पिछडे़ और अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं की उड़ानों को मिला नया आसमान

 

 

खबरनेशन/khabarnation                                                                                                                                                                                                                                    भोपाल :  प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 51 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के रूप में घोषित है। राज्य में 6 धार्मिक समुदायों मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन अल्पसख्यंक घोषित है। वर्ष 2011 की जनगणना में प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 8.15 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश सरकार इन वर्गों को मुख्य धारा से जोड़ने और उनके आर्थिक और शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा, प्रोत्साहन, रोजगार, कौशल विकास, अधोसंरचना आदि अनेक कल्याणकारी योजनाओं का सफल संचालन कर रही है।

पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के विकास को गति देने के लिए 12 सितम्बर 1995 को अलग से पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का गठन किया गया। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के लिए वर्ष 2005 में कुल 119 करोड़ का बजट था जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 961 करोड़ 19 लाख हो गया है। इस तरह बजट में लगभग 8 गुना वृद्धि हुई है। इसी प्रकार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के लिए वर्ष 2005 में 2 करोड़ 25 लाख का बजट था, जो इस वर्ष बढ़कर 31 करोड़ 18 लाख हो गया है। इस वर्ष बजट लगभग 14 गुना बढ़ा है।

पिछड़ा वर्ग राज्य और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति

पिछड़ा वर्ग राज्य छात्रवृत्ति कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को स्वीकृत की जाती है। पिछले वित्त वर्ष में पिछड़े वर्ग के 33 लाख 72 हजार विद्यार्थियों को 137 करोड़ 53 लाख की छात्रवृत्ति दी गई। इस वर्ष के लिए 160 करोड़ 27 लाख रुपये का प्रावधान है। पिछड़ा वर्ग पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में इस वर्ष 569 करोड़ 35 लाख का प्रावधान है।

पिछड़ा वर्ग विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति

पिछड़े वर्ग के ऐसे विद्यार्थी, जो विदेशों में उच्च शिक्षा जैसे पी.जी. डिग्री, पी.एचडी. और शोध उपाधि अध्ययन के लिए जाना चाहते है, उनके लिए राज्य सरकार द्वारा विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति इस वर्ष से 10 की जगह 50 विद्यार्थियों को यह छात्रवृत्ति दी जायेगी। भविष्य में व्यूएस रैंक 500 तक की संस्थाओं के अध्ययन के लिए भी विद्यार्थियों को अनुमति दी जायेगी।

पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना

पी.एस.सी. और यू.पी.एस.सी. में चयन के लिए पिछड़े वर्ग के अभ्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना संचालित की गई है। इन वर्ग के विद्यार्थियों को संघ लोक सेवा आयोग के प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 25 हजार, मुख्य परीक्षा पर 50 हजार तथा साक्षात्कार के बाद चयन होने पर 25 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसी प्रकार राज्य लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 15 हजार, मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने पर 25 हजार तथा साक्षात्कार के बाद चयन पर 10 हजार की प्रोत्साहन राशि पिछड़ा वर्ग के अभ्यार्थियों को दी जाती है। पिछले वर्ष में 905 अभ्यार्थियों को डेढ़ करोड़ की राशि वितरित की गई। इस वर्ष 1 करोड़ 60 लाख रुपये का प्रावधान है।

पिछड़ा वर्ग विद्यार्थी मेधावी पुरस्कार योजना

प्रदेश की कक्षा 10 एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में जिले में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर पिछड़े वर्ग के एक छात्र एवं एक छात्रा को पुरस्कृत किए जाने के लिए मेधावी पुरस्कार योजना प्रारंभ की गई है। पिछले वर्ष 207 मेधावी विद्यार्थियों को 15 लाख 60 हजार की पुरस्कार राशि वितरित की गई। इस वित्तीय वर्ष में 16 लाख का प्रावधान किया गया है। 

व्यवसायिक परीक्षाओं के सफल अभ्यार्थियों के लिए पुरस्कार

व्यवसायिक परीक्षा मंडल की परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले पिछड़ा वर्ग अभ्यार्थियों को क्रमश: एक लाख, 50 हजार तथा 25 हजार की राशि पुरस्कार राशि दी जाती है। पिछले वर्ष 3 अभ्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इस वर्ष 2018-19 में 5 लाख का प्रावधान किया गया है।

छात्रावासों की स्थापना

पिछड़ा वर्ग के बालकों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में 100 सीटर पोस्ट-मैट्रिक बालक छात्रावासों की स्थापना की गई है। उज्जैन, भोपाल और ग्वालियर में 100 सीटर बालक छात्रावास स्वीकृत किए गए है। इस वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ 70 लाख का प्रावधान किया गया है। छात्रावास योजना का विस्तार करते हुए विकास खंड स्तर पर 10 बालक छात्रावास किराये के भवन में संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

