तो मध्यप्रदेश में पेंट और केमिकल इंडस्ट्रीज बंद करना पड़ेगी


शिवराज सरकार के जहरीली शराब के खिलाफ फरमान ने अधिकारियों को दिए बेतुके अधिकार

दोषी कलेक्टर- खाद्य औषधि प्रशासन विभाग और दोष आबकारी अधिकारियों पर

वाणिज्य कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रेस्तोगी को भी नियम का ज्ञान नहीं

खबर नेशन / Khabar Nation

शिवराज सरकार अगर इसी तरह जहरीली शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान छेड़े रही तो मध्यप्रदेश के हार्डवेयर पेंट व्यवसाय और उधोगों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है । इंदौर में एक पेंट निर्माता के यहां हुई छापामार कार्रवाई इसी और इशारा कर रही है ।
गौरतलब है कि इंदौर में एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने  नायता मुंडला प्लॉट नंबर 5/1,2,3 स्थित मैसर्स दूगड़ केमिकल्स एंड पैंट्स पर कुछ अवैध शराब जैसी चीज बनाई जा रही है को लेकर छापा मारा गया था । प्रशासन ने इसे मौत की फैक्ट्री के तौर पर प्रचारित किया।
प्रशासन ने 10 हजार लीटर मेथेनॉल जब्त किया।

मुरैना शराब कांड में हुई मौतों के बाद प्रदेशभर में प्रशासन अलर्ट पर है । अलकोहल से जुड़े कारोबारियों पर खास नजर रखी जा रही है। इसी कड़ी में प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बुधवार को जिला प्रशासन, पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने ऐसी ही एक फैक्ट्री पर छापे की कार्रवाई की। छापे में 10 हजार लीटर मिथाइल अल्कोहल जब्त किया गया ।

एडीएम ने कहा- कड़ी कार्रवाई होगी
एडीएम अजय देव शर्मा ने बताया कि प्रशासन हर तरह के माफिया पर कार्रवाई कर रहा है. इसी कड़ी में गोपनीय सूचना के आधार पर ये छापे की कार्रवाई की गई, जिसमें एक टैंक में मिथाइल अलकोहल का संग्रहण पाया गया। जबकि, इसके संग्रहण करने के लिए पॉयजन एक्ट के तहत लाइसेंस लेना पड़ता है। फैक्ट्री के मालिक के पास किसी तरह के कोई वैध दस्तावेज नहीं है। इन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।  बता दें मुरैना में जहरीली शराब से हुई 24 लोगों की मौतों की फॉरेंसिक जांच में पता चला है कि शराब में मेथेनॉल यानि की मिथाइल एल्कोहल मिलाया गया था और इसी जहर से लोगों की मौत हुई।
गौरतलब है कि विष अधिनियम 1919 में जारी सूची के अनुसार मेथेनॉल विष की श्रेणी में आता है । जिसकी अनुज्ञप्ति , नियंत्रण का अधिकार कलेक्टर को है ना कि आबकारी विभाग को। शराब बनाने में ओपी ( ओव्हर प्रूफ स्प्रिट ) का इस्तेमाल होता है जो विष सूची से बाहर का आयटम है। विष अधिनियम 1919 के अनुसार इसके निरीक्षण का अधिकार भी आबकारी विभाग को नहीं है ।पेंट व्यवसाय और निर्माण से जुड़े एक उधोगपति का कहना है कि इंदौर में जिस प्रकार कार्यवाही की गई है वह अनुचित है । 
अगर देखा जाए तो विष अधिनियम 1919 के अनुसार इस प्रकार की कार्रवाई के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग जिम्मेदार है ना कि पुलिस और आबकारी विभाग ।
मध्यप्रदेश सरकार के अधिकारियों को भी इस बात का ज्ञान नहीं है। गौरतलब है कि मुरैना में जहरीली शराब का कांड पकड़े जाने के बाद जिस तरह से आबकारी विभाग के छोटे-छोटे अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की है वह इसी और इशारा कर रही है । कहने को वाणिज्य कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रेस्तोगी है । मलाईदार पोस्टिंग की वजह दीपाली रेस्तोगी के आय ए एस पति मनीष रेसतोगी हैं जो मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव हैं। दीपाली रस्तोगी ईमानदार अधिकारी के तौर पर जानी जाती है लेकिन राजनैतिक दबाव में वे कई बार नियमों की अनदेखी कर जाती हैं ।

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