शिवराज का शो सुपरफ्लॉप

तो क्या राहुल की सभा हजार बारह सौ की होगी..?

खबरनेशन / Khabarnation

1 जून से शुरू होने वाले दस दिवसीय किसान आंदोलन से भयाक्रांत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार और भारतीय जनता पार्टी का मंदसौर सम्मेलन सुपरफ्लॉप साबित हुआ हैं। सुपरफ्लॉप इस मायने में कि छः जून को मंदसौर में उग्र आंदोलन के चलते गत वर्ष किसानों पर गोलियां चलाई गई। जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई थी। मंदसौर के घटनाक्रम के बाद मध्यप्रदेश के राजनैतिक हालात बहुत तेज से बदले और शिवराज सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटीइनकम्बेंसी हैं और शिवराज सरकार इसे दूर कर पाने में जबरदस्त तरीके से असफल साबित हुई हैं। इस बार फिर किसान आक्रोशित हैं और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं।

इसी दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर आ रहे हैं। पिछले सप्ताह भर से शिवराज सरकार और भाजपा पूरी ताकत लगाकर राहुल के सम्मेलन को असफल करने की भरपूर करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले सप्ताह भर से ही शिवराज सरकार किसान आंदोलन की आड़ में कांग्रेस पर उपद्रव और हिंसा फैलाने के आरोप लगा रही हैं। कल 48 घंटे पहले किसानों के बीच पहुंचे सीएम शिवराज सिंह चौहान का कहना था कि मेरे शांति के टापू को बचा लो भाईयों, कांग्रेस प्रदेश में अराजकता, हिंसा की आग, खून-खराबा फैलाना चाहती हैं। उनके ईरादे पहचानों और इनके बहकावे में मत आओं। इस दौरान शिवराज किसानों के हित में की गई घोषणाओं और क्रियान्वयन को लेकर भी अपना दावा ठोकते रहें। हालांकि शिवराज ने यह बात मंदसौर में असंगठित श्रमिक सम्मेलन में कहीं लेकिन मामला किसानों की पुचकार से ही संबंधित था।

गौरतलब हैं कि इस सम्मेलन को सफल बनाने इंदौर उज्जैन संभाग और मंदसौर, नीमच के समीपवर्ती जिलों से भारी मात्रा में किसान और असंगठित श्रमिकों को बुलवाया गया था। लेकिन इस सम्मेलन में बमुश्किल 10 से 15 हजार लोग ही जुट पाएं। सम्मेलन पर भाजपा से जुड़े सूत्रों ने कहा कि मंदसौर नीमच में आम जनता और किसानों के बीच जबरदस्त नाराजगी हैं और कार्यकर्ताओं के भरपूर प्रयासों के बाद भी यह नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इनका कहना था कि ऐसी स्थिती में इस सम्मेलन को सफल ही माना जाना चाहिए। अगर राजनैतिक नजरिये से देखें तो यह मान लिया जाये कि कल जो रैली मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान ने मंदसौर में की उस को एक तरह से असफल ही कहा जायेगा...? भाजपा कार्यकर्ताओं का यह भी कहना था कि तीखी गर्मी के कारण भी कार्यक्रम में आगुन्तक कम आए। 

एक राजनैतिक विश्लेषज्ञ का कहना था कि अगर शिवराज की सभा में इतनी कम भीड़ हैं तो क्या राहुल गांधी की सभा हजार बारह सौ की होगी.. ? उनका यह तंज कांग्रेस की धीमी गति की चाल और भाजपा द्वारा सम्मेलन को सफल बनाने में लगाई जा रही ताकतें और राहुल गांधी की सभा को फ्लॉप करने की तैयारियों को लेकर था।

इस तरह से बात करने के पीछे बहुत सारे कारण आम तौर पर नजर आ रहे हैं। सब से पहले तो रैली में भीड बहुत ज्यादा नहीं थी और इस की आदत शायद चौहान को भी नहीं होगी। इस भीड का कम होना इस कारण से भी समझ से परे हैं क्योंकि भाजपा ने लोगों को जमा करने के लिये बहुत दम लगाया था।

पर इस दम के लगाने के बाद भी रैली में भीड उम्मीद से बहुत ही कम रही। इस रैली का महत्व इस कारण से हैं क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जून माह में मंदसौर आ रहे हैं। पिछले साल मंदसौर में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी और इस की बरसी पर ही राहुल आ रहे हैं।
 

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