आय ए एस जुलानिया के मनीट्रैल का सच ?


E-Tendring मामले में गिरफ्तार आरोपी के साथ लिंक संयोग या संदेह
खबर नेशन / खबर नेशन
ई-टेंडरिंग मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने एक ठेकेदार आदित्य त्रिपाठी को बंगलोर से गिरफ्तार किया है । इस आरोपी के खाते से घूमकर लगभग एक करोड़ रुपए मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के बैंक खाते में जमा हुए हैं । इस ट्रांजेक्शन को लेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन ने  ठेकेदार आदित्य त्रिपाठी से गिरफ्तारी के पूर्व फोन पर चर्चा की जिसमें ठेकेदार पहले इस तरह के किसी भी ट्रांजेक्शन से इंकार कर रहा है और फिर बाद में कारण बताते हुए कह रहा है कि मेरी बहन ने राधेश्याम जुलानिया से एक प्लाट खरीदा था जिसके एवज में यह भुगतान किया गया है । ठेकेदार त्रिपाठी की फर्म अग्नि इंफ्रा से पहले ठेकेदार के पिताजी के खाते में और फिर पिताजी के खाते से बहन के खाते में होते हुए जुलानिया के खाते में यह पैसा जमा हुआ है । 
आदित्य त्रिपाठी जल संसाधन विभाग के ठेके सबलेट पर लेता है ।आदित्य त्रिपाठी पर आरोप है कि वह ई टेंडर घोटाले में अधिकारियों को मैनेज करता था। मेंटाना ग्रुप और आदित्य के बीच हवाले के जरिए कालेधन के देन लेन हुआ।

आदित्य त्रिपाठी ने 2018 में अपनी फर्म अर्नी इन्फ्रा से 52 लाख रूपए निकाले, पहले अपने खाते में लिए, कुछ देर बाद यह रकम उसने अपने माता पिता के ज्वाइंट खाते में डाली, फिर कुछ देर बाद यह रकम पिता के निजी खाते में ट्रांसफर की और एक ही दिन में 49.50 लाख रूपए वरिष्ठ आईएएस राधेश्याम जुलानिया के निजी बैंक खाते में ट्रांसफर हो गए।

गिरफ्तारी से पहले आदित्य त्रिपाठी ने भोपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार से फोन पर बातचीत में बताया कि जुलानिया जी का एक प्लाट उसके पिता ने, उसकी बहन के नाम खरीदा है जिसकी रजिस्ट्री 2019 में हो चुकी है।

ईडी इस मामले की जांच कर सकती है।

आखिर क्या सच्चाई है इस मनीट्रैल की जो ईओडब्ल्यू में जांच प्रक्रिया में है ?
बहन द्वारा प्लाट खरीदने की जानकारी ठेकेदार आदित्य त्रिपाठी को थी तो फिर अपने पिता के माध्यम से इस एंट्री को घुमाने की वजह क्या थी ? त्रिपाठी अपनी बहन को भी सीधे-सीधे पैसा दे सकता था ।
आखिर क्या है ऑडियो क्लिप के वायरल का सच ? 
कहीं यह मध्यप्रदेश में चल रहे राजनैतिक और प्रशासनिक कलह का षड़यंत्र तो नहीं ?
जब इस बारे में राधेश्याम जुलानिया से फोन पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मैंने शासन से विधिवत अनुमति लेकर अदिति त्रिपाठी को बाग मुगालिया की जमीन बेची है । आप मुझे ऑडियो भेजें पता तो चले कि क्या चल रहा है । उन्होंने कहा कि यहां जो कुछ भी है वो साफ सुथरा है और गवर्नमेंट से इजाजत लेकर है।
श्री जुलानिया के आग्रह पर उन्हें वायरल ऑडियो की क्लिपिंग भेजते हुए उनसे पक्ष रखने का आग्रह भी किया गया था। जिस पर उन्होंने वाट्स एप मैसेज के द्वारा जबाव भेजते हुए कहा कि उन्होंने श्री जैन के खिलाफ नई दिल्ली में एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है, मेरे खिलाफ भ्रष्ट इरादों के लिए झूठे और काल्पनिक आरोपों को गलत ठहराने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए। कोर्ट ने मामला दर्ज कर श्री जैन को तलब किया है।

मैंने अपनी आवासीय भूमि कलेक्टर गाइडलाइन दर पर अदिति त्रिपाठी को GoMP के तहत और सरकार के साथ बेच दी। स्वीकृति। आप सरकार के पत्रों की एक प्रति जमा कर सकते हैं और मेरी ओर से पंजीकृत बिक्री कर सकते हैं। मुझे इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि खरीदार को पैसा कहां से मिलेगा।

यदि आप उद्देश्यों को जारी रखना चाहते हैं तो आप और अधिक दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ प्रतिबद्ध होंगे।
 (A criminal defamation case has been filed in New Delhi against Mr Jain for defaming and levelling false and fictitious allegations attributing corrupt motives on me.  The Court has registered the case and summoned Mr Jain.

I sold my residential land at collector guideline rate to Aditi Tripathi under intimation to GoMP and with Govt. acknowledgement. You may collect a copy of govt letters and registered sale deed from me. I am not concerned as to where the buyer gets money.

If you continue to attribute motives you would be committing further wilful contempt.)

दूसरे मैसेज में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी मानहानि को उचित तरीके से निपटाया जाएगा और मैं जरूरत पड़ने पर अदालत में रिकॉर्ड के लिए व्हाट्सएप चैट का उपयोग करूंगा। (Any defamation would be dealt appropriately and I would use the whatsapp chat for records in court, if  needed.)
इसी के साथ ही उन्होंने  उक्त भूमि के विक्रय संबंध में अंजलि त्रिपाठी के साथ हुए सौदे की जानकारी संबधी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पत्र की प्रतिलिपि भी सौंपी ।

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