एप पर सिंचाई की डिमांड करेगा किसान और खेत लहलहाएंगे

 

जल संसाधन विभाग "गरोठ सूक्ष्म सिंचाई परियोजना" में अगला कदम

 OMS और SCADA के सहारे 21400 हेक्टेयर में की जा रही है सिंचाई

खबर नेशन / Khabar Nation

पश्चिमी मध्य प्रदेश में काले सोने की खेती के लिए प्रसिद्ध मंदसौर जिला इन दिनों प्रदेश सरकार के एक अनूठे अभियान की कहानी की शुरुआत कर रहा है । सिंचाई और पानी के अपव्यय को रोकने में आम जनता और सरकारी विभाग कैसे सफलतापूर्वक सहभागी बन सकते हैं ?  आने वाले समय में यह प्रयोग विश्व स्तरीय प्रेरणा का स्त्रोत बन जाएगा। 

OMS और SCADA प्रणाली के सहारे 21400 हेक्टेयर की "गरोठ सूक्ष्म सिंचाई परियोजना" में मध्य प्रदेश सरकार अब नया कदम उठाने जा रही है । जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक ऐप तैयार करवाया जा रहा है , जिसमें एप पर किसान सिंचाई के लिए पानी की डिमांड करेगा और उसके खेत में पानी मिलना शुरू हो जाएगा । इस सिस्टम में फसल के अनुरूप कंट्रोल रूम से सिंचाई प्रबंधन किया जाएगा ।

विकास ने रोका विकास ,  समन्वय से शुरु हुआ काम

इस परियोजना का रोचक किस्सा रहा जब विकास कार्य ने विकास को प्रभावित कर दिया। जिसके चलते यह योजना अपने लक्ष्य से 1000 हेक्टेयर पीछे रह गई। सूत्रों के अनुसार इस परियोजना क्षेत्र से 8 लेन का दिल्ली मुंबई इंड्रस्टियल कोरीडोर हाइवे निर्माणाधीन है । राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण  हाईवे के प्रस्ताव में इस योजना को सर्वे में शामिल नहीं किया गया। जिसके चलते दोनों में गफलत हो गई । एक बेहतरीन राजमार्ग बनाया जा रहा है । जिसके संरक्षण के लिए बनाए गए नियमों के मुताबिक एक निश्चित गहराई के नीचे ही पाइपलाइन सड़क के पार की जा सकती है। जिसको लेकर एन एच ए आई के ठेकेदार और जल संसाधन विभाग के बीच तनातनी हो गई । कई दौर की चर्चा में दोनों विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। तब जाकर मामला सुलझ पाया और परियोजना ने गति पकड़ी।

 

एप पर डिमांड और प्राब्लम

इस एप पर किसान सिंचाई में आने वाली समस्याओं को दर्ज कराने के साथ अपनी फसल का विवरण भी डालेगा। जिससे विभाग के अधिकारियों को सिंचाई का शेड्यूल बनाने में आसानी होगी। इससे एक फायदा किसानों को भी होगा कि वे अपना समय निर्धारित कर सकेंगे । जिससे वे खेत पर रहकर व्यवस्थित रूप से सिंचाई को अंजाम दे सकें । इसी के साथ कृषि विशेषज्ञों की सलाह भी एप पर उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया जाएगा। जिससे किसानों को भी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने में आसानी होगी।

 क्या है "गरोठ सूक्ष्म सिंचाई परियोजना" ?

मंदसौर जिले के गरोठ विधानसभा क्षेत्र की भानपुरा एवं गरोठ तहसील के लिए 21400 हेक्टेयर क्षेत्र में 62 ग्रामों के  32190 किसानों के लिए गांधी सागर जलाशय से जल उद्वहन कर 360.20 करोड़ रुपए की सिंचाई परियोजना 2016 में तैयार की जाएगी। परियोजना का क्रियान्वयन ऑफशोर इन्फ्रास्ट्रक्चर मुंबई ने किया है।
इस योजना के दो सिस्टम हैं रुपा सिस्टम और गरोठ सिस्टम

रुपा सिस्टम - रुपा सिस्टम के अंतर्गत 18 ग्रामों के 6400 हेक्टेयर क्षेत्र में दाबयुक्त जल से फब्बारा/ ड्रिप सिंचाई कराने के लिए रेवा पंप हाउस का निर्माण किया गया है। इसमें वर्टिकल टरबाइन पंप के 5 सेट हैं । हर पंप 527 लीटर पानी प्रति सेकंड निकालता है। जो पंप हाउस परिसर में ही बनी 29 मीटर ऊंची 380 किलोलीटर क्षमता की टंकी में जाता है । 394 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से 6400 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचित करता है। प्रेशराइज्ड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के माध्यम से 702 OMS (आउटलेट मेनेजमेंट सिस्टम) द्वारा पूरे इलाके को पानी उपलब्ध कराया जाता है।
गरोठ सिस्टम - इसके अंतर्गत 44 ग्रामों के 15000 हेक्टेयर क्षेत्र में दाबयुक्त जल पहुंचाने हेतु कॉंवली पंप हाउस का निर्माण किया गया है। इसके इंटक वेल की गोलाई 19 मीटर है और यह 23.4 मीटर गहरा है । इसमें वर्टिकल टरवाईन इनके 5 सेट हैं प्रत्येक पंप 1238 लीटर पानी प्रति सेकंड निकालता है यह पानी 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बनी 13 मीटर  ऊंची 891 किलोलीटर क्षमता की टंकी पर जाता है। कुल 996 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन से 15000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती है। यह सिस्टम प्रेशराइज डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के माध्यम से 702 ओ एम एस आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा कार्य करता है । 
उपलब्ध जल के अधिकतम उपयोग की दृष्टि से प्रत्येक 20 हेक्टेयर के चक पर एक अत्याधुनिक आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है।  जिसे केन्द्रीयकृत स्काडा प्रणाली से नियंत्रित किया जा रहा है । प्रत्येक 20 हेक्टेयर चक पर रोटेशन मैनेजमेंट पद्धति द्वारा 5 हेक्टेयर के सब चक में फार्मर एंड से सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जाता है । प्रत्येक 20 हेक्टेयर चक पर किसानों का एक ग्रुप बनाया गया है और इनमें से एक किसान को इस ग्रुप का मुखिया बनाया गया है।  प्रत्येक चक में लगाई जाने वाली फसल की जानकारी स्काडा ( सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्टिवेशन)  कंट्रोल कक्ष में सांझा कर किसानों को पूर्व निर्धारित समय पर निर्धारित मात्रा में न्यूनतम 20 मीटर दाब पर स्प्रिंकलर/ ड्रिप पद्धति से सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जा रहा है । 
योजना के अंतर्गत बिजली आवश्यकता की पूर्ति हेतु 7 मेगा वाट का सोलर प्लांट ग्राम राता गुड़िया में स्थापित किया जा चुका है । प्रदेश में यह प्रथम परियोजना है ।  जिसके अंतर्गत विद्युत खपत हेतु 7 मेगा वाट के सोलर प्लांट का निर्माण किया गया है । योजना कार्य में अधिकतम विद्युत खपत 5.30 मेगावार् आंकलित है।  वर्तमान में योजना का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाकर योजना द्वारा विगत 2 वर्षों से चरणबद्ध रूप से सिंचाई हेतु किसानों को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना में स्प्रिंकलर/ड्रिप पद्धति से सिंचाई की जाती है। जिससे उपलब्ध जल की एक एक बूंद का उपयोग करते हुए किसानों द्वारा कम पानी के उपयोग से ही अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा।

परंपरागत खेती के मोह में नई तकनीक से दूरी

सिंचाई परियोजना को लेकर  किसानों ने परंपरागत खेती के मोह में नई तकनीक से दूरी बनाना शुरू कर दिया । परियोजना के तहत स्प्रिंकलर से ही सिंचाई की जा सकती है और किसान अपने परंपरागत तरीके को छोड़ने तैयार नहीं हो रहे थे। परियोजना के प्रचार प्रसार के लिए जब विभाग के अधिकारी किसानों को समझाने गये तो किसानों का कहना था कि पहले परियोजना में पानी तो आने दो। पानी आ गया तो परंपरागत खेती को लेकर किसान अपना राग अलापने लगे। इसी के साथ किसान आपस की जाति दुश्मनी निकालने और अपने खेत में पानी की अधिक उपलब्धता के लिए पाइपलाइन में तोड़फोड़ और वाल्व चोरी करने लगे। ऐसे मामलों में  पुलिस एफआईआर की धमकी देना पड़ गई।
परियोजना का उद्देश्य बताते हुए अधिकारियों का कहना है कि जब सभी किसान अपने अपने खेतों में स्प्रिंकलर लगवा लेंगे तो यह परियोजना आश्चर्यजनक परिणाम देने लगेंगे । इसे सफल बनाने के लिए जल संसाधन विभाग ने स्वयं का अंतरालिया में एक डेमो फार्म तैयार करवाया है। विभिन्न स्तरों पर स्प्रिंकलर बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर किसानों से परिचर्चा करवाते हैं। फिल्म के माध्यम से आ रहे बदलाव दिखाते हैं। परियोजना को सफल बनाने के पीछे जी जान से जुटे अधिकारियों का कहना है कि ऐसी परियोजना देश में गिनी-चुनी हैं और वैश्विक स्तर पर बदलाव करने का सफल परिणाम दे सकती हैं।

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