मध्य प्रदेश की चर्चित मर्डर मिस्ट्री शहला मसूद पर नॉवेल राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में मचा भूचाल

 

 

लेखक और पत्रकार हेमेंद्र शर्मा पर लोकसभा चुनाव के पूर्व हिंदी वर्शन ना लाए जाने को लेकर डाला जा रहा है दबाब

 

खबर नेशन / Khabar Nation

 

 

मध्य प्रदेश की आरटीआई एक्टिविस्ट शहला मसूद के मर्डर पर नॉवेल शहला मसूद " द मर्डर दैट शॉक द नेशन " से आगामी दिनों में प्रदेश की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में भूचाल आ सकता है । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर इस किताब के कवर पेज का प्रमोशन करते ही पत्रकार और लेखक हेमेंद्र शर्मा पर इस किताब के हिंदी वर्जन को लोकसभा चुनाव के पहले जारी ना किए जाने को लेकर दबाव डाला जा रहा है ।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आरटीआई एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद शहला मसूद का 16 अगस्त 2011 को दिनदहाड़े मर्डर कर दिया गया । शहला मसूद उस समय प्रसिद्ध आंदोलनकारी अन्ना हजारे द्वारा चलाए जा रहे "इंडिया अगेंस्ट करप्शन" की मध्य प्रदेश संयोजक थी । शहला इस दौरान लगातार मध्य प्रदेश के राजनेताओं और टॉप ब्यूरोक्रेट के गठजोड़ के काले कारनामों को खुलासा कर रही थी ।मर्डर के 1 घंटे के भीतर ही मध्य प्रदेश पुलिस के खुफिया विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष यह खुलासा कर दिया कि हत्या में भाजपा के एक विधायक की भूमिका संदिग्ध है । भावी राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर शिवराज ने इस केस को सीबीआई को सौंपने के निर्देश जारी कर दिए । 

हालांकि  किताब हेमेंद्र शर्मा ने 2012 में ही लिख दी थी लेकिन शहला मर्डर कांड की अदालत में चल रही प्रक्रिया को देखते हुए विश्व की प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था हार्पर कालिंग ने अदालत का फैसला आने तक इस किताब क़ प्रकाशन करने से टाल दिया । इस किताब में इस मामले से जुड़ी राजनेताओं की भूमिका ब्यूरोक्रेसी और पुलिस के रवैए, सीबीआई में घटे हिंदू मुस्लिम वर्ग को प्रभावित किए जाने वाले घटनाक्रम ,कुत्सित यौन लिप्साओं का पूरा ब्यौरा है । इस मामले को लेकर तत्कालीन राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका तो विपक्षी दल के एक प्रभावशाली नेता की भूमिका का जिक्र भी है जिन्होंने संदिग्ध को बचाने का प्रयास किया। कैसे एक महिला की हत्या के बाद आत्महत्या का रूप दिया जाता है ? कैसे उसकी छवि को बिगाड़ने का प्रयास किया जाता है? से व्यथित होकर शहला के निजी मित्र रहे हेमंत शर्मा ने आम आदमी के मन में उमड़ने घुमड़ने  वाली शंकाओं का समाधान किया है। हेमेंद्र के अनुसार संभवत राजनीतिक हत्याओं पर यह एक पहली किताब है। हालांकि क्रूर हत्याओं को लेकर कई किताबें प्रकाशित हुई हैं । 

आखिर क्यों भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता इस किताब को लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रकाशित किए जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं । जानना समझना और पढ़ना दिलचस्प रहेगा ।

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