आजीविका समूह और मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना से आत्म-निर्भर बनी ग्रामीण महिलाएँ

भोपाल । प्रदेश में जरूरतमंदों को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने में आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना मददगार साबित हो रही हैं। इस योजना का लाभ समाज की ग्रामीण महिलाओं ने भी आगे बढ़कर उठाया हैं। इन योजनाओं की मदद से ग्रामीण और जरूरतमंद महिलाएँ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने में निरंतर सफलता अर्जित कर रही हैं।

अनुपपूर जिले में विकासखंड पुष्पराजगढ़ के ग्राम किरगी की राजकुमारी जायसवाल साधारण ग्रामीण महिला की तरह परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं। उनकी सिलाई की छोटी-सी दुकान थी, जिसे पति के साथ मिलकर चला रही थीं। राजकुमारी के मन में अपने इस कारोबार को बढ़ाने की प्रबल इच्छा थी, लेकिन पूँजी का न होना उनके लिये बहुत बड़ी समस्या थी। राजकुमारी को एक दिन म.प्र. राज्य ग्रामीण अजीविका मिशन के बारे में पता लगा, तो उसने आजीविका समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। इसके बाद तो राजकुमारी के जीवन में खुशहाली के सभी दरवाजे खुल गये।

राजकुमारी ने आजीविका समूह से जुड़ने के बाद नियमित रूप से बचत करना शुरू कर दिया। समूह से पहली बार 20 हजार रुपये का ऋण लेकर दीपावली के मौके पर पटाखों का व्यापार किया। इस व्यापार से हुई आमदनी और ब्याज की राशि समूह को वापस लौटाने के बाद दूसरी बार 50 हजार रुपये का ऋण लिया। इस ऋण राशि को भी ब्याज सहित समूह को लौटा दिया। इन दो अनुभवों ने राजकुमारी की हिम्मत बढ़ा दी। इसके बाद उसने समूह से ऋण लेकर सिलाई के व्यवसाय को बढ़ाया। 

आज राजकुमारी के सिलाई सेन्टर में 6 अन्य महिलाएँ भी काम कर रही हैं। सेंटर चलाने का सब खर्च काटने के बाद इन्हें 8 से 10 हजार रुपये महीना आमदनी आसानी से हो रही हैं। अब राजकुमारी ने मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में एक लाख रुपये का ऋण लेकर रेडीमेड गारमेंट की दुकान भी खोली हैं। उन्हें इस पर सब्सिडी भी मिली हैं। बी.एससी तक पढ़ी राजकुमारी जायसवाल ने महिला समूह और मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के बारे में अपने गाँव की अन्य महिलाओं को भी बताया हैं।

छिन्दवाड़ा जिले के सौसर की रोशनी वाकेकर को भी स्वयं का सिलाई सेंटर चलाने में मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना से भरपूर मदद मिली हैं। रोशनी पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का काम करती थीं और बचे हुए समय में घर में सिलाई का काम करती थीं। अपने सिलाई सेन्टर को बढ़ाना चाहती थीं, लेकिन पूँजी की समस्या थी। हाथकरघा कार्यालय में मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में लोन का आवेदन दिया, तो एक लाख 50 हजार रुपये का ऋण मंजूर हो गया। ऋण के साथ सब्सिडी भी मिली। रोशनी ने नगरपालिका काम्पलेक्स की दुकान में दो सिलाई मशीन और पीको मशीन रखकर सिलाई का काम शुरू किया। इस दुकान से उसे अब सभी खर्च काटकर 5 से 6 हजार रुपये आमदनी हो रही हैं। आज रोशनी अपनी दुकान में जरूरतमंद महिलाओं को रियायती दर पर प्रशिक्षण देने का काम भी रही हैं। रोशनी बैंक को प्रति माह करीब 2 हजार 500 रुपये की मासिक किश्त नियमित रूप से लौटा रही हैं।

(खबरनेशन / Khabarnation)
 

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