उद्यानिकी खेती बन रही किसानों की पहली पसंद

भोपाल। प्रदेश में खेती से आमदनी बढ़ाने के लिए उद्यानिकी फसलों की खेती किसानों की पहली पसंद बन गयी हैं। उद्यानिकी फसल लेने से किसानों की आमदनी भी निरंतर बढ़ रही हैं। किसान अब पशुपालन को भी व्यवसायिक तौर पर अपनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं।

छिन्दवाड़ा जिले के विकासखण्ड पांढुर्णा के ग्राम पिपलपानी के किसान नरेन्द्र ठाकरे के पास करीब पौने दो हैंक्टेयर कृषि भूमि हैं जिसमें वे कुएं और नलकूप से सिंचाई करते हैं। खेती में ट्रेक्टर और सीडड्रिल का उपयोग कर रहे हैं। संरक्षित खेती के अंतर्गत एक हजार वर्गमीटर में पॉली हाउस का निर्माण भी करवाया हैं। पॉली हाउस बनाने में उन्हें 4 लाख 62 हजार रुपये का अनुदान मिला हैं। पॉली हाउस में इन्हें शिमला मिर्च की खेती में आधुनिक कृषि पद्धति अपनाने से 9 टन का उत्पादन मिला, जिसे बेचने पर 2 लाख रुपये से अधिक की आय हुई भी हुआ हैं।

किसान नरेन्द्र ठाकरे उद्यानिकी विभाग की योजना के अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट बनाकर जैविक संतरे की खेती भी कर रहे हैं। इसके लिये उद्यानिकी विभाग द्वारा उन्हें जैविक किसान का खिताब भी दिया गया हैं। नरेन्द्र अब खेती के साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। उन्होंने 35 दूधारू पशुओं की गौशाला तैयार की हैं। वे मुर्गी पालन के अंतर्गत 35 देशी मुर्गियों का पोल्ट्री फार्म भी चला रहे हैं। नरेन्द्र ने बैंक का ऋण चुका कर अपना पक्का मकान बनवा लिया हैं। कल्टीवेटर और ट्रॉली भी खरीदी हैं। उन्नत उद्यानिकी खेती से उनके जीवन स्तर में बहुत बदलाव आया हैं। उन्होंने बताया कि अन्य कृषक जैविक खेती के संबंध में उनके मोबाईल नंबर 9584158560 पर चर्चा करते हैं।

छिन्दवाड़ा जिले के ही परासिया विकासखंड के ग्राम बीजागोरा के किसान कन्हैया लाल सूर्यवंशी आधुनिक पद्धति से उद्यानिकी फसल की खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपनी फसलों को अच्छी तरह से तैयार कर कृषि को लाभ का धंधा बनाने का सार्थक कार्य किया हैं। किसान कन्हैया लाल सूर्यवंशी ने 31 एकड़ के रकबे में टमाटर की फसल लगाई और उद्यानिकी अधिकारियों से समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त किया। अच्छा रख-रखाव होने से उन्हें प्रति एकड़ 36 हजार 275 टन उपज प्राप्त हुई। इस वर्ष बाजार भाव ठीक होने से प्रति एकड़ 4 लाख रुपये की आय हुई जो लागत राशि घटाकर 2 लाख 79 हजार रुपये के करीब हैं। इस प्रकार उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा हुआ हैं। इस तरह कृषक कन्हैयालाल ने साबित कर दिया कि कृषि को लाभ का धंधा बनाना मुशकिल नहीं, बल्कि बहुत आसान हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)

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