"जन नायक" नहीं "खलनायक" है , ये
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्म दिवस पर विशेष
खबरनेशन / Khabarnation
आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्मदिवस है । 13 साल मुख्यमंत्री रहते हुए तीन बार भाजपा की सरकार बनवाने का सेहरा जननायक के तौर पर सिर पर है ।नए कार्यकर्ता ( जो अब भाजपा के देवदुर्लभ बतौर नहीं कारपोरेट शैली के कर्मचारी बतौर जाने जाते हैं ) सिर माथे पर बिठा रहे हैं । संगठन के लिए समर्पण भाव से जीवन खपा देने वाले कार्यकर्ता और पार्टी के नेता विदाई राग गा रहे हैं । ऐसे में बार-बार मुझे हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध फिल्म khalnayak का नायक नहीं खलनायक हूं मैं, जुल्मी बड़ा दुख दायक हूं मैं , गाने का मुखड़ा बार-बार याद आ रहा है । याद आए भी क्यों ना कम से कम इन तेरह सालों में बतौर पत्रकार मैंने बहुत कुछ देखा है । ईमानदार- अफसर कर्मचारी , समर्पित कार्यकर्ता और पार्टी के नेता भोली जनता और योग्य छात्रों को कहीं कराहते तो कहीं दम घुटते देखा है ।
जांच एजेंसी , न्याय के मंदिर ,संगठन के घंटे घड़ियाल और खुद इस देश की वो भ्रमित जनता जिसे इस सरकार के भ्रष्ट अफसरों ,चापलूस कार्यकर्ताओं और नाकारा विपक्ष ने तीसरी बार सरकार को वोट दिलवा दिया हो । असल में तो गुनहगार तुम ही हो । किसानों को खेती का लाभ का धंधा बनाने का भरोसा दिलाते दिलाते कब तुमने उनके हाथों में भीख का कटोरा पकड़ा दिया इसका एहसास ही वे कर सके । किसान खुद के लिए नहीं जीता है सो वो आज अपने बाल बच्चों ,मां बाप और अच्छे दिन की आस लिए पत्नी के अरमानो को पूरा करने मानसून की बजाए सरकार का मुँह ताक रहा है।
योग्य छात्र बंद गेट के बाहर खड़े रह गए और नाकाबिल अपना भविष्य बना गए। आरोपों के बदबूदार छींटे इसलिए कि व्यापम जैसे कांड में मुख्यमंत्री के परिजनों के संलिप्तता प्रमाण सामने आए थे । जांच एजेंसी की जाँच से मंदिर के बाहर आपके खिलखिलाते चेहरे को देख कर न्याय की आस पाने वाले कई योग्य कुंठावान छात्र या तो कत्ल हो गए या मार दिए गए ।
जीवनदायिनी मां नर्मदा से जब आप अपने लिए संकल्प से पलट गए तो खनन माफिया ने उसके पर्यावरण स्वरुप को बदलने में देर नहीं लगाई । इन माफियाओं को संरक्षण देने की आरोप मुख्यमंत्री के परिजनों पर लगे । रेत उत्खनन के उच्च मापदंड का दावा करने वाले प्रशासन ने नाकों पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए लेकिन अवैध रेत के परिवहन के लिए ट्राली, ट्रक और डंपर पर चौहान लिखा होना ही गेट पास मान लिया गया ।
आखिर दोष किसका है । यह सब उस समय हुआ जब एक सहज ,सरल और संवेदनशील व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री है । जिसे भ्रष्ट तंत्र जननायक निरुपित कर रहा है । ऐसे में मैं ( मैं का अर्थ कराहते और दम घुटती जनता की आवाज को माना जाए ) कम से कम उन्हें "जननायक" तो नहीं मान सकता ।