श्री रामजी प्रेरणा से राष्ट्र साधना में लीन हो "रामराज्य" की अवधारणा का उद्भव करते "श्री नरेंद्र मोदी" 

खबर नेशन / Khabar Nation

जन्मदिन पर सरकार के आठ वर्षों का रामराज्य के सन्दर्भ में विश्लेषण!

मेरी आध्यात्मिक अनुभूति कहती है की "अवतार" कोई एक बार की घटना नहीं है भारत जैसी पुण्य धरा पर यह निरंतर चलने बाला उपक्रम है, यह निरंतर होते रहे हैं और होते रहते हैं, भले ही हमारे ज्ञान चक्षु उन्हें समझ पाएँ अथवा नहीं!

भगवान श्री कृष्ण के साथ खेलते हुए सखाओं को यह तनिक भी अहसास होता कि उनके साथ माखन चुराने वाला ग्वाला साक्षात् नारायण है, तो मुझे लगता है कि मित्र सुदामा उनसे यह हठ न करते कि आप मेरी गेंद कालिया नाग के सरोवर से लेकर आओ चाहे कुछ भी हो.... गोपियाँ उनके माखन चुराने की लीला पर यशोदा माँ को ताना और उलाहना न देती! अपितु समूचा माखन स्वयं ही उनके समक्ष प्रस्तुत कर देतीं....कहने का अर्थ है की हमारे ही बीच में साधारण से दिखने वाले असाधारण लोग आते हैं, असंभव कार्यों को संभव करके चले जाते हैं और बहुत समय बाद जब उनका मूल्यांकन होता है तब समझ आता है की वो कोई असाधारण अवतार थे!

माँ कौशल्या प्रभु श्री राम को ताड़का - सुबाहु के वध और शिवधनुष के भंजन के बाद अयोध्या लौटने पर गोद में लिटाकर दुलार करती हैं और आश्चर्य और कौतुक से विचार करती हैं की इस नन्हे बालक ने ये कैसे किया होगा ? फिर स्वयं ही राम जी से कहती हैं

-सकल अमानुष करम तुम्हारे, केवल कौशिक कृपा सुधारे...

अथार्त हे राम तुम्हारे यह कार्य अमानुष हैं जो तुमने कर दिए, मतलब मनुष्य के वश के कार्य नहीं हैं यह तो गुरु कृपा विश्वामित्र जी के कारण संभव हो गए....मतलब माँ के मन में यह विमर्श चलता रहता है कि कुछ तो चमत्कार है! 

अगर हम मुग़ल काल के इतिहास में इस आत्ताइयों से कराहती रक्तरंजित वसुंधरा के लिए संघर्ष करने बाले महाराज शिवाजी, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, महाराज छत्रसाल जैसे योद्धाओं का पराक्रम और उपलब्धियां देखें तो असाधारण ही प्रतीत होती हैं पर सबके कार्यों का वर्णन इस लेख में करना संभव नहीं है, किन्तु मैं ब्रिटिश काल के समय अवतरित हुए एक असाधारण क्रांतिकारी की सापेक्ष तुलनाओं से आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ और इसके लिए मैं अपनी कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ जिसे धीरे-धीरे और ध्यान से पढ़िए -

