रुपये का मुनाफा होगा। साथ ही, मधुमक्खी द्वारा परागण से आस-पास की फसलों में 40 से 200 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी भी होगी।

शहडोल जिले के ग्राम कटकोना के किसान छोटेलाल चौधरी ने वर्ष 2015-16 में पशुपालन विभाग की उन्नत नस्ल के बकरा प्रदाय योजना का लाभ लेकर बकरी पालन शुरू किया हैं। उनके पास पहले भी देशी नस्ल की बकरियाँ थीं, पर बहुत कम दूध देती थीं। जमुनापारी उन्नत नस्ल का बकरा मिलने के बाद उनके बच्चे भी हृष्ट-पुष्ट हुए और दूध उत्पादन भी बढ़ा। अब होने वाले बकरों का दाम भी उन्हें बाजार में अच्छा मिल रहा हैं। छोटेलाल के पास अब 20 बकरे-बकरियाँ हो गये हैं। पशुपालन विभाग समय-समय पर उनके बकरे का स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण कर रहा हैं।

शहडोल जिले के गांव चन्द्रपुर की निवासी महिला कृषक भानमती ने मत्स्य विभाग के सहयोग से मत्स्य बीज उत्पादन शुरू किया हैं। इससे वह हर साल 4 से 5 लाख रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर लेती हैं। भानमती ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आधा हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब बनवाकर मत्स्य बीज उत्पादन शुरू किया। इसके लिये उन्होंने बैंक से ऋण लिया और मत्स्य विभाग ने अनुदान दिलाया। भानमती ने बताया कि उन्होंने शासन से प्राप्त ऋण को निर्धारित समयावधि में चुका दिया हैं। उन्होंने एक महाजाल भी खरीदा हैं, जो वह आस-पास के मत्स्य आखेटकों को किराये पर भी देती हैं। उन्होंने वर्ष 2015-16 में मत्स्य बीज उत्पादन से करीब 3 लाख रूपये और वर्ष 2016-17 में 5 लाख रूपये का शुद्ध लाभ कमाया। भानमती कहती हैं कि जब सरकार इतनी सुविधा दे रही हैं, तो हमें योजना का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति जरूर मजबूत करना चाहिए।

बालाघाट जिले में जनसुरक्षा के लिये तैनात केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल 123वीं बटालियन के जवान आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद कर रहें हैं। बटालियन के कमाण्डेन्ट रघुवंश कुमार के नेतृत्व में जवानों ने गत् 12 मार्च को ग्राम देवटोला-किन्ही के महिला स्व-सहायता समूह को 7 बकरी का बकरी पालन केन्द्र बनाकर दिया हैं। जवानों ने बकरियों के खाने के बर्तन और पीने के पानी की टंकी और 6 माह का चारा भी उपलब्ध कराया हैं। इससे महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी होने लगेगी।

(खबरनेशन / Khabarnation)
 

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