18 मामलों में संज्ञान
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोेग, भोपाल (म.प्र.)
भोपाल
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी एवं सदस्य श्री राजीव कुमार टण्डन ने विगत दिवसों के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित प्रथम दृष्टया मानव अधिकार उल्लंघन के ’18 मामलो में’ संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।
संदिग्ध हालत में हुई मजदूर की मृत्यु
भोपाल शहर बैरसिया थानाक्षेत्र स्थित वसई के वार्ड क्रमांक-तीन में एक नवविवाहिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस का कहना है कि फिलहाल कारणों का खुलासा नहीं हो सका है, जबकि परिजनों ने ससुराल पक्ष पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव पीएम के बाद परिजन को सौंप दिया है। पुलिस के अनुसार ग्राम वसई वार्ड क्रमांक-तीन निवासी राधिका मोगिया (23) का विवाह करीब चार साल पहले गणेशपुरा थाना गुलाबगंज, जिला विदिशा में रहने वाले कोमल सिंह से हुआ था। पिछले कुछ दिनों से राधिका मायके में रह रही थी। गुरुवार सुबह करीब साढ़े 11 बजे राधिका ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
जेके टाउन में सीवेज लाइन ध्वस्त, चैंबर खुले
भोपाल शहर के कोलार वार्ड 82 की कॉलोनी जेके टाउन में सीवेज लाइन 25 साल पुरानी होने के कारण कई जगह से टूट गई है। इस कारण पूरी कॉलोनी में गंदे पानी से रहवासी परेशान हो रहे हैं। इतना ही नहीं कॉलोनी में सीवेज लाइन के ढक्कन यानी चेंबर खुले पड़े हैं, जिससे गंदगी सड़कों पर बहकर बदबू और गंदगी फैला रही है। लाइनों के फूटने से यह गंदा पानी खाली प्लॉट में जमा होकर मच्छर-मक्खियों को जन्म दे रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है। साथ ही सीवेज लाईन को ठीक कराने के प्रयासों की जानकारी भी मांगी है।
सुरक्षा उपकरण के बगैर ही चैंबर की सफाई के लिए युवक को उतारा, निगम ने किया जुर्माना
भोपाल जिले में ओवरफ्लो हुए सीवेज चेंबर की सफाई करने के लिए प्राइवेट सफाईकर्मी को सीवेज में उतारना एक युवक को भारी पड़ गया। नगर निगम की ओर से नाले में युवक को उतारने वाले बुधवारा निवासी एक युवक पर 1500 रुपए का जुर्माना लगाया। बीते मंगलवार की शाम को यहां का सीवेज चेंबर फुल हो गया था। ऐसे में बुधवारा निवासी युवक ने इसे साफ कराने के लिए नगर निगम से संपर्क किया था। लेकिन, कोई सफाई करने नहीं पहुंचा। ऐसे में उन्होंने प्राइवेट में नाले को साफ कराया। इसका वीडियो भी बनाया गया था जो वायरल हो रहा था। निगम के अधिकारियों ने इस मामले में कार्रवाई करने को कहा। पहले संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी थी। हालांकि, मशविरे के बाद जुर्माना लगाने की कार्रवाई की गई। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन 15 दिन में मांगा है।
प्रसव के बाद आरक्षक की पत्नी की मौत, गलत इलाज का आरोप
भोपाल जिले के रोशन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते बीते गुरुवार को 33 वर्षीय महिला स्वाति सोनी की डिलीवरी के बाद मौत होने का मामला सामने आया है। मृतक के परिजनों ने बताया कि 18 जून को अस्पताल में भर्ती किया था। बीते गुरुवार शाम प्रसव हुआ। इसके बाद मौके पर मौजूद नर्साें ने उन्हें खून की कमी बताई। हमें खून लाने के लिए अर्पणा पैथोलाजी भेजा गया। खून चढ़ाने के दो मिनट बाद ही उन्हें कंपकपी आने लगी। साथ ही सांस फूली व हिचकी आने लगी और मौत हो गई। दो दिन का नवजात भी पीलिया पीड़ित है। उसे आनन-फानन में निजी चिल्ड्रन अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। मृतक महिला के भाई ने बताया कि इस दौरान वहां कोई भी डाक्टर मौजूद नहीं था। प्रसव होने के बाद से अस्पताल प्रबंधन इलाज में लापरवाही बरत रहा था। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं चढ़ाए गए ब्लड का सैंपल भी ले लिया है। थाना ऐशबाग में इस मामले की एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है। स्वाति के पति नितेश सोनी ने बताया कि तीन दिन पहले ही उसने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन गुरुवार को डिलीवरी कराने वाली डॉ. रजनी सुखेजा छुट्टी पर चली गईं। इसके चलते यहां एक मौजूद स्टाफ ने खून की कमी बताकर गलत तरीके से खून की बॉटल चढ़ाई। जिसके बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी। मामले मे संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