हनुमान अवतार बताए जाते हैं शिवशंकर का

चंद्रशेखर भी भेष बदलकर रहते थे हरिशंकर का 

चंद्रशेखर भी नाम एक है, वैसे भोले बाबा का 

हनुमान सा रूप वही थे, जैसे भोले बाबा का

एक दूजे की उपमा के उपमान दिखाई देते हैं

क्योंकि मुझको शेखर में, हनुमान दिखाई देते हैं

दोनों अतुलित बलशाली हैं दोनों ही बह्मचारी हैं

दोनों धरती माता के इक रूप के सेवाधारी हैं

हनुमान जी राम सिया के सुत समान अवतारी थे

शेखर जी की माँ जगरानी, सीताराम तिवारी थे

हनुमान ने बाल समय मे ,गर भानु को खाया था

तो शेखर ने अंग्रेजी सत्ता का सूर्य डुबाया था

ये भी देखो रही है रचना !कैसी भाग्य विधाता की

एक ने मुक्ति सीता जी की ,एक ने भारत माता की

हनुमान जी ने "प्रयाग" में ही कलयुग विश्राम लिया

आज़ाद जी ने भी प्रयाग में अंतिम क्षण तक काम किया

इसीलिए मुझको लगता! ये रूप न कोई दूजा है

ओरछा आकर हनुमान ने हनुमान को पूजा है

यह पंक्तिया मैंने आज़ाद जी के ओरछा स्तिथ अज्ञातवास स्थल पर बने हनुमान मंदिर के विषय में लिखी थी जहां पर चंद्रशेखर आजाद जी हरिशंकर ब्रह्मचारी के भेष में रहते थे, कहने का तात्पर्य यह है की इतनी समानतायें बताती हैं की वो कोई अंश अवतार ही थे जो अपना योगदान इस मातृभूमि के लिए देकर अमर हो गए....

अब मैं विषय तक पहुंचना चाहता हूँ पर उसके पूर्व हनुमान जी के आराध्य प्रभु श्री राम जी की राजधर्म के लिए धर्म पत्नी के परित्याग की लोक कथा का स्मरण करते हुए बस इतना कहना चाहता हूँ की इस प्रकार का  घटनाक्रम वर्तमान समय में देखने को मिलता है लेकिन यह महज एक संयोग या मेरा कुतर्क भी हो सकता है किन्तु गहनता से विचार करना क्या हजारों राम कथाएं लिखे जाने के बाद भी कोई कवि यह कल्पना में भी लिख सका है कि परित्याग कि उस घटना के बाद माँ सीता के मन में अपने प्राण बल्लभ श्री राम जी के विषय में क्या विचार थे, यथावत प्रेम था? क्षोभ था? क्रोध था?? घृणा थी? आखिर माँ सीता के मन में क्या था?? और आज पति के प्रधानमंत्री होने के बाद भी ऑटो में घूमने बाली उस देवी के मन में अपने पति के प्रति क्या भाव हैं??? हज़ारों मीडिया के लाखों प्रयासों के बाद भी यह प्रश्न अनुत्तरित है...ज़ब यह सोचता हूँ तो मेरा मन श्रद्धा और रोमांच से भर जाता है! वर्तमान परिवेश में बिना दूसरा विवाह किये बिना कोई शिकायत व्यक्त किये  राष्ट्र कार्य के लिए किया उनका त्याग, प्रणाम और अभिनन्दन के योग्य है यह दोनों बातें मुझे उनके भी किसी अंश अवतार से सम्बन्ध होने के बिंदु पर खींचती हैं| बात सिर्फ इतनी नहीं है लेकिन आप जीवन संघर्ष, हिमालय वन गमन, लौटकर राजपद प्राप्त करना और साधक और योगी राजा कि भांति जनता कि अहर्निंस सेवा में जुटे रहना उन्हें असाधारण बनाता है... धर्म संस्थापना में रत रामजी से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के सांस्कृतिक अभ्युदय के हेतु बने देश के यशस्वी  प्रधान सेवक श्री नरेंद्र मोदी जी के जीवन में रामजी की प्रेरणाओं का निरंतर साक्षात्कार होता है

प्रातः काल उठकर रघुनाथा - तो प्रधानसेवक की दिनचर्या सुबह चार बजे प्रारम्भ होती है, देवी उपासक राम जी से प्रेरणा लेकर विगत 40 वर्षों से एक गिलास नींबू पानी में नवरात्र का व्रत करने बाले प्रधानसेवक के आचार, विचार में गज़ब की समानता दिखाई देतीं है

यदि हमनें त्रेता में शबरी के बेर खाते हुए त्रेता के राजा श्री राम को देखा है तो यही चित्र हमनें प्रयाग कुम्भ के सफाई श्रमिकों के पैर पखारने बाले प्रधानसेवक की कृतग्यता को ज्ञापित होते हुए देखा है, हमनें रात के 3 बजे अहमदाबाद की सड़कों और काशी की गलियों में विकास कार्य का अवलोकन करते हुए भी देखा है, हमनें लंका दहन जैसी सर्जिकल स्ट्राइक को भी देखा है |

