उद्यानिकी फसलों से भरपूर लाभ कमा रहे किसान

भोपाल। प्रदेश में किसान परम्परागत फसल के साथ-साथ उद्यानिकी फसल में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए किसानों को सब्सिडी के साथ भरपूर वित्तीय मदद भी दी जा रही हैं। इन किसानों ने उद्यानिकी फसलो की खेती में अपनी विशिष्ट पहचान भी बनाई हैं। 

मन्दसौर- जिले के मल्हारगढ़ विकासखण्ड के ग्राम बही के किसान दशरथ पाटीदार 1.50 हेक्टेयर कृषि भूमि में वर्षो से परम्परागत खेती करते आ रहे हैं। परम्परागत खेती में सीमित आमदनी होने से इन्हें घर चलाने में कठिनाई होती थी। इस संबंध में उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से चर्चा की। किसान दशरथ को उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने मल्चिंग प्लस ड्रिप पद्धति के बारे में जानकारी दी। नई तकनीक से उन्होंने अपने खेत में उद्यानिकी फसलें मिर्ची, टमाटर, ककड़ी आदि लगाई। नई तकनीक से किसान दशरथ को सब्जी का उम्मीद से ज्यादा उत्पादन मिला। इसके बाद उन्होंने शेडनेट भी लगाया। शेडनेट की आमदनी से उनका आत्मविश्वास बढ़ा तो उन्होंने अपने खेत में डेयरी भी लगाई। आज दशरथ कृषि में नई तकनीक अपनाकर बहुत खुश हैं। 

शाजापुर- जिले की कालापीपल तहसील के ग्राम चारखेड़ी के किसान जगदीश मल्चिंग पद्धति को अपनाकर लखपति बन गये हैं। पूर्व में जगदीश चना, गेहूँ और अन्य परम्परागत फसल ही लिया करते थे। इससे उनके खेत में कृषि उत्पादन लगातार घट रहा था। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो अधिकारियों ने मल्चिंग पद्धति से मिर्च की खेती करने की सलाह दी। उद्यानिकी विभाग की ओर से इस काम के लिए उन्हें सब्सिडी भी मिली। किसान जगदीश ने 0.250 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 200 क्विंटल हरी मिर्च की पैदावर प्राप्त की। इससे उन्हें 2 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई। उन्होंने उद्यानिकी फसल से मिली सफलता को अपने किसान साथियों के बीच साझा किया हैं। 

सिवनी- जिला मुख्यालय से 38 कि.मी दूर ग्राम ढेका के किसान प्रहलाद ठाकुर को भी उद्यानिकी फसल से फायदा पहुँचा हैं। इनके पास 2 हेक्टेयर पैत्रक कृषि भूमि हैं। प्रहलाद भी वर्षो से अपनी कृषि भूमि में परम्परागत फसल ले रहे थे। घटती कृषि आमदनी से उन्हें अपना घर चलाना मुश्किल होता जा रहा था। इन्होने उद्यानिकी विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रशिक्षण लेने के बाद प्रहलाद ने ड्रिप एरीगेशन के साथ मल्चिंग पद्धति से उद्यानिकी फसल लेने का मन बनाया। उद्यानिकी विभाग की ओर से उन्हें करीब 1 लाख 30 हजार रुपये का अनुदान भी मिला। इसके के बाद उन्होंने अपने खेत में मौसमी सब्जी के साथ अदरक की खेती प्रारंभ की। किसान प्रहलाद को उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले का मार्गदर्शन भी मिला। किसान प्रहलाद ने पिछले चार वर्षो में औसत रूप से उद्यानिकी खेती से 24 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। आज वे विश्वास से कहते हैं कि उद्यानिकी फसल से ही उनके जीवन में बदलाव आया हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)

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