मुजफ्फरपुर की लीची से कम नहीं है बैतूल की लीची

भोपाल। उद्यानिकी फसलों के लिये प्रदेश में बैतूल जिला विशिष्ट पहचान रखता है। उद्यानिकी विभाग की नई तकनीक की योजनाओं से बैतूल में लीची की पैदावार बढ़ी है। यहाँ की लीची स्वाद में मुजफ्फरपुर की लीची को टक्कर दे रही है। 

बैतूल के किसान महावीर गोठी के खेतों में वर्तमान में 7 पेड़ लीची से लदे हुए हैं। लीची के यह पेड़ लगाने के बाद आठवें साल में फलन में आ गये थे। दसवें साल में इनसे व्यवसायिक फलन भी प्रारंभ हो गया। पन्द्रहवें साल में हर पेड़ में करीब 100 से 150 किलो लीची का फलन हो रहा है।

किसान महावीर को लीची की पैदावार लेने में उनके भतीजे उषभ गोठी भी मदद कर रहे हैं। वे बताते हैं कि इन पेड़ों में लगने वाली लीची को बेचने के लिये कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। घर से ही ग्राहक 180 रुपये किलो के भाव पर लीची खरीद कर ले जाते हैं।

देश में लीची की खेती बिहार के मुजफ्फरपुर के साथ-साथ देहरादून, उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र और झारखण्ड प्रदेश में होती है। गुणवत्ता के मामले में मुजफ्फरपुर की लीची अपना विशेष स्थान रखती है। किसान महावीर बताते हैं कि बैतूल की जलवायु लीची के लिये उपयुक्त है। सिर्फ फलन के समय नियमित सिंचाई और तेज धूप से पेड़ों को बचाना पड़ता है। उद्यानिकी विभाग एक हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप सहित लीची का बगीचा लगाने पर तीन वर्ष तक कुल 60 हजार रुपये का अनुदान भी उपलब्ध करवाता है।  (खबरनेशन / Khabarnation)

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