कर्म, धर्म, नियम, संयम, वचन, व्यवहार के आयामों से मैं सैकड़ों समानतायें देखता हूँ किन्तु राम राज्य की कार्यशैली के परिपेक्ष में भी मैं आप सभी पाठकों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ जिस हेतु ही मैंने यह भूमिका आप सभी के समक्ष निर्मित की है, मैं बहुत सूक्ष्मता से इस तथ्य का अवलोकन करने के बाद पूरी जिम्मेदारी से यह कहना चाहता हूँ की वर्तमान में केवल श्री रामजी का मंदिर ही नहीं बन रहा है, देश में रामराज्य की परिकल्पना भी साकार हो रही है-कैसे देखिये.

श्री रामराज्य का एक प्रसंग है जिसमें सुमंत जी पडोसी राज्य में सनातनियों के साथ राक्षसों या विधर्मियो के द्वारा प्रताड़ित करने का विषय सामने रखते हैं इस पर राजा राम जी आदेश देते हैं -

इंदुभूतिकामः स्याद्धि राष्ट्रोस्माकं न चान्यथा।।

अन्तर्वहिष्च यत्र स्यादिनतुः पालयः प्रयत्नतः

वाल्मीकि_रामायण

अर्थ- हमारा राज्य आर्यों के कल्याण के लिए है । एक आर्य कही भी हो, चाहे वो राज्य की सीमाओं में हो या इनसे बाहर, हमारी सरकार का मूलभूत उद्देश्य होगा कि उसे सुरक्षित  रखे

अब श्री रामजी के इसी निर्णय को वर्तमान सरकार के #CAA कानून के सन्दर्भ देखें जो कहता है की एक भी बौद्ध, जैन, सिख, हिन्दू अगर किसी पडोसी देश में प्रताड़ित है तो भारत उसका अपना देश है उसकी रक्षा भी करेगा और उसका पोषण भी!

राष्ट्र के प्रति अगाध श्रद्धा, सेना को सबल करने के लिए समुचित प्रयास,राष्ट्रहित में अनुसन्धान सभी तरह के भेदभाव को समाप्त करते हुए कठोर कानून के निर्णय हमें रामराज्य के उद्भव के सम्बन्ध में सूचित करते हैं जिसका उल्लेख प्रमुख ग्रंथों में मिलता है.. अब मैं अंत में केंद्र शासन की नीतियों में रामराज्य की बात करूँ इसके लिए रामराज्य क्या है और कैसे आता है इसके लिए बाबा तुलसी की कुछ चौपाई जो रामराज्य के सन्दर्भ में साथ- साथ लिखना चाहूंगा ताकि आप शासन की योजनाओं, नीतियों, निर्णयों एवं उनके परिणामों में रामराज्य का उद्भव देख सकें...मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा की रामराज्य आ गया ऐसा नहीं है पर रामराज्य आने के लिए भारत उस दिशा में बढ़ रहा है जो इस लक्ष्य को पूरा करते हैं तो देखिये रामराज्य की भूमिका में बाबा तुलसी चौपाई लिखते हैं -

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा 

अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा

तात्पर्य सब रोग रहित हों, सब दीर्घायु हों, किसी का शरीर रोगी न हो इसके लिए विश्व की सबसे बड़ी आरोग्य योजना "आयुष्मान भारत" को लेकर हम बढ़ रहे हैं एवं आपदाओं में जनहानि रोकने के लिए जो वर्तमान नेतृत्व के प्रयास हैं वो पूरी दुनिया ने देखें हैं प्राकृतिक आपदाएं हो या युद्ध! भारत ने अपने नागरिकों की जीवन रक्षा के लिए जो प्रयास किये वो दुनिया ने आश्चर्य के साथ देखें हैं! 

इसी प्रकार एक चौपाई है

"सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती"

रामराज्य में आपस में प्रेम बढ़ता है ऐसा बाबा तुलसी कहते हैं, तो ध्यान में आ रहा है कि इन आठ वर्षों में ऐसे - ऐसे प्रेम हमनें देखें हैं जिनकी कल्पना भी कभी नहीं करते थे, जैसे लालू और नीतीश का दो-दो बार प्रेम, बुआ और बबुआ का प्रेम, केजरीबाल और शरद पवार का प्रेम! यह सब मैंने जब देखा तो मुझे सच में अनूभूत हुआ कि हम राम राज्य कि तरफ बढ़ रहे हैं और कितने अच्छे दिन चाहिए हमको!

