सिंधिया की सोच कितनी सीधी कितनी उल्टी

 

सिंधिया को बनाना होगी पहले काँग्रेस में सहमति

 

खबर नेशन

मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी राय रखी है कि मुख्यमंत्री को सिर्फ एक कार्यकाल मिलना चाहिए।

उन्होंने इसे अपनी क्रांतिकारी सोच बताया है और कहा है कि रोटरी क्लब और लायंस क्लब में भी पदाधिकारियों का कार्यकाल सीमित है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री को जो करना है 5 साल में करके दिखाए।

 

श्री सिंधिया मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। यहां इसी वर्ष नवम्बर में विधानसभा चुनाव हैं। राज्य में तीन बार से भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान 13साल से मुख्यमंत्री हैं और इस बार भी सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से वही मुख्यमंत्री चेहरा हैं। लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने अभी तक अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो सिंधिया या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ में जनता की पसंद और संविधान सर्वोच्च है और दोनों की कसौटी पर खरे उतरकर कोई व्यक्ति बार-बार मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनता है तो इससे उलट खयाल रखने वाले की सोच को क्या माना जाए?
कांग्रेस से पं. जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह एक से अधिक बार प्रधानमंत्री बने। दिग्विजय सिंह सहित कई कांग्रेसी एक से अधिक बार मुख्यमंत्री रहे। बीजू जनता दल के पटनायक और टीएमसी की ममता बनर्जी क्रमश: तीसरी और दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी हुई हैं। ज्योति बसु दो दशक तक प. बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। त्रिपुरा में वाम मोर्चा के सरकार भी अनेक बार मुख्यमंत्री रहे।
मुख्यमंत्री को मिले सिर्फ एक कार्यकाल सुझाव पर अन्य राजनैतिक दलों के नेताओं की प्रतिकियाएं आने वाले समय में देखने-पढ़ने को मिलेंगी। इस पर सहमति बनती है तो संविधान में संशोधन भी करना पड़ेगा। हालांकि यह सब अंसभव सा है।
यह जरूर है कि यदि किसी मुख्यमंत्री को मालूम हो जाए कि उसे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनना है तो वह जनता से जुड़े काम में कम दिलचस्पी लेगा अपना भविष्य सुरक्षित रखने में ज्यादा दिमाग लगाएगा।धन में मायावती और अखिलेश यादव शामिल हैं, क्या वह सिंधिया के सिर्फ एक कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री वाले फार्मूले से सहमत होंगे? क्योंकि ये दोनों नेता अपनी पूरी राजनीति ही दुबारा मुख्यमंत्री बनने के लिए कर रहे हैं।
हो सकता है कि श्री सिंधिया अपने क्रांतिकारी विचार को अपनी कांगे्रस पार्टी मंच पर रखें और सहमति बनाने का प्रयास करें। लेकिन संभव दिखाई नहीं देता कि उनके पक्ष को पार्टी में वजन मिलेगा।
लायंस-रोटरी क्लब के पदाधिकारियों से मुख्यमंत्री पद की तुलना नहीं की जा सकती। इन संस्थाओं का आम जनता से सरोकार नहीं है और यहां धनाढ्य व्यक्ति ही सदस्य और अध्यक्ष बन सकते हैं, जबकि जनप्रतिनिधी, मंत्री और मुख्यमंत्री गरीब व्यक्ति भी बनता रहा है।नाथ में से कोई एक मुख्यमंत्री बन सकता है।सिंधिया जी के मुख्यमंत्री को मिले सिर्फ एक कार्यकाल सुझाव पर अन्य राजनैतिक दलों के नेताओं की प्रतिकियाएं आने वाले समय में देखने-पढ़ने को मिलेंगी। इस पर सहमति बनती है तो संविधान में संशोधन भी करना पड़ेगा। हालांकि यह सब अंसभव सा है।
यह जरूर है कि यदि किसी मुख्यमंत्री को मालूम हो जाए कि उसे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनना है तो वह जनता से जुड़े काम में कम दिलचस्पी लेगा अपना भविष्य सुरक्षित रखने में ज्यादा दिमाग लगाएगा।

 

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