मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने लिया पांच मामलों में संज्ञान

खबर नेशन / Khabar Nation

आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल सतना में एक गर्भवती की सर्जरी में लापरवाही करने से उसके नवजात का सिर धड़ से अलग हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। सीएमएचओ और सिविल सर्जन दोषी डॅाक्टर पैरा मेडिकल स्टाफ पर कार्यवाही करने बजाय मामले में पर्दा डालने की कोशिश करते रहे। सतना जिले के मैहर डेल्हा निवासी प्रसूता को प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजन 27 नवम्बर को सिविल अस्पताल मैहर ले गये। गर्भस्थ शिशु की धड़कन नहीं मिलने पर डॅाक्टरों ने प्रसूता को जिला अस्पताल सतना रेफर कर दिया। वहां रात 11 बजे डॅा. नीलम सिंह ने सर्जरी की। उन्होंने सर्जरी घोर लापरवाही बरती, जिससे नवजात का सिर धड़ से अलग हो गया और परिजनों से कह दिया कि नवजात ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया था। मामले में आयोग ने संचालक, स्वास्थ्य सेवायें, मप्र शासन, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर सभी सुसंगत दस्तावेजों सहित एक माह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।

भोपाल में सीनियर सिटीजन्स और अकेली रह रही महलिओं की देखभाल की जिम्मेदारी पुलिस ने संभाली है। इसके लिए सीनियर सिटीजन्स को घर में अकेले छोड़कर जाने की स्थिति में परिजनों को इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी। इसी तरह अकेली रह रही महिलाओं को पुलिस की आवश्यकता है, तो वे भी पुलिस को जानकारी दे सकती हैं। यह सुविधा मप्र पुलिस ने सिटीजन पोर्टल पर शुरू की है। इस पोर्टल पर लापता लोगों की जानकारी भी अपलोड की जा सकती है। इस पोर्टल पर अब तक 38 रजिस्ट्रेशन सीनियर सिटीजन्स के हुये हैं। अब तक 32 महिलाएं पोर्टल पर अपनी जानकारी दे चुकी हैं। साथ ही अब तक 43 हजार से ज्यादा लोग अपना चरित्र सत्यापन इस पोर्टल के जरिये करा चुके हैं। मप्र मानव अधिकार आयोग ने इस बारे में पुलिस कमिश्नर भोपाल से दो माह में जबाव मांगा है। आयोग ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों/अकेली रह रही महिलाओं के संबंध में सिटीजन पोर्टल पर सुविधाओं की उपलब्धता के संबंध में जिले के प्रत्येक थाना स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाये। ऐसे सरलता से कठिनाई में आ सकने वाले नागरिकों की सुरक्षा के लिए उनकी जानकारी, पता, सम्पर्क के लिए मोबाईल नं., आकस्मिकता में सूचना देने के लिए सम्पर्क मोबाईल नं. तथा ऐसे व्यक्तियों के पास स्थानीय पुलिस स्टेशन एवं विशिष्ट पुलिस अधिकारी से सम्पर्क हेतु मोबाईल नं. की उपलब्धता सहित ऐसे व्यक्तियों के साथ पुलिस का नियमित अंतराल पर जीवन्त सम्पर्क आदि की जानकारी के लिए किये गये उपाय प्रतिवेदन में उल्लेखित किये जायें।

ग्वालियर शहर के टोपी बाजार में बीते मंगलवार को बिजली के हाईमास्ट को ठीक करते समय हाईटेंशन लाईन के संपर्क में आने से नगर निगम के सहायक लाइनमैन लाल सिंह चैहान की मौत हो गई। शाम 5 बजे के करीब लालसिंह हाइड्रोलिक वाहन की डोली में खड़े होकर हाईमास्ट सुधार रहा था, तभी उसका सिर पास से गुजर रहेी हाईटेंशन लाईन से छू गया। उन्हें डोली से उतारकर अस्पताल से जाया गया। जहां डॅाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में आयोग ने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मध्य क्षेत्र विविकलि., भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जबाव मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि विद्युत कर्मचारियों की सुरक्षा के क्या उपाय/उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं ? हाईटेन्शन लाईन के पास काम करने के लिए क्या अतिरिक्त निर्देश/व्यवस्थायें, सुरक्षा की दृष्टि से की गई हैं ? सिर की सुरक्षा के लिए लाईनमैन को क्या उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं और हाईटेंशन लाईन के पास कार्य के दौरान क्या ऐसे उपलब्ध उपकरण सुरक्षात्मक हैं ? विद्युत वितरण कम्पनी के विद्युत लाईन पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए ऐसे सुरक्षात्मक उपायों की उपलब्धता के संदर्भ में जानकारी प्रतिवेदन में दी जाये। साथ ही इस घटना में मृतक लाईनमैन लालसिंह चैहान के परिवार को विभागीय स्तर पर दी गई सहायता राशि का विवरण भी प्रतिवेदन में दिया जाये।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने महिला बाल विकास विभाग, शाजापुर के अधीन कार्य करने वाली विधवा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को घरेलू हिंसा का शिकार होने के बावजूद उसे कहीं से भी राहत न मिलने की घटना पर संज्ञान लिया है। बीते मंगलवार को पीड़िता कलेक्टर कार्यालय शाजापुर पहुंची और यहां आवेदन देकर उसने बताया कि 7 सितम्बर, 2022 को उसके पति की दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद से ही उसके सास-ससुर और जेठ-जेठानी उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। उसने आरोपियों पर कार्यवाही के लिए पुलिस में शिकायत भी की पर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़िता ने वन स्टाफ सेन्टर (सखी केन्द्र) में भी गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली। पुलिस ने भी अब तक आरोपियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, शाजापुर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल बैतूल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन नहीं होने के बाद मरीजों को निजी अस्पताल या भोपाल, नागपुर जाने का मजबूर होने की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। जिला अस्पताल प्रबंधन ने इस मशीन के लिये राज्य शासन को बीते दो वर्ष से प्रस्ताव भेजा है, लेकिन यह मशीन अब तक नहीं मिल पाई है। यदि यह मशीन मिल जाती है तो गरीब मरीजों को इलाज के लिये निजी अस्पताल या अन्य शहर नहीं जाना पडेगा। मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मप्र शासन, मंत्रालय भोपाल से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा दो साल पूर्व ही प्रस्ताव भेजने उपरांत भी अबतक इस प्रस्ताव पर कार्यवाही/निर्णय क्यों नहीं लिया गया ? प्रतिवेदन में इसका कारण भी बताया जाए।