पिछड़े वर्ग की बेटियाँ शिक्षा के क्षेत्र में पीछे न रहे इसलिए उन्हें आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में 50 सीटर पोस्ट-मेट्रिक कन्या छात्रावास संचालित है। इंदौर में 500 सीटर पोस्ट-मेट्रिक कन्या छात्रावास भवन का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। जबलपुर, ग्वालियर एवं भोपाल में 500 सीटर पोस्ट-मेट्रिक कन्या तथा उज्जैन, दमोह, भोपाल, ग्वालियर, रायसेन तथा राजगढ़ जिला मुख्यालय पर 100 सीटर कन्या छात्रावास स्वीकृत किए गए हैं। इसके लिए इस वर्ष 21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। विकास खंड स्तर पर भी 50 सीटर 10 कन्या छात्रावास किराये के भवन में संचालित करने की स्वीकृति दी गई है।

छात्रगृह योजना

पिछड़े वर्ग के 5 या अधिक ऐसे विद्यार्थी जो तहसील, जिला या संभाग मुख्यालयों में अध्ययन करते हैं तथा उन्हें छात्रावास की सुविधा नहीं मिल पाती है, को छात्रावास योजना का लाभ दिया जाता है। पिछले वर्ष 147 छात्रगृह संचालित कर कुल 738 विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा दी गई है। दिल्ली स्थित उच्च शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले पिछड़े वर्ग के 50 विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस वित्त वर्ष में एक करोड़ 80 हजार का प्रावधान किया गया है।

अल्पसंख्यक वर्ग के लिए छात्रवृत्ति योजना

भारत सरकार की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों के लिए कक्षा पहली से 10वीं तक अध्ययनरत प्रत्येक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को निर्धारित कोटा के तहत छात्रवृत्ति दी जाती है। प्रदेश के लिए इस वर्ष प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के नवीन प्रकरणों के लिए 75 हजार 890 प्रकरणों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें मुस्लिम छात्र-छात्राओं की संख्या- 61 हजार 253, ईसाई- 2 हजार 736, सिख- 1 हजार 942, बौद्ध- 2 हजार 772, जैन-7 हजार 274 तथा पारसी समुदाय के 3 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

उच्च शिक्षा के लिए पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति तथा तकनीकी एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक उत्थान के लिए मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति योजना लागू है। इस वर्ष मेरिट-कम-मीन्स में 1 हजार 519 प्रकरणों का लक्ष्य है।

इसमें मुस्लिम छात्र-छात्राओं को संख्या 1 हजार 225, ईसाई-55, सिख-39, बौद्ध-55 तथा जैन समुदाय के 145 विद्यार्थी शामिल है। पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति के लिए प्रदेश के लिए कुल 12 हजार 664 प्रकरणों का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें मुस्लिम-10 हजार 209, ईसाई-456, सिख-324, बौद्ध-42, जैन-1 हजार 212 तथा पारसी समुदाय के एक विद्यार्थी को छात्रवृत्ति दी जायेगी।

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में भी इन वर्गों के युवाओं को स्व-रोजगार के उद्देश्य से कृषि उद्योग तथा सेवा क्षेत्र में अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिये आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। अधिकतम 10 लाख रुपये तक का बैंक ऋण तथा विभाग द्वारा मार्जिन मनी सहायता में परियोजना लागत का 30 प्रतिशत अथवा अधिकतम 2 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। योजना में पिछले वर्ष 2 हजार 354 हितग्राहियों को 27 करोड़ 59 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया। इस वर्ष पिछड़ा वर्ग के 2500 तथा अल्पसंख्यकों के लिए 500 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। पिछड़ा वर्ग के लिए 30 करोड़ रुपये तथा अल्पसंख्यक वर्ग के लिए 6 करोड़ 40 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना

इन वर्गों के लिए पिछले वर्ष से मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना शुरू की गई थी। इसके गरीब वर्ग के बीपीएल कार्डधारी को कम लागत की कार्यशील पूँजी उपलब्ध कराई जाती है। इसमें अधिकतम 50 हजार की परियोजना लागत पर 15 हजार रुपये का अधिकतम अनुदान दिया जाता है। पिछले वर्ष इन वर्गों के कुल 857 हितग्राहियों को 2 करोड़ का अनुदान दिया गया।

रामजी महाजन स्मृति पुरस्कार

पिछड़ा वर्ग के लोकप्रिय नेता स्व. रामजी महाजन की स्मृति में इन वर्गों के उत्थान एवं विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कार दिया जाता है। हर वर्ष पिछड़े वर्ग के 16 समाजसेवियों जिसमें 8 पुरुष और 8 महिलाएँ शामिल हैं, एक लाख रुपये नगद एंव प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जाता है।

अल्पंसख्यक सेवा राज्य पुरस्कार

अल्पसंख्यक वर्ग के समाज सेवियों को उनकी उत्कृष्ट सामाजिक-राष्ट्रीय सेवाओं और योगदान को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिवर्ष तीन पुरस्कार क्रमश: 'शहीद अशफाक उल्लाह खाँ पुरस्कार, शहीद हमीद खाँ पुरस्‍कार तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक पुरस्कार एक-एक लाख के दिए जाते हैं।

प्रदेश में हज यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिये विशेष प्रयास किए गए हैं। भोपाल में हज हाउस का निर्माण किया गया। पिछले 3741 हज यात्रियों को सफलता हज यात्रा के लिये भेजा गया। इस वर्ष 50 लाख के अनुदान का प्रावधान है।

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