फिर एक सुन्दर चौपाई बाबा ने रामराज्य के विषय में लिखी है -

राम भगति रत नर अरु नारी..

सकल परम गति के अधिकारी..

और अब आप इसके अर्थ में विचार करिये रामभक्त हज़ारों वर्षों बाद अपने आराध्य प्रभु श्री राम का मंदिर अयोध्या में बनते हुए देख रहे हैं, वो कितने प्रफुल्लित हैं इसका अनुभव आप स्वयं कर सकते हैं इसलिए यह चौपाई भी चरितार्थ होती दिख रही है

अगली चौपाई बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें बाबा कहते हैं - 

नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना।

नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना

दरिद्र कौन होता है वो जिसके पास जीवन की मूल बहुत आवश्यकताओं का अभाव होता है इसलिए "प्रधानमंत्री आवास योजना " घर घर शौचालय और सौभाग्य योजना से हर घर बिजली कनेक्शन! क्या यह असामान्य संकल्प हैं??? नहीं

और नहीं कोई अबुध न लक्षण हीना! तात्पर्य प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जिससे हर युवा कोई कुशलता से रोजगार को पाए, यह भी एक असाधारण प्रयास दिखाई देते हैं... जिस आधार पर हम कह सकते हैं की रामजी का भारत अब रामराज्य के आदर्शो और सिद्धांतों को अपनाते हुए ठीक दिशा में बढ़ रहा है... रामराज्य के विषय में अन्य चौपाई और वाल्मीकि रामायण में श्लोक हैं जो वर्तमान निर्णय, नीति एवं योजनाओं में परिलक्षित होते हैं लेकिन सबकी चर्चा यहाँ संभव नहीं है इस पर किसी व्याख्यान की योजना मैं तैयार कर रहा हूँ ताकि विस्तार से तर्क और वितर्क की कसौटी पर इस विषय पर चर्चा हो सके....अंत में एक चौपाई और एक दोहा कहता हूँ

सब निर्दंभ धर्मरत पुनी। नर अरु नारि चतुर सब गुनी॥

सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी

जनता समझदार हो रही है इससे उन्हें मूर्ख बनाने बाले लोग दुखी है और सोशल मीडिया और whatsapp यूनिवर्सिटी को कोसते हैं किन्तु यह भी सत्य है की झूठ का जो तिलिस्म फैलाया गया था वो टूटना इस सोशल मीडिया के बिना सम्भव नहीं था, पीड़ियों के मन में यह भर दिया गया था की यह देश किसी खानदान के चाचा पापा, दादा, दादी ने बनाया है किन्तु जनता समझदार हुई और यह मिथक आज टूट गया! 

दोहा - 

दंड जतिन्ह कर भेद जहँ नर्तक नृत्य समाज।

जीतहु मनहि सुनिअ अस रामचंद्र कें राज

इसीलिये आज का भारत ज़ब विश्वगुरु के पद पर सुशोभित होने की बात करता है तो इसका तात्पर्य अन्य देशों को जीतने या अधिकार करने से नहीं होता है बल्कि अपने अप्रतिम ज्ञान और सांस्कृतिक चेतना से उनका ह्रदय जीकर भारत दुनिया का नेतृत्व करने की बात करता है और इसलिए विश्व योग दिवस हो अथवा ब्रिक्स बैंक की स्थापना, भारत के नवाचार को समूचा विश्व स्वीकार करता है और यूक्रेन के राष्ट्रपति युद्ध रोकने की गुहार अमेरिका से नहीं भारत से करते हैं क्यूँकि आज का भारत रामराज्य के सिद्धांतों पर चलते हुए एक अवतारी महापुरुष नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व गुरु के पद पर आसीन हो चुका है.....ऐसे राष्ट्रपुरुष को जन्मदिवस पर  अनंत शुभकामनायें एवं दीर्घायु की मंगलकामना |

 

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