बदहाली में स्कूल, बच्चे कैसे पढ़ें देश संवारने का पाठ
भोपाल जिले मंे स्कूल शिक्षा के हाल देखने हों तो आपको कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। इसके उदाहरण राजधानी भोपाल में ही एक नहीं कई मिल जाएंगे। वीवीआइपी इलाके राजभवन से सटी रोशनपुरा बस्ती है। यहां 25 वर्षों से शासकीय प्राथमिक शाला संशनपुरा सामुदायिक भवन में लगती है। यहां ना तो शौचालय की व्यवस्था है और न ही पानी की। कक्षाएं गोल-गोल घेरे में लगाई जाती हैं और अलग-अलग बोर्ड पर पढ़ाई होती है। ऐसा ही कुछ हाल मंत्रालय से कुछ ही दूरी पर मालवीय नगर स्थित शासकीय अथमिक शाला, पत्रकार भवन का है। जहां एक कमरे में पांच कक्षाएं लगाई जाती हैं। कहीं 79 बच्चों पर सात शिक्षक हैं तो कहीं 22 बच्चों पर तीन। जबकि, प्रदेश के 22 हजार सरकारी स्कूल ऐसे भी हैं, जहां पूरा दारोमदार एक-एक शिक्षक पर है। दावे तो तमाम किए जाते हैं पर इस व्यवस्था में सुधार पर किसी का ध्यान ही नहीं है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर शासकीय प्राथमिक शालाओं के भवनों में व्याप्त अधोसंरचनात्मक समस्याओं के समाधान हेतु जांच कराकर यथाशीघ्र उनके निराकरण हेतु की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है। साथ ही इन विद्यालयों में गतवर्ष के अनुभव से व्याप्त अव्यवस्थाओं के संबंध में नये शैक्षणिक सत्र के पूर्व या वर्षाकाल प्रारंभ होने के पूर्व कोई कार्यवाही नहीं किये जाने का युक्तियुक्त कारण भी प्रेषित करें।
कठिन है डगर स्कूल की......
भोपाल जिले के पाश इलाके शाहपुरा स्थित शासकीय प्राथमिक शाला की तस्वीर मीडिया समाचार द्वारा जारी की गई। जिसमें इसक स्कूल के सामने कलबे का ढेर है तो नाला भी खुला पड़ा है। स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक 89 विद्यार्थी पढ़ते हैं। बच्चे स्कूल तक पहुंच सकें, इसलिए शिक्षकों ने नाले पर फर्शियां रखकर रास्ता बनाया है। शहर में बीते शुक्रवार तड़के पहली तेज बौंछारें पड़ीं और नाले की दीवार भी गिर गई। ऐसे में वर्षा में नाला उफनेगा तो विद्यार्थियांे के लिए बड़ा खरा बन जाएगा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, भोपाल एवं जिला परियोजना समन्वयक, भोपाल से मामले की जांच कराकर प्राथमिक शाला के बच्चों के स्कूल आवागमन के लिए सुरक्षित उपाय किये जाने है के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
पानी टैंकर भेजने एक घंटे वाट्सएप पर उलझते रहे अफसर, चली गई तीन जानें
ग्वालियर जिले के कैलाश नगर में बीते बुधवार-गुरूवार की दरमियानी रात हुए हृदय विदारक अग्निकांड में जब पूरा मोहल्ला आग में जल रहे पिता और दो बेटियों को बचाने के लिए मशक्कत कर रहा था, उस समय नगर निगम के अफसर टैंकर चालकों की तलाश में वाट्सएप पर एक घंटे तक उलझ रहे थे। चार टैंकर यदि समय पर पहुंच जाते तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को पानी भरने के लिए मोतीझील या स्टेडियम नहीं जाना पड़ता। पड़ोसियों ने रात डेढ़ बजे मकान से लपटें निकलती देखीं तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस कंट्रोल रूम पर रात 2ः07 बजे सूचना दी गई। कंट्रोल रूम ने फायर ब्रिगेड ऑफिस को 2ः10 बजे जानकारी दी। 2ः11 बजे आनंद नगर सब स्टेशन से पहली गाड़ी मौके के लिए रवाना हुई। लेकिन दूसरी गाड़ी को आने में पौन घंटा लग गया। अफसरों की टालमटोल का आलम यह था कि रात 3 बजे टैंकरों की मांग आई तो, पहले अफसरों ने इसे टाला। इसके बाद 3ः25 बजे ग्रुप में निगमायुक्त ने टैंकर भेजने का मैसेज डाला। इसके बाद सुबह 4 बजे टैंकरों की रवानगी हो पाई, तब तक देर हो चुकी थी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि छोटी बेटी की सांस चल रही थी, लेकिन एंबुलेंस में आॅक्सीजन नहीं थी। समय पर आॅक्सीजन सपोर्ट न मिल पाने के कारण रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, आयुक्त, नगर निगम एवं सीएमएचओ, ग्वालियर से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
न इलाज, न दवाइयां, ताला देखकर लौट जाते हैं मरीज
