अगर भाजपा आदिवासी समुदाय का सच्चा सम्मान करना चाहती है तो द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति नहीं प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाएं: यशवंत सिन्हा

 

संविधान का गला घोंटते हुए भाजपा दे रही कांग्रेसी विधायकों

को क्रॉस वोटिंग के लिए धन का प्रलोभन: यशवंत सिन्हा

भोपाल: राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान के सिलसिले में देश के विभिन्न राज्यों में जा रहा हूं और मैं मध्य प्रदेश की राजधानी आकर बहुत खुश हूं इसके पहले मैं केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और असम जा चुका हूं। मैं कमलनाथ जी और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह जी का पिछली रात भोपाल में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आभार व्यक्त करता हूं। मैं कांग्रेस पार्टी के सभी सांसद और विधायकों का धन्यवाद देता हूं कि विपक्ष के राष्ट्रपति चुनाव 2022 के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने मेरा समर्थन किया।

आज सुबह मैंने मध्य प्रदेश के एक प्रमुख अखबार में यह हेडिंग पढ़ी कि कांग्रेस के 28 आदिवासी विधायकों पर भाजपा की नजर क्रॉस वोटिंग की तैयारी।मुझे विश्वसनीय सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि गैर भाजपा विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने के लिए बड़ी मात्रा में धन का आफर दिया जा रहा है। इसका मतलब है कि गणतंत्र के सर्वाेच्च पद के लिए हो रहे निर्वाचन में भी ऑपरेशन कमल का इस्तेमाल किया जा रहा है।

श्री सिन्हा ने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी वाकई आदिवासियों का सम्मान करना चाहती है तो द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का नहीं प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाना चाहिए। मध्यप्रदेश देश में सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या वाला प्रदेश है। यहां से भाजपा ने किसी भी आदिवासी को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया।

इसका सीधा मतलब है कि भाजपा को स्वतंत्र और निष्पक्ष राष्ट्रपति चुनाव से डर लग रहा है। मैं निर्वाचन आयोग से और राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग आफिसर की भूमिका निभा रहे राज्यसभा के महासचिव से आग्रह करता हूं कि वे सत्ताधारी दल पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करें।

"ऑपरेशन कमल" का सही नाम होना चाहिए "ऑपरेशन मल" क्योंकि यह सत्ताधारी दल की गंदी राजनीति का पर्यायवाची बन गया है। इसका इस्तेमाल विपक्षी दलों को तोड़ने फोड़ने में किया जा रहा है और विपक्षी दलों की सरकार को गिराने में किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के अलावा भाजपा ने गंदे तरीके से कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल और हाल ही में महाराष्ट्र में सरकारें गिराईं। इस सब को देख कर मुझे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी महसूस हो रही है।

भाजपा ने लोकतंत्र के ऊपर जो सबसे ताजा हमला किया है उसमें भ्रष्ट, जुमलाजीवी, धोखा जैसे शब्दों को असंसदीय घोषित कर दिया जाना शामिल है। मैं इस वाहियात निर्णय की निंदा करता हूं अगर संसद में ईमानदार बहस पर रोक लगा दी जाएगी तो फिर संसद को ही क्यों नहीं बंद कर देते|

इसमें कोई बुराई नहीं है कि विधायक या सांसद राष्ट्रपति के चुनाव में अपने मन के प्रत्याशी को वोट देते हैं क्योंकि इस चुनाव में किसी तरह का व्हिप जारी नहीं होता और गुप्त मतदान से वोटिंग होती है। जहां संविधान के महान निर्माताओं ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि लोग अपनी चेतना की पुकार पर देश की सर्वाेच्च संस्था के लिए चयन कर सकें ना की सिर्फ दलीय आधार पर उन्हें ऐसा तय करना पड़े। इसलिए मैं सभी पार्टियों के विधायकों और सांसदों से मुझे वोट देने की अपील करता हूं। लेकिन मैं सत्ताधारी दल द्वारा अपनाई जा रही गंदी चालबाजी की निंदा करता हूं।

देश के 15 वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद विषम परिस्थितियों में हो रहा है। इससे पहले हमारे लोकतंत्र के सामने कभी इतनी सारी चुनौतियां एक साथ नहीं आई। अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से नीचे गिर रहा है। मौजूदा प्रधानमंत्री के कार्यकाल में रुपया 58.44 रुपए से घटकर 79.75 के स्तर पर आ गया है। अप्रत्याशित महंगाई ने लोगों का जीवन बेहाल कर दिया है। उदाहरण के लिए देखिए एलपीजी सिलेंडर की कीमत 2014 में 410 रू.थी आज भोपाल में सिलेंडर की कीमत 1058 रुपए है। यानी गैस सिलेंडर की कीमतों में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है रिकार्ड स्तर पर पहुंची बेरोजगारी के कारण नौजवानों को अपना भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है।

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