प्रदेश के आठ अति पिछड़े जिलों में केंद्रीय निगरानी, संघीय कार्यप्रणाली का उल्लंघन

मध्यप्रदेश सरकार पर अविश्वास, प्रदेश की जनता का अपमान

मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार के इस कदम का करें पुरजोर विरोध

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा पत्र

भोपाल। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश के आठ अति पिछड़े जिलों में निगरानी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा केंद्रीय मंत्री और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को जवाबदेही सौंपने को संघीय प्रणाली व्यवस्था का उल्लंघन और राज्य सरकार पर अविश्वास व्यक्त करने वाला कदम बताया है। सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा हैं कि वे इस मुद्दे केंद्र सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराए और आवश्यकता पड़े तो लोकतांत्रिक तरीके से किए जाने वाले विरोध में वे उनका साथ देंगे।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कहा है कि समाचार पत्रों में उन्होंने पढ़ा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश के अति पिछड़े जिले राजगढ, बड़वानी, खंडवा, सिंगरौली, दमोह, गुना और छतरपुर के साथ ही मुख्यमंत्री के व्यवसायिक जिले और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का लोकसभा क्षेत्र विदिशा में विकास कार्यों में निगरानी रखने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और आईएएस अफसरों की नियुक्ति की हैं। सिंह ने पत्र में लिखा कि यह प्रदेश सरकार के लिए शर्मनाक है क्योंकि इससे यह जाहिर होता है कि केंद्र सरकार का राज्य सरकार पर कोई विश्वास नहीं है। यह प्रदेश की अस्मिता का भी सवाल है और संविधान द्वारा राज्यों को जो विशेषाधिकार मिले हैं उसका भी दुःस्साहसपूर्ण तरीके से उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रदेश सरकार पर अविश्वास करके साढ़े सात करोड़ जनता का भी अपमान किया है। जिन्होंने अपना मत देकर भाजपा की सरकार बनाई थी।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र सरकार ने आपके इस दावे की भी कलई खोल दी है जिसमें आपने संपूर्ण प्रदेश के विकास का दावा करते हुए बीमारू राज्य से बाहर निकलने का ढिढोंरा पीटा था। सिंह ने कहा कि जबकि आप जिस जिले से लंबे समय तक सांसद रहे आप वहां पर खेती और डेरी का व्यवसाय कर रहे हैं और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र है, वह विदिशा जिला भी अति पिछडे़ जिले में शामिल है जो आपके पाखंड और प्रचार की असलियत बताता है।

सिंह ने कहा कि प्रदेश के विकास पर निगरानी रखने के लिए केंद्र सरकार के असंवैधानिक कृत्य का मैं घोर विरोध करता हूं। उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब छोटे-मोटे मामलों को राजनीतिक लाभ उठाने की दृष्टि से कभी आप धरने पर, उपवास पर अथवा दिल्ली जाकर विरोध दर्ज कराते थे, लेकिन मई 2014 के बाद केंद्र सरकार से मध्यप्रदेश के हितों को लेकर आपने चर्चा करने ही छोड़ दिया है। केंद्र सरकार ने जो हालही में प्रदेश के आठ अति पिछड़े जिलों में केंद्रीय निगरानी रखने का जो कदम उठाया है वह आपके लिए और प्रदेश की जनता के लिए अपमानजनक है। आप इसका पुरजोर विरोध करें और अगर लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की आवश्यकता पड़े तो मैं भी प्रदेश के संवैधानिक अधिकारों के लिए आपके साथ खड़ा रहूंगा। (खबरनेशन / Khabarnation)

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