गुना जिले मंे स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा करने और नई-नई योजनाएं लॉन्च करने के सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। एक तरफ जिला मुख्यालय स्थित सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना अव्यवस्थाएं सामने आ रही हैं तो वहीं आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों की हालात तो बद से बदत्तर हो गई है। इन केंद्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ और तुरंत स्वास्थ्य लाभ के लिए खोला गया है। लेकिन धरातल पर हालात बिलकुल उल्टे हैं। आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर दवाइयां और उपचार मिलना तो दूर की बात है यहां लोगों को स्टाफ ही मौजूद नहीं मिलता है। अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटका मिलता है। मीडिया द्वारा विभिन्न केंद्रों का जायजा लिया तो ब्लॉक के खड़ेला, बागेरी, पाड़ौन, हमीरपुर जैसे कई हेल्थ सेंटर बंद मिले। ग्रामीणों से चर्चा करने पर सामने आया है कि उन्हें वैसे भी केंद्र खुलने की ज्यादा उम्मीद नहीं रहती है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदश्ेा मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ एवं कलेक्टर, गुना से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
डूब रहे भांजे को बचाने कुएं में कूदा मामा भी डूबा, दोनों की मौत
उज्जैन जिले में शराब के नशें में पत्नी से विवाद पर युवक कुएं में कूद गया। उसे बचाने के लिए मामा राजाराम बागरी कुएं में कूदे तो वह भी डूबने लगे। शोर सुनकर ग्रामीण एकत्रित हो गए। ग्रामीणों द्वारा दो घंटे की तलाश के बाद उन्हें बाहर निकाला गया। डूबने से दोनों मामा-भांजे की मौत हो चुकी थी। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, उज्जैन से मामले की जांच कराकर मृतकों के उत्तराधिकारियों को शासन की योजना/नियमानुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि के संबंध में की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
आदिवासी महिला को सरपंच और साथियों ने बेरहमी से पीटा
धार जिले के टांडा में एक आदिवासी महिला अपने पति और बच्चों को छोड़कर किसी और के साथ चली गई तो लोगों ने डंडों से जमकर उसकी पिटाई कर दी। कोंदी गांव में पिथनपुर सरपंच ने तीन लोगों के साथ महिला को जमकर पीटा। इसका वीडियो वायरल हुआ है। बताया जा रहा है कि वीडियो बीते गुरूवार का है। एस.पी. श्री मनोज कुमार सिंह ने बताया कि वीडियो के आधार पर सरपंच को गिरफ्तार किया गया है। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, धार से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
मुरैना में मगरमच्छ के हमले से महिला की मौत
मुरैना जिले की चंबल नदी में अपने मवेशियों को पानी पिलाने गई महिला पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। इसमें उसकी मौत होग गई। रायपुर पंचायत के बिहार का पुरा गांव निवासी 58 वर्षीय शीला निषाद राजे की तरह बीते शुक्रवार को सुबह भी चंबल के घाट पर भैंस को पानी पिलाने ले गई थी। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने डीएफओ, मुरैना तथा कलेक्टर, मुरैना से मामले की जांच कराकर मृतका के वैध उत्तराधिकारियों को शासन की योजना/नियमानुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि के संबंध में की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
शुरू नहीं हो पा रही माइनर ओटी, क्योंकि नर्सिंग स्टाफ नहीं है
ग्वालियर शहर के जिला अस्पताल मुरार में बिना प्लानिंग के ही कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इस करोड़ों से संसाधन खराब हो ही रहे हैं, व्यवस्थाएं भी बिगड़ रही है। पिछले छह माह से करोड़ो रूपयों की लागत से अस्पताल की नई बिल्डिंग में माइनर ओटी बनकर तैयार है। बस यह शुरू नहीं हो पा रही है। क्योंकि नर्सिंग आॅफिसर की कमी है। जिला अस्पताल का रिकार्ड देखें तो पता चलता है कि यहां 100 से अधिक नर्सिंग आॅफिसर व स्टाफ की जरूरत है। नर्सिंग स्टाफ नहीं होने से अस्पताल के अन्य विभागों में व्यवस्थाएं भी बिगड़ रही है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं (म.प्र.), संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
करंट की चपेट में आई दो भैंस की मौत
मंडला जिले में बिजली लाइन के टूट जाने से दो भैंस की मौत हो गई। घटना बीते शुक्रवार की रात 10-11 बजे की है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत भवन सुभरिया के पास पुसा बरकडे के मकान के सामने दो भैस बंधी हुई थी। रात में ही सूचना विद्युत विभाग के कर्मचारियों को दी गई। लेकिन, बीते शनिवार की सुबह 8.30 तक कर्मचारी नहीं पहुंचे। घटना के बाद से ही पूरे गांव में बिजली गुल रही। जिससे लोगों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कार्यपालन यंत्री म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लि. मंडला से मामले की जांच कराकर मृतक पशुओं के संबंध में उनके स्वामी को शासकीय योजना/नियमानुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि तथा घटना स्थल से टूटे हुए विद्युत तारों को हटवा कर जनसुरक्षा के संबंध में की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
