कमरे बराबर पिंजरे में हो रहा हैं चार से पाँच टन मछली का उत्पादन

केज कल्चर में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों में 

भोपाल। मत्स्य विभाग द्वारा कम पानी और कम जगह में अधिक मछली उत्पादन के लिये प्रदेश में केज कल्चर को प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। विभाग द्वारा नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रदेश में 6X4X4 मीटर के 580 केज में सफलता से मछली पालन कराया जा रहा हैं। प्रत्येक केज में औसत 96 घनमीटर जल क्षेत्र मिलता हैं। एक केज में 4 से 5 टन पंगेशियस मछली का उत्पादन हो रहा हैं। वैसे एक हेक्टेयर जल क्षेत्र में 2 टन मछली का उत्पादन प्राप्त होता हैं। पंगेशियस मछली थोक भाव में 80 रूपये प्रति किलो की दर से बिकती हैं।

केन्द्रीय नील क्रान्ति योजना और आदिवासी विशेष केन्द्रीय सहायता योजना में पिंजरों की स्थापना कर पंगेशियस मछली का उत्पादन किया जा रहा हैं। हर केज में 5 से 6 हजार पंगेशियस मत्स्य-बीज का संचयन किया जाता हैं। कम जल क्षेत्र में अधिक उत्पादन मिलने से यह तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। केज कल्चर में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हैं। केज की स्थापना उन जलाशयों मंा की जाती हैं, जहाँ गर्मी के मौसम में भी जल की अधिकतम गहराई 7 मीटर तक होती हैं। केज का निर्माण एचडीपीई के मॉड्यूलर फ्लोटिंग डाक से होता हैं। केज जलाशय में तैरते रहते हैं। इनमें पाली जाने वाली पंगेशियस मछली को फ्लोटिंग फिश फीड दिया जाता हैं। मछली के खाने में यह ध्यान रखा जाता हैं कि उसमें प्रोटीन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक हो। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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