मध्यमवर्गीय जो कारुणा स्वाभिमान के बीच परेशान शासन का ध्यान अपेक्षित है: पवनघुवारा

समाजसेवी भूमिपुत्र पवनघुवारा ने बताया कि धरती की विषम परिस्थितियों,में शांत सूर्य का प्रकाश मानो जैसे कह रहा हो कि जरा छत पर तो आओ पूरा भारत एक साथ खड़ा है। मानवीय जीवन के बीच जहाँ पशु पक्षी भी रहते है सम्बन्धों में देखना,अच्छा लगना,चाहना,पाना लेकिन सबसे कठिन है..निभाना,पानी दरिया में हो या आँखों में, गहराई और राज़ दोनों में होते हैं!आज करोना वायरस के कारण पूरे मानव समाज पर संकट आ गया हे पालनहार लक्ष्मण रेखा मे रहना ये ज़िन्दगी की पहली *ऐसी दौड़ होगी जिसमें रुकने वाला जीतेगा, साथ ही भूमिपुत्र मे कहा कि  जहाँ इतिहास कुचला जाये समझो भविष्य का भी कुचला होना तय"! " जहाँ इतिहास को साथ रखा वहाँ भविष्य भी साथ रहता"!! 
विकल्पों से भरी इस दुनिया तमाममें रिश्तों"का कोई विकल्प नहीं स्वयं की, परिवार की और देश की रक्षा के लिए घर में रहकर ही सुरक्षित रहें !सामाजिक दायित्वों को दृष्टिगत रखते हुए आसपास के जरूरतमंद कुछ वह मध्यमवर्गीय परिवारों जिनको शासन से अनेको सुविधाओं का लाभ नही मिलता या वह भी वंचित है ओर वह किन्ही कारणो वश या स्वाभिमान के बीच अपनी बात नहीं रख पाता है अथवा कह नही पा रहा है पवनघुवारा ने शासन का ध्यान अपेक्षित क्योंकि वह मध्यमवर्गीय परिवार जो ना तो गरीबीरेखा मे है ना ही उज्जवला योजना ना ही अन्य किसी भी शासकीय सुविधाओं के लाभ लेते लेकिन कोरोना वायरस के चलते लाॅकडाउन की स्थिति निर्मित है, कई विभिन्न विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है ।।
 

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