सिंगोली स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं थम रही मनमानी
नीमच जिलेे से 80 किमी की दूरी पर आमजन को राहत देने के लिए शासन द्वारा क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह खुद अचेतावस्था में है। स्वास्थ्य विभाग ने यहां पर आधा दर्जन डाक्टरों की नियुक्ति की है। लेकिन, ड्यूटी समय पर एक ही डाक्टर उपस्थित होता है। जिला मुख्यालय से दूरी होने के कारण यहां अस्पताल में निजी अस्पताल और लैब टेक्नीशियन से मिलीभगत का खेल लंबे समय से फल-फूल रहा है। पहले सोनोग्राफी करवाने से लेकर प्रसूता महिलाओं को निजी अस्पताल में रेफर कर वहां प्रसव करवाने का दबाव स्वजन पर बनाया जाता रहा है। अब डाक्टर मरीजों को जांच करवाने के लिए स्वयं के द्वारा निर्धारित पैथालाजी लैब पर जाकर जांच करवाने व अन्य लैब पर जांच सही नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर नीमच एवं सीएमएचओ, नीमच से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
बकरी चराने गये बालक की करंट लगने से मौत
नीमच जिले के विकासखंड के गांव कड़ी आंतरी में बकरी चराने गए बालक की करंट लगने से मौत हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक कुकडेश्वर थानाक्षेत्र के गांव कड़ी आंतरी में निवासी रोहन पिता मनजीत बांछड़ा उम्र 10 वर्ष खेत पर बकरियां चराने के दौरान पांव बिजली के तारों पर लग गया। जिसे परिजन मनासा शासकीय चिकित्सालय लेकर पहुंचे। जहां पर डाॅक्टरों ने उक्त बालक को मृत घोषित कर दिया। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कार्यपालन यंत्री म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि., नीमच से मामले की जांच कराकर मृतक बालक के परिजन को शासकीय योजना/नियमानुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि के संबंध में की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
टंकी से रोजाना हजारों लीटर पानी हो रहा बर्बाद
मंडला जिले में एक तरह नगरपालिका द्वारा आमजनों को पानी बचाओ का संदेश दिया जा रहा है तो वहीं शहर में जगहों में रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। शहर में महात्मा गांधी वार्ड में बनी पानी की टंकी से रोजाना बड़ी मात्रा में पानी नालियों में बहकर नर्मदा नदी में समा रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमओ, नगर पालिका, मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
महाराजपुर में जर्जर पुलिया से हादसे का खतरा
मंडला जिले के उपनगर महाराजपुर में ज्वालाजी मंदिर के पास पुलिया पिछले लंबे समय से टूटी पड़ी है। जिससे यहां विशेष रूप से रात्रि में दुर्घटना की आशंका बन रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पिछले कई दिनांे से पुलिस क्षतिग्रस्त है लेकिन सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि स्कूल खुल गये हैं, बच्चे कोई पैदल तो काई साइकिल से स्कूल आना-जाना कर रहे हैं। जहां ये पुलिस क्षतिग्रस्त है यहां मोड़ होने के कारण दूर से इसके क्षतिग्रस्त होने का अनुमान नहीं लगा पता है। जिससे दुर्घटना का खतना बना रहता है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, मंडला से मामले की जांच कराकर जनसुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय कराये जाने के संबंध में की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
बारिश के समय शवों के दाह संस्कार में हो सकती है भारी परेशानी
मंडला जिले के ग्राम पंचायत भीखमपुर में मुक्तिधान के हाल बेहाल है। यहां बैठने की व्यवस्था तो दूर खड़े रहने के लिए धूप और बारिश के मौसम के चलते टीन शेड की सुविधा तक नहीं है। जिसके कारण शवों के दाह संस्कार के लिए ग्रामीणों को यहां खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, मंडला से मामले की जांच कराकर मुक्तिधान में उचित व्यवस्था कराकर मृतकों के सम्मानजनक एवं सुरक्षित दाह संस्कार की सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के संबंध में की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।