प्रधानमंत्री आवास योजना से सरस्वती बाई को मिला पक्का आवास

भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब परिवारों, विधवा, परित्यक्ता आदि के लिये भी मील का पत्थर साबित हो रही हैं। बहुत से परिवार इस योजना से अपना खुद का पक्का आश्रय (आवास) मिलने के कारण आज प्रफुल्लित हैं। इन परिवारों के लिये स्वयं का पक्का आवास एक दिवास्वप्न के समान था, जिसे इस योजना ने साकार कर दिया हैं।

सिवनी जिले के विकास खण्ड छपारा की ग्राम पंचायत बकोड़ासिवनी निवासी सरस्वती बाई डहेरिया पति स्व.भैयालाल डहेरिया का जीवन अब दुख भरा नहीं रहा। शादी के कुछ वर्षो बाद ही पति की आकस्मिक मृत्यु हो जाने से इनका परिवार टूट चुका था। सरस्वती बाई को गरीब होने और छोटे से कच्चे मकान होने की पीड़ा सदैव खलती थी। इनके मन में हमेशा स्वयं के पक्का आवास का सपना पल रहा था। यह सपना प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से पूरा हुआ हैं। योजनान्तर्गत शासन से मिली आर्थिक सहायता और स्वयं की बचत की पूंजी लगाकर आज सरस्वती बाई ने अपना स्वयं का सुंदर पक्का आशियाना बनवाया हैं। इसमें स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय का भी निर्माण किया गया हैं।

भूले हुए सपने हकीकत में बदले : रोटी एवं कपड़े के बाद आवास मनुष्य के जीवन की प्रमुख आवश्यकता होती हैं। मनुष्य के जीवन का प्रथम प्रयास इन्ही मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होता हैं। इन्ही आवश्यकताओं की अच्छे ढंग से पूर्ति के लिये वह सपने सँजोता हैं। इन सपनों की पूर्ति के लिए संसाधन नहीं होने पर इंसान इन सपनों को भुला देता हैं। ऐसा ही कुछ अनूपपुर जिले के विकासखंड कोतमा अंतर्गत ग्राम बुढ़ानपुर के निवासी वासुदेव साहू के साथ हुआ। बचपन से ही वासुदेव सोचता था कि वह पक्के मकान मे रहेगा और बारिश, लू, आँधी इन सबके प्रकोप से दूर शांतिपूर्वक जीवन जियेगा, परंतु यह बचपन का स्वप्न, स्वप्न ही बन गया था। कभी फसल खराब होने, कभी माता-पिता की बीमारी, कभी घरेलू जरूरतों को पूरा करते-करते उसका परिवार इतने संसाधनों को कभी जुटा ही नहीं पाया।

वासुदेव जब अपने इस स्वप्न को पूर्णत: भूल चुका था, तभी उसे ग्राम के सरपंच ने बताया कि उसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में शामिल किया गया हैं। इसके साथ ही वासुदेव के खाते मे प्रथम किश्त के 40 हजार रुपये भी आ गये। वासुदेव एवं उसके परिवार ने स्वयं श्रम करके घर बनाने का कार्य प्रारम्भ किया और अपने स्वप्न को भौतिक स्वरूप दिया। कार्य की प्रगति के साथ-साथ उसे अन्य किश्त की प्राप्ति भी हुई। योजनानुसार कुल 1 लाख 46 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। इस सहयोग से उसके बचपन का भूला हुआ स्वप्न आज पूरा होकर हकीकत में तब्दील हो चुका हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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