कुपोषण को पराजित कर स्वस्थ बचपन जी रही रागिनी

भोपाल। पन्ना जिले के अमानगंज में दो वर्षीय रागिनी कुपोषण को पराजित कर स्वस्थ बचपन जीने लगी हैं। पेशे से मजदूर मुन्ना चौधरी की तीसरी संतान रागिनी का जन्म 25 मई, 2016 को अमानगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुआ था। आँगनवाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता अंजुला जैन हर माह रागिनी का वजन लेती थी और उसे वृद्धि चार्ट में अंकित करती थी। जब रागिनी एक माह तीन वर्ष की थी, तब उसका वजन 7.900 किलो और एमयूएसी माप 11.4 होने से रागिनी कुपोषण के दायरे में दर्ज हो गई।

रागिनी को कुपोषण से बचाने के लिये आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्निप (सुदृढ़ीकरण एवं पोषण उन्नयन कार्यक्रम) के अमले ने तत्काल रागिनी के माता-पिता से सम्पर्क किया। कुपोषण की खबर सुनकर माता-पिता भी घबरा गये। अमले ने माँ अभिलाषा और पिता मुन्ना चौधरी को हिम्मत बँधाते हुए रागिनी को पुनर्वास केन्द्र में भर्ती करवाने की समझाइश दी। रागिनी 15 दिन केन्द्र में भर्ती रहने के बाद पूर्णत: स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुई। इसके बाद हर 15 दिन में उसके 4 फॉलोअप किये गये। माता-पिता को घर में साफ-सफाई, भोजन से पहले हाथ धोने, बच्चे को रोज आँगनवाड़ी केन्द्र भेजने और नियमित वजन कराने की समझाइश लगातार दी जाती रही। अब रागिनी का वजन बढ़कर लगभग 9 किलोग्राम हो गया हैं और वह कुपोषण के दायरे से पूरी तरह बाहर आ गई हैं।

मासूम आदर्श का हुआ ह्रदय उपचार: होशंगाबाद जिले के ग्राम चुरका के नरेश कतिया का छोटा बेटा आदर्श जन्म से ही ह्रदय रोग से पीड़ित था। उसके ह्रदय में दो छेद थे, जिस कारण अक्सर निमोनिया से ग्रसित हो जाता था। स्थानीय चिकित्सकों ने माता-पिता को बच्चे को इटारसी में डॉ. दीपक जैन को दिखाने की सलाह दी। डॉ. जैन ने जिला चिकित्सालय से ह्रदय की शल्य चिकित्सा के लिये एस्टीमेट बनवाने की सलाह दी। मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना में 90 हजार का एस्टीमेट स्वीकृत किया गया। भोपाल के चिरायु अस्पताल में आदर्श को भर्ती कराया गया। रोग की गंभीरता को देखते हुए पुन: 85 हजार रुपये का एस्टीमेट बनाया गया। इस तरह, एक लाख 75 हजार रुपये की लागत से मासूम आदर्श का सफल ऑपरेशन हुआ।

आदर्श आज 16 माह का हो चुका हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। अपने बड़े भाई अनुज और अन्य बच्चों के साथ घुलने-मिलने लगा हैं। कमजोरी के चलते पहले वह ठीक से बोल भी नहीं पाता था। अब स्पष्ट शब्दों का उच्चारण करने लगा हैं। उसके पिता नरेश कतिया कहते हैं कि मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना हमारे परिवार के लिये वरदान साबित हुई हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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