मप्र मानव अधिकार आयोग में आवेदन लगाने पर आवेदक को मिला लंबित मानदेय

मप्र मानव अधिकार आयोग में आवेदन लगाने पर आवेदक को उसके लंबित मानदेय का भुगतान कर दिया गया है। ग्राम कछरा पोस्ट रजनिया, जिला सिंगरौली निवासी आवेदक वंशलाल साकेत ने आयोग में शिकायत की थी कि उसने एक पब्लिक स्कूल में अतिथि शिक्षक के रूप में तीन माह कार्य किया है, किंतु स्कूल संचालक द्वारा उसे उसका मानदेय नहीं दिया गया है। शिकायत मिलते ही आयोग ने प्रकरण क्र. 4023/सिंगरौली/2022 दर्जकर कलेक्टर सिंगरौली से प्रतिवेदन मांगा। कलेक्टर सिंगरौली की ओर से जिला शिक्षाधिकारी ने आयोग को प्रतिवेदन दिया है कि प्रकरण की जांच कराई गई। जांच में स्कूल संचालक द्वारा आवेदक को 3500 रूपये भुगतान करना शेष पाया गया। स्कूल संचालक को आवेदक के शेष मानदेय की संपूर्ण राशि पंद्रह दिन में भुगतान कर देने को कहा गया। स्कूल संचालक ने शेष राशि आवेदक को दे दी है। चूंकि शिकायतकर्ता की शिकायत का निदान हो चुका है, अतः मप्र मानव अधिकार आयोग में भी यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।

मप्र मानव अधिकार आयोग की दो अनुशंसाओं का हुआ परिपालन

मप्र मानव अधिकार आयोग ने प्रकरण क्रमांक 3324/बैतूल/2020 में राज्य शासन को कुल चार अनुश्ंासाएं की थीं। आयोग द्वारा की गई इन चार अनुशंसाओं में से दो अनुशंसाओं का पालन कर लिया गया है। पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा इस आशय का प्रतिवेदन दिया गया है। प्रकरण के अनुसार आयोग ने एक दैनिक समाचार पत्र में ‘‘पुलिसकर्मियों के खिलाफ मारपीट कर रूपये छीनने का आरोप’’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर स्वसंज्ञान लिया था। घटना के अनुसार बैतूल जिले के भीमपुर तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले ग्राम वारेढाना के रहने वाले दो आदिवासी भाईयों ने मोहदा थाना के पुलिसकर्मियों के खिलाफ छोटे भाई के साथ मारपीट कर रूपये छीनने का गंभीर आरोप लगाया है। इस घटना में युवक की मौत भी होना सामने आया है। घटना की शिकायत मृतक के भाईयों ने एसपी से की थी। शिकायतकर्ता शोभाराम नर्रे, राजाराम नर्रे पिता सम्मल नर्रे ने मोहदा थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों की नामजद शिकायत करते हुये भाई की मौत का जिम्मेदार ठहराया था। आवेदकों ने शिकायत में उल्लेख किया था कि पुलिस थाना मोहदा के पुलिसकर्मियों ने उनके भाई गंजु सिंग नर्रे से रूपये छीनकर उससे मरणावस्था तक मारपीट की। इसके बाद जंगल में उसे लावारिस छोड़ दिया। आयोग ने माामले में एसपी बैतूल से जवाब मांगा था। आयोग द्वारा मामले की निरंतर सुनवाई की गई। अंततः पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा प्रतिवेदन दिया गया है कि रोड़ एक्सीडेंट में घायल गंजू नर्रे को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराते हुए पुलिसकर्मियों द्वारा की गयी गलती प्रमाणित पाई जाने पर आयोग की अनुशंसा अनुसार मृतक के परिजनों को 25000 रूपये क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान कर दिया गया है। इसी प्रकार दोषी पाये गये दो लोक सेवकों को सुनवाई का अवसर दिया गया। अंततः दोष सिद्ध पाये जाने पर दोनों के वेतन से 12500-12500 रूपये वसूल कर लिये गये।

 

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