खुशी के लिये नहीं, खुश होकर काम करने से मिलेगी खुशी - स्वामी सुखबोधानन्द
सकारात्मक विचार ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं - मुख्यमंत्री चौहान
भोपाल। वेद मर्मज्ञ एवं प्रखर आध्यात्मिक गुरू स्वामी सुखबोधानन्द ने कहा हैं कि खुशी के लिये काम करने से खुशी नहीं मिलेगी, बल्कि खुश होकर काम करने से खुशी मिलेगी। यंत्रवत जीवन और प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति से मुक्ति पाना जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि परेशानियों और समस्याओं को सकारात्मक दृष्टि से देखने पर वे भी गुरू बन जाती हैं। स्वामी सुखबोधानन्द ने आज यहां प्रशासन अकादमी में आनन्द विभाग के अंतर्गत राज्य आनन्द संस्थान द्वारा आयोजित 'आनन्द व्याख्यान' में यह विचार व्यक्त किये।
मन की भीतर की स्थिति हैं आनन्द
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सकारात्मक विचार ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार का दर्शन आनन्द को प्राप्त करने का मार्ग बताता हैं। साम्यवाद और पूंजीवाद ने भी आनन्द प्राप्ति का रास्ता दिखाया था, लेकिन कालांतर में सही साबित नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि आनन्द और सुख में भेद नहीं समझने के कारण ऐसा होता हैं। उन्होंने कहा कि आनन्द मन की भीतर की स्थिति हैं, जबकि सुख बाहरी परिस्थितियों से निर्मित होता हैं। चौहान ने कहा कि केवल अधोसंरचनाएं खड़ी करने से आनन्द नहीं मिलता। अर्थपूर्ण जीवन जीना महत्वपूर्ण हैं। समृद्ध लोग भी दुखी रहते हैं और अभाव में रहने वाले भी खुश रहते हैं। इसलिये मनोदशा को सकारात्मक बनाने की कला सीखना होगा।
प्रत्येक क्षण में हैं आनन्द
स्वामी सुखबोधानंद ने आनन्द की चारित्रिक विशेषताओं और जीवन में उसकी उपस्थिति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आनन्द को भविष्य में देखने की प्रवृत्ति और आदत बना लेने से निराशा और दुख ही हाथ आयेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान ही सब कुछ हैं, इसलिए आनन्द भी वर्तमान में ही उपस्थित हैं। यह मन के भीतर हैं। उन्होंने कहा कि जब सब दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब ईश्वर नया द्वार खोल देता हैं। इसलिए प्रत्येक क्षण में आनन्द हैं। प्रत्येक पल में जीवन हैं। प्रत्येक पल ऊर्जावान हैं।
वर्तमान में भूतकाल का हस्तक्षेप नहीं होने दें
स्वामीजी ने कहा कि राग और द्वेष का रूपांतरण प्रेम में करने के लिए भक्ति की जरूरत पड़ती हैं। इसलिए भक्ति प्रमुख तत्व हैं। स्वामी ने कहा कि भविष्य माया हैं। सिर्फ वर्तमान ही सच हैं और वर्तमान में ही आनन्द व्याप्त हैं। उसकी अनुभूति करने की आवश्यकता हैं। आश्चर्य तत्व की प्रधानता होना चाहिए। उन्होने कहा कि वर्तमान में भूतकाल का हस्तक्षेप नहीं होने दें, इसके प्रति भी सचेत रहें। आनंद का दूसरा स्वरूप ऊर्जा हैं।
आनन्द विभाग के मंत्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान निरंतर नवाचार करने वाले मुख्यमंत्री हैं। आनन्द विभाग की स्थापना इसका उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि बहुत कम समय में आनन्द विभाग की गतिविधियों का प्रदेशव्यापी विस्तार हुआ हैं। पूरे देश में इसकी सराहना हो रही हैं। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द विभाग इकबाल सिंह बैंस और आनन्द क्लबों के सदस्य उपस्थित थे। (खबरनेशन / Khabarnation)