शिवराज के सेल्फ रिटायरमेंट प्लान पर गिरा पानी

 

खाली करना पड़ेगा सरकारी बंगला

खबर नेशन / khabar Nation

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खुद के रिटायरमेंट प्लान पर पानी फिरता नजर आ रहा है । शिवराज के राजनीतिक भविष्य को लकी बनाने वाला सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है। भोपाल के पॉश इलाके 74 बंगले का बी-8 उन्हें खाली करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि नियमों को शिथिल कर मुख्यमंत्री आवास के अलावा यह दूसरा बंगला आवंटित करा रखा है। मुख्यमंत्री बनने के पूर्व शिवराज को यह बंगला सासंद की हैसियत से दिया गया था । मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज मुख्यमंत्री आवास में तो चले गये लेकिन इस बँगले को उन्होंने खाली नहीं किया । हर साल इस बंगले के मेंटेनेंस पर खासा सरकारी खर्च किया जाता है ।
गौरतलब है कि इस दूसरे बंगले में शिवराज के परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता है । हाल ही में शिवराज की धर्म पत्नी साधना सिंह के अखिल भारतीय क्षत्रिय  किरार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर कार्यालय खोला गया है।
गौरतलब है कि कल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की खण्डपीठ द्वारा एक याचिका पर पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से आवंटित किए गए निशुल्क सरकारी आवास एक माह में खाली कराए जाने के निर्देश दिये गए हैं। इस फैसले के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह , कैलाश जोशी, उमा भारती को सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी आवास आवंटित करने वाले गृह विभाग के मातहत आने वाले संपदा संचालनालय के नियमों के मुताबिक किसी भी सांसद , विधायक या जनप्रतिनिधि को क्षेत्र , राजधानी या अन्य जगह पर एक आवास रखने की पात्रता है । प्रदेश के कई सांसदो ने भोपाल में भी और दिल्ली में भी आवास आवंटित करा रखा है। इसी प्रकार प्रदेश के कई मंत्री एवं विधायकों ने राजधानी भोपाल और अपने गृह या निर्वाचन क्षेत्र में भी सरकारी आवास आवंटित करा लिया है । इन्हीं की देखादेखी पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश काँग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मध्यप्रदेश सरकार को भोपाल में सरकारी आवास आवंटित किए जाने के लिए पत्र लिखा था।

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