मानो तो बारात ....वर्ना विदाई......

 

जनता आ रही है या लाई जा रही है

जादू शिवराज का या मेहनत संगठन की.... ? कहीं सरकारी तामझाम तो नहीं


 ख़बर नेशन /Khabarnation
कल तक मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ झंडा बरदारी कर रही जनता अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ रही है । आखिर वजह क्या है ? अगर यह ढोकर ले जाई जा रही है तब भी और अगर अपने मन से आ रही है , तब भी सवाल खड़े कर रही है ।
14 जुलाई से मध्यप्रदेश के उज्जैन नगरी से भगवान महाकाल के दर्शन कर शिवराज ने जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की इस दौरान एक विशाल सभा भी आयोजित की गई जिसमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मौजूद रहे और गदगद हो उठे। अपनी इस गदगदाहट में शाह अपने तीन माह पुरानी घोषणा से भी पलट गए । जो उन्होंने मध्य प्रदेश के देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं के सम्मान को बरकरार रखने की दृष्टि से की थी ।
पहले उज्जैन और फिर दूसरे चरण में मैहर में उमड़ी  भीड़ को लेकर कांग्रेस सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है ।  सरकारी बस ही उपलब्ध नहीं कराई गई बल्कि सरकारी अमले को भी भीड़ जुटाने की जवाबदारी सौंपी गई । कांग्रेस का आरोप है कि मध्य प्रदेश में शिवराज अपने राजनीतिक मंसूबे पूरे करने के लिए सरकारी संसाधनों का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषक भी इस भीड़ को देखकर आश्चर्यचकित हैं। इधर रात दो बजे भी जनता शिवराज का स्वागत करने और भाषण सुनने के लिए सड़क पर मौजूद है। विश्लेषज्ञ सालों पहले देश के बड़े राजनेताओं की सभा में जुटने वाली भीड़ से आज की तुलना कर रहे हैं । विश्लेषकों का मानना है कि अटल बिहारी बाजपेई और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं की सभा में जनता स्वस्फूर्त तरीके से पहुंचती थी । तब ना प्रचार के इतने साधन थे और ना ही राजनीतिक दल भीड़  जुटाने के प्रयत्न आज की तरह करते थे। हालांकि कुछ दिनों पूर्व मंदसौर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा में लगभग डेढ़ लाख जनता की मौजूदगी सरकार के कान खड़े कर गई थी । इसका कारण यह था कि मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी पर मृतक किसानों की याद में यह सभा की गई थी । इस सभा में जनता स्वस्फूर्त पहुंची थी । कांग्रेस के नेताओं ने भीड़ को इकट्ठा करने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए थे। सरकार के खिलाफ हर मोर्चे पर व्याप्त एंटी इनकंबेंसी को देख कर भारतीय जनता पार्टी पिछले 2 माह से लगातार अपने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के साथ साथ कार्यकर्ताओं को भी झोंके हुए हैं। उज्जैन मैं  जन आशीर्वाद  यात्रा की सभा के लिए इंदौर देवास भोपाल सीहोर आष्टा महू बड़वाह सनावद रतलाम शाहजहांपुर से भीड़ को एकत्रित करके ले जाया गया । यात्रा के इंचार्ज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा अपनी पूरी ताकत के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जुटे हुए थे । हाँलाकि जन आशीर्वाद यात्रा को पूरे प्रदेश के चारों कोनो पर एक जैसा जनसमर्थन चौकानें वाला तो जरुर है।
 इन सारे हालातों के बाद राजनैतिक विश्लेषक इस बात को समझने का प्रयास कर रहे हैं कि अगर भाजपा के अंदरखानों में मध्यप्रदेश में व्याप्त एंटीइंकम्बेंसी को लेकर मौजूदा विधायकों के लगभग अस्सी टिकट काटने की तैयारी कर रही थी तो यह भीड़ क्या सिर्फ शिवराज के चेहरे को देखकर आ रही है । अगर क्षेत्र में विधायकों से जनता नाराज हैं तो क्या संभव है इतनी भीड़ आ सकें । ऐसी स्थिति में क्या पार्टी अपने विधायकों के टिकिट काट सकेगी। भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक का कहना हैं कि जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ रही भीड़ सिर्फ शिवराज के चेहरे का जादू ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की पिछले दो माह की मेहनत भी हैं। उन्होंने इसे मेहनत और आम जन का उत्साह भी बताया। उक्त विधायक ने इस बात को स्वीकारा कि इस भीड़ के एकत्रित करने में लगभग पन्द्रह बीस प्रतिशत योगदान सरकारी अमले का नकारा नहीं जा सकता। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के तमाम आला नेता इस यात्रा को भाजपा के खर्चे पर होना बता रहे हैं और उमड़ रही जनता का कारण शिवराज की लोकप्रिय योजनाओं को बता रहे हैं लेकिन नजर आ रहे हालात और सोशल मीडिया पर चल रही बहस से यह बात नजर आ रही है कि अगर जनता को ढोकर ले जाया जा रहा है तो यह एक बारात है वरना विदाई का संकेत

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