भाजपाई अर्कमण्यता का पर्दाफाश

मप्र में औद्योगिक निवेश: 15 वर्ष बनाम 9 माह


कांगे्रस 11 तारीख तक भाजपाई घड़ियाली आंसू की रोज घंटी बजायेगी

भोपाल, - 
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी, मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी अपने बयान में कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के 15 वर्ष प्रदेश के औद्योगिक निवेश के लिये अभिशाप साबित हुये। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने रखी थी सिर्फ औद्योगिक धोखे की बुनियाद । 2007 से 2016 तक ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ में कहा गया कि 17,49,739 करोड़ रु. का निवेश होगा, मगर इन इन्वेस्टर्स समिट का नतीजा सिफर रहा।
1) तत्कालीन शिवराज सरकार के मुताबिक वर्ष 2007 से लेकर 2016 तक कुल 12 इन्वेस्टर्स मीट में 6,821 निवेश के प्रस्तावों का झांसा मध्यप्रदेश के सम्मुख परोसा और कुल 17,49,739 करोड़ रूपये के औद्योगिक निवेश के झूठे सब्जबाग दिखाकर अपनी प्रसिद्धी का ढोल पीटा। समूचे मध्यप्रदेश को धोखा दिया। निवेश के प्रस्ताव न तो जमीन पर आए और न ही लागू हुए। विशेषज्ञांे के मुताबिक इन इन्वेस्टर्स मीट के 17,49,739 करोड़ के निवेश के प्रस्तावों में से 50,000 करोड़ का निवेश भी जमीन पर नहीं आ पाया।
2) मध्यप्रदेश में 15 साल में 12 इन्वेस्टर्स मीट हुईं। 15-16 जनवरी, 2007 में खजुराहो एनआरआई इन्वेस्टर्स मीट से मध्यप्रदेश के साथ धोखा प्रारंभ हुआ, जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 22-23 अक्टूबर, 2016, इंदौर तक चलता रहा।
3) तत्कालीन भाजपा सरकार ने बताया कि 2012 तक 10 इन्वेस्टर्स समिट की गईं, जिसमें कुल 1238 निवेश के प्रस्ताव आए और मध्यप्रदेश में 8,88,797 करोड़ रूपये का निवेश किया जाएगा। मगर सच्चाई यह है कि 2012 तक की इन्वेस्टर्स समिट में 1238 में से मात्र 273 निवेश के प्रस्ताव ही जमीन पर आए और निवेश प्रस्तावों का 10 प्रतिशत भी निवेश नहीं हुआ।
4) ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 8-10 अक्टूबर, 2014 और 22-23 अक्टूबर, 2016 को इंदौर में इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर फिर मध्यप्रदेश के साथ धोखा हुआ। यह बताया गया कि 5,583 निवेश प्रस्तावों से कुल 8,60,941 करोड़ रूपये का औद्योगिक निवेश मध्यप्रदेश में किया जाएगा। मगर रोंगटे खड़े कर देने वाला सच 2018 में सामने आया कि इन 5,583 प्रस्तावों में से मात्र 224 प्रस्तावों से कुल 12,831 करोड़ रूपये का निवेश ही मध्यप्रदेश में हुआ।
5) पाॅवर प्लांट में निवेश का दावा 1,34,075 करोड़ - निवेश आया ‘शून्य’:
पाॅवर प्लांट में निवेश के नाम पर भी मध्यप्रदेश के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ। तत्कालीन भाजपा सरकार ने अखबारांे में निरंतर विज्ञापन दे सुर्खियां बटोरीं कि 36,160 मेगावाॅट बिजली पैदा करने वाले 1,34,075 करोड़ रूपये के 27 करार किए गए। 27 बिजलीघरों में से एक भी चालू नहीं हो पाया। न फूटी कौड़ी का निवेश आया और न ही बिजली पैदा हुई।  
औद्योगिक निवेश का स्वर्णिम भविष्य: कमलