पूरे प्रदेश को बनाया बीमार  

डॉ. रागिनी नायक -राष्ट्रीय प्रवक्ता, मीडिया प्रभारी मध्यप्रदेश
विधान सभा चुनाव का बयान
ऐसा कोई सगा नहीं जिसको शिवराज ने ठगा नहीं
 चिकित्सा मिलना हुआ दुश्वार
पूरे प्रदेश को बनाया बीमार
 

Khabar Nation 
         
 भोपाल


 शिवराज सिंह के कुशासन में मध्यप्रदेश केवल प्रतीकात्मक रूप से ‘बीमारू’ नहीं है बल्कि सही में एक बीमार प्रदेश बन गया है। चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं की इतनी लचर व्यवस्था है। ये जो रोज़ शिवराज सिंह कहते रहते हैं ना कि ‘‘छोड़ूंगा नहीं-छोड़ूंगा नहीं’’ असल में इन्होंने तो जनता को ही कहीं ना नहीं छोड़ा, बीमार लोगों के साथ-साथ चिकित्सकों को भी ही कहीं का नहीं छोड़ा। यही कारण है कि इसी साल मई में 13,000 डॉक्टरों ने शिवराज सिंह सरकार के कुप्रबंधन के खिलाफ़ धरना दिया था।

नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि Health Index  (हेल्थ इंडेक्स) में मध्यप्रदेश 19 राज्यों में से 17वें नम्बर पर है यानि नीचे से तीसरे नम्बर पर। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO के अनुसार प्रति 1000 व्यक्ति पर कम से कम एक डॉक्टर होना चाहिए और मध्य प्रदेश में 3400 लोगों पर एक डॉक्टर है। 77,000 चिकित्सकों की आवश्यकता है और केवल 22,000 चिकित्सक काम कर रहे हैं। 5 साल तक के शिशुओं की मृत्यु दर 49.2 प्रतिशत है यानि जितने बच्चे पैदा होते हैं उनमें से आधे 5 साल की उम्र पूरी करने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।

पहले ग्रामीण अंचल की बात करती हूँ। मध्यप्रदेश के ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को 71 प्रतिशत आबादी की ज़रूरतें पूरा करने के हिसाब से तैयार होना चाहिए। लेकिन बदहाली का क्या आलम है मैं आपको बताती हूँ। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार -

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 97 प्रतिशत पद खाली हैं। 1180 पदों की आवश्यकता है, 945 स्वीकृत हैं और केवल 43 की भर्ती हुई है।

सामान्य चिकित्सकों के 1887 पद स्वीकृत हैं जिनमें से केवल 580 पदों पर भर्ती हुई है।

सर्जन के 295 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 6 सर्जन कार्यरत हैं यानि 97 प्रतिशत पद खाली हैं।

प्रसूति एवं महिला रोग विशेषज्ञ के 295 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 22 की भर्ती हुई है और 92 प्रतिशत पद खाली हैं।

फिज़िशियन के भी 295 पद स्वीकृत हैं जिनमें केवल 5 भरे हैं यानि 98 प्रतिशत पद खाली हैं।

बाल रोग विशेषज्ञों के 295 पदों में से 10 पदों पर भर्ती हुई है यानि 96 प्रतिशत पद खाली हैं।

मध्यप्रदेश में 16 जिले ऐसे हैं जहां Ventilator (वेंटिलेटर) ही नहीं है और 10 जिलों में आईसीयू बेड नहीं हैं।

अगर राजधानी भोपाल की ही बात कर लें तो यहां जनवरी में जहां 20 डेंगू के केस थे आज करीब 700 केस हो गए हैं। हर साल डेंगू का प्रकोप ये प्रदेश सहता है शिवराज शासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। राजधानी के 80 प्रतिशत अस्पतालों में आग से निपटने की व्यवस्था नहीं है। यहीं के गांधी मेडिकल कॉलेज में जनवरी में एक 27 साल की डॉक्टर ने और जुलाई में 14 हफ्ते की गर्भवती डॉक्टर ने ये कहते हुए आत्महत्या कर ली कि महिला चिकित्सकों के लिए काम करना नामुमकिन है।Work Culture में बहुत Toxic है। मध्यप्रदेश की, भोपाल की ये दोनों बेटियां ‘लाड़ली’ नहीं थीं क्योंकि तब चुनाव दूर था।

पिछले साल मई में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी को मप्र बुलाया गया और आनन-फानन में 400 करोड़ रू. की लागत के स्वास्थ्य संस्थानों का उद्घाटन और भूमि पूजन करवाया। भोपाल के ईदगाह हिल्स में बन रहे दो बड़े चिकित्सा संस्थानों का भूमि पूजन भी हुआ:- REGIONAL INSTITUTE OF RESPIRATORY DISEASES और  CENTRE OF EXCELLENCE IN ORTHOPEDICS.  एक 56 करोड़ की लागत का और दूसरा 84 करोड़ रू. की लागत का। दोनों का वहीं हाल है जो दरभंगा के AIIMS का है। पहले Airport Authority ने रोक लगायी फिर रक्षा मंत्रालय ने। अब तो भूमि पूजन की तख्ती भी वहां से नदारद है।
तो घोषणावीर शिवराज सिंह जी आपने NOC यानि अनापत्ति प्रमाण पत्र क्यों नहीं लिया? डबल इंजन की सरकार रक्षा मंत्रालय और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच संवाद क्यों नहीं करवा पायी? भारत के राष्ट्रपति का इतना अपमान क्यों करवाया? उनकी कही बात को इस कदर क्यों झुठलाया? उनकी छवि को धूमिल क्यों करवाया? केवल घोषणाओं पर तालियां बटोरने के लिए? आपकी घोषणाओं की तरह आपकी नैतिकता भी खोखली होती जा रही हैं।
भ्रष्टाचर इतने चरम पर है कि मध्यप्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य संचालक नोटों के गद्दे पर सोते थे। कुपोषित बच्चों के हलक से निवाला छीन कर यहां 110 करोड़ रू. का पोषण आहार घोटाला होता है। नर्सिंग घोटाला होता है। मरे हुए लोगों को एडमिट कर आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा होता है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार 8081 मरीजों का एक ही समय पर 213 अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा था।
इसके गोरखधंधे के ठीक विपरीत कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में 25 लाख का स्वास्थ्य बीमा और 10 लाख का दुर्घटना बीमा देने का वादा किया है। राजस्थान में हमने ये करके दिखाया और मध्यप्रदेश में भी वचन पूरा करेंगे।  

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