2024 में मोदी को वीरगति मिलेगी ? आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

एक विचार Jun 05, 2023

राष्ट्र-चिंतन
 

खबर नेशन / Khabar Nation  

मैंने चार महीनें का समय लगाया और पूरे देश की राजनीतिक स्थिति तथा जनता के मन-मिजाज का अध्ययण किया। मेरी कसौटी पर देशभक्ति थी और जिहाद था तथा आत्म जनता की निजी व स्थानीय आंकाक्षाएं भी थी, नये वोटिंग समूह की सोच भी थी। कहीं न कहीं विरोध की भावनाएं निहित थी। विरोध की भावनाएं शीर्ष स्तर पर बैठे मोदी के प्रति कम जरूर थी और पार्टी और अन्य नेताओं के प्रति विरोध की भावनाएं जरूर मिली हैं। जनकल्याणकारी योजनाओं का असर तो है पर भ्रष्ट नौकरशाही और अराजक राज्य सरकारें तथा महंगाई खलनायक के तौर पर उपस्थित होकर अपनी खलनायकी दिखा रही है।
           मेरा नरेन्द्र मोदी चुनाव सर्वेक्षण रिपोर्ट सटीक रही है। मैंने 2014 के पहले रिपोर्ट दिया था कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने वाले हैं और उन्हें पूर्ण बहुमत मिलने वाला है। प्रमाण के तौर पर मेरी पुस्तक है। मैंने नरेन्द्र मोदी पर एक पुस्तक लिखी थी जो 2013 में आयी थी। पुस्तक का नाम है नरेन्द्र मोदी 21 वीं सदी का नायक। मैने इस पुस्तक में एक सिद्धांत दिया था कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। 2019 में भी मैंने मोदी के फिर से आने की रिपोर्ट दी थी। चौकीदार चोर के नारे से कांग्रेस साफ हुई थी और राहुल गांधी की दुर्गति हुई थी। राजस्थान, छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश में भाजपा की पराजय की मेरी बात सच हुई थी। मैंने यही बात हिमाचल और कर्नाटक विधान सभा चुनावों में भाजपा की हार पर कही थी। इन सभी सटीक विश्लेषणों पर मेरे आर्टिकल भी अखबारों मे प्रकाशित हुए थे।
               आम जनता अभी भी नरेन्द्र मोदी के प्रति उतनी नाराजगी नहीं रखती है जितनी नाराजगी भाजपा की सरकारों के प्रति है। नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी और अपने नेताओं को जनाकांक्षी बनाने में सफल नहीं हुए हैं। उत्तर प्रदेश में योगी और असम में हिमंत व्श्वि शर्मा का प्रदर्शन तो ठीक-ठाक है पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट, हरियाणा, में भाजपा की राज्य सरकारों का प्रदर्शन औसत से भी नीचे है। यह तथ्य भी है कि योगी और हिमंता के राज्य में भी नौकरशाह जनता के लिए यमराज के सामान हैं।
                 मोदी के लिए परेशानी हिन्दू एक्टिविस्ट हैं। मोदी की हवा हिन्दू एक्टिविस्ट बनाते थे। अभी भी दस प्रतिशत वोट ऐसे होते हैं जो हवा के साथ चलते हैं। जिसकी हवा तेज बहती है उसी को इस मानसिकता के वोट पडते हैं। हिन्दू एक्टिविस्ट मोदी और भाजपा के शासनकाल में सर्वाधिक प्रताडित हैं, जेल गये हैं और मारे गये हैं, हिन्दू एक्टिविस्टों को मदद करने में भाजपा की सरकारें और हिन्दू संगठनों को खुजली होती है। हिन्दू एक्टिविस्ट अब कहते हैं कि आने दो कांग्रेस को, हम लड़ लेंगे, भाजपा के शासन में तो हम बिना लडे मारे जा रहे हैं, जेल जा रहे हैं।
                मोदी की केन्द्रीय सत्ता में आने के बाद फर्जी और रंग-विरंगी, गिरगिट छाप हिन्दू समर्थकों की भीड़ बढी है, सत्ता सुख भोगने के लिए नये-नये विचारक, पत्रकार, बुद्धिजीवी  आदि पैदा हो गये जिन्हें कभी हिन्दुत्व से खुजली होती थी। विष कन्याएं तो भाजपा के रीढविहीन और एयरकंडिशनर टाइट के नेताओं को प्रिय रही ही हैं। ऐसी मानसिकता के लोग चुनावों की जमीनी हकीकत को समझेगे कैसे? जयप्रकाश नड्डा अपने प्रदेश हिमाचल प्रदेश में भाजपा की नैया डूबो चुके हैं, नड्डा की व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा के कारण हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीनने की वीरता अर्जित की थी। भाजपा का संगठन मंत्री वीएल संतोष खुद कर्नाटक से आते हैं पर वे अभी-अभी कर्नाटक में भाजपा को बचाने की क्षमता नहीं दिखायी, कर्नाटक में भाजपा बूरी तरह से पराजित हो गयी और कांग्रेस डंके की चोट पर जीत गयी। नड्डा और बीएल संतोष ही मोदी के 2024 के नीतिगत चेहरे हैं, इन्हीं दोनों पर मोदी के भविप्य बचाने की जिम्मेदारी है पर समस्या यह है कि ये दोनों के पास न तो राजनीतिक क्षमता है और न ही वैचारिक क्षमता है, जनता के वोट समीकरण की भी इनकी समझ बहुत ही निम्नस्तर की है।
          जहां भी भाजपा की राज्य सरकारें हैं वहां पर जनविरोधी नौकरशाही खलनायक के तौर पर उपस्थित है। नौकरशाही भाजपा के सांसदों और विधायकों की एक नहीं सुनती है, समस्याओं के समाधान करने के बदले में नौकरशाही भाजपा के सांसदों और विधायकों का अपमान भी करती है। जनकल्याणकारी योाजनाओं का प्रभाव है पर छोटे-छोटे कार्यो में भी नौकशाही की रिश्वतखोरी की आदत यमराज की भूमिका रेखाकिंत करती है। उत्तर प्रदेश के कानपुर क्षेत्र में भाजपा के एक विधायक की थाने में जमकर पिटायी होती है पर योगी सरकार की वीरता नहीं उठती है। यही हाल हरियाणा, महाराष्ट, गुजरात और असम आदि में है।
            सिर्फ कांग्रेस और मुस्लिम-ईसाई परस्त नेताओं की मूर्खताओ पर नरेन्द्र मोदी कोई करिश्मा कर सकते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 में भाजपा का दाह संस्कार कर दिया था। लेकिन कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद का बीजारोपन कर भाजपा को जिंदा कर दिया। अगर कांग्रेस, मुस्लिम और ईसाई समर्थक लोग और संगठन अति हिन्दू विरोधी की समझ और क्रियाएं नहीं छोडेगे तो फिर मोदी इस परिस्थति में भी अपने आप को नायक के तौर पर उपस्थित कर सकते हैं।


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