बाईपास: सुविधा की जगह, बना जानलेवा रास्ता….

खबर नेशन / Khabar Nation

इंदौर के बायपास पर रोजाना लग रहे जाम और जानलेवा हादसों से व्यथित होकर....

#अरे_ओ_भिया से जाने, जाने वाले समाजसेवी राजकुमार जैन ने आज सोशल मिडिया पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से कुछ सवाल पूछे है जिनके जवाब के साथ इस रोज-रोज की प्राणलेवा समस्या से शहर की जनता को निजात मिलना ही चाहिए। यह उनका अधिकार है।

जैन ने लिखा है, बाईपास एक सुविधा की बजाय एक जानलेवा रास्ता बन गया है जो शहर के लाखों निवासियों को दे रहा है रोज का मानसिक त्रास। बाईपास पर रोजाना लग रहे भीषण जाम और लगातार हो रहे हादसे के लिए कौन है जिम्मेदार। यह जिम्मेदारी तय होनी ही चाहिए।

जैसा कि सबको मालूम है वर्षों पहले से MR 10 पर एक फ्लाई ओवर बनना प्रस्तावित था, जो आज तक बनना तो दूर एनएचआई की कार्य योजना का हिस्सा भी नहीं बन पाया है। और 

शहर से प्रतिदिन बायपास पर जाने वाले लाखों वाहनों की निकासी के लिए कम ऊंचाई वालें संकरे बोगदे बनाकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अपने कर्तव्य की इतिश्री समझकर कुंभकर्ण की नींद में रहा है। 

जैन सवाल उठाते हैं कि क्या एनएचआई को आरटीओ से इंदौर में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या की जानकारी लेने और उनके बढ़ने की गति का आगामी 30 वर्षों का अनुमान लगाकर बायपास के निर्माण के समय ही आवागमन को सुगम बनाये रखने के समुचित उपाय नहीं करने चाहिए थे, क्या यह स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का हिस्सा नहीं है, यदि नही है तो होना चाहिए।

एनएचआई एक उच्च गुणवत्ता का निर्माण करने वाली संस्था है, यह देश की सबसे प्रतिष्ठित सड़क निर्माण एजेंसी है। ऐसा नहीं है कि एनएचआई द्वारा निर्मित सड़कों के कारण पूरा देश दुखी है। अन्य महानगरों में इसी एनएचआई द्वारा विश्वस्तरीय बेहतरीन काम किया गया है। फिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि एनएचआई के महारथियों द्वारा दूसरे महानगरों में अपनाए गए सड़क निर्माण के डिजाइन से इंदौर को वंचित रख अपने हाल पर छोड़ दिया गया।इंदौरवासी बाईपास पर मरने और प्रतिदिन की दुर्गति झेलने के लिए अभिशप्त क्यों हैं। आखिर कब तक हम यह दर्द सहेंगे। जवाब मुश्किल है लेकिन देश के कर्णधारों को इसका जवाब देना ही होगा।

टोल टैक्स के नाम पर प्रतिदिन एक बड़ी राशि एकत्र की जा रही लेकिन सुविधा के नाम पर  मिल रहा है सिर्फ प्राणलेवा जाम।आखिर कब तक हम एनएचआई की लापरवाही और अदूरदर्शितापूर्ण डिजाइन के कारण मिल रही गंभीर यातना भुगतते रहेंगे।

और तो और जब तक कोई स्थाई हल नहीं निकलता तब तक आम जनों की सुविधा और सुरक्षा के लिये इंदौर यातायात प्रबंधन पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं लेकिन उनका सहयोग करने की बजाय एनएचआई क्या कर रहा है। बाईपास पर प्रतिदिन लगने वाले जाम और उसके फल स्वरुप हो रहे हादसों को लेकर यातायात प्रबंधन डीसीपी महेश चंद जैन भी काफी चिंतित है और इसी समस्या के निदान के लिए वो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से नियमित चर्चा भी कर रहे हैं, लेकिन उच्च अधिकारियों के कान पर जूं भी नहीं रेंगती। जबकि यह उनकी जिम्मेदारी है कि जब तक वो कोई स्थाई समाधान नहीं दे पाते तब तक वह स्थानीय प्रशासन द्वारा सुझाए गए उपायों को गंभीरता से लें और उस पर तुरंत अमल करें।

बस अब बहुत हुआ मौत का तांडव, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर राजमार्ग प्राधिकरण पर दबाव बनाए कि वो शीघ्र ही इस समस्या से निजात दिलाए नहीं तो जनता मजबूर होगी इस बायपास नाम के दानव को उखाड़ फेंकने के लिए।

 

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