घबराई ,सरकार आय ए एस असोसिएशन के कंधे पर बंदूक रख चला रही है

 

 

खबर नेशन /Khabar Nation

 

आई ए एस असोसिएशन के अध्यक्ष आईपीएस केसरी का मुख्य सचिव को सम्बोधित पत्र काँग्रेस सरकार के इशारों पर भाजपा नेताओं के खिलाफ लिखा गया है,उस पर कई अधिकारियों से पृष्ठांकित करने के लिए लालच भी दिया जा रहा है।क्या ये सत्ता की  चाटूकारिता में ये लोकसेवक इतने रीढ़ विहीन हो गए हैं, कि इन्हें इस भेड़ चाल में गान्धारी की तरह आँख पर पट्टी बांधना पड़ रही है।

आज जारी बयान में खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष श्री गोविन्द मालू ने कहा कि '"वेतन भोगी इस काजल की कोठरी के कर्मचारियों को अपनी डिग्निटी, मर्यादा का ध्यान नहीं और दूसरों की सफेदी के न्यायाधीश बनने की कोशिश में काँग्रेस कार्यकर्ता बनने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं, जो निन्दनीय है।

आपने कहा कि जब पूरा देश उस कथित झापड़ वीडियो को देख रहा है,जो ज्यादती का प्रत्यक्ष प्रमाण है, इसके बावजूद अपने साथी अधिकारी को हिदायत देने के बजाय, जनता से  गलत व्यवहार के साथ असोसिएशन का खड़ा होना, लोकसेवकों का दलगत राजनीति में पड़ने जैसी अनुशासन हीनता है।

श्री मालू ने केसरी से सवाल किया कि क्या झापड़ "डिग्निफाइड कंडक्ट"था?क्या लॉ एंड ऑर्डर के लिए ड्यूटी बाउंड कंडक्ट था?

आपने कहा कि यह थप्पड़ किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ होता तो हम उसे DOPT में शिकायत करने का कहते,और अधिकारी  दण्डित होता जिसमें उनका कैडर भी बदल सकता था ,लेकिन यह अपराध व्यक्ति नहीं विचारधारा पर कारित किया जो लोकतांत्रिक तरीके से मुकाबिल होना था।

श्री मालू ने कहा कि ,राजगढ़ के इतिहास में हुई  महती सभा  में जिसमें हमारे यशस्वी अध्यक्ष राकेश सिंह,अपने यशस्वी कार्यकाल से लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी,जन नेता राष्ट्रीय महासचिव श्रीकैलाश विजयवर्गीय,कुशल प्रशासक नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव जब इस काण्ड पर दहाड़े तो,  घबराहट में सरकार की चूलें हिल गई,इसी कारण  यूनियन के कंधे पर बन्दुक रख सरकार चलवा रही,जिसका निशाना ग़लत जगह लग रहा है,इसका खामियाजा भी ऐसे कृत्य का समर्थन करने वालों को भविष्य में भुगतना ही होगा।

श्री मालू ने कहा कि मेरी विनम्र सलाह है कि, सरकारें आती जाती रहेंगी,लेकिन असोसिएशन को भी अपनी डिग्निटी कायम रखते हुए ऐसी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए,और सदस्यों को अपने कर्तव्य के प्रति भी सचेत करते रहना चाहिए।अधिकार के नाम पर लड़ने और कर्तव्य के नाम पर चौकने की आदत नहीं होना चाहिए।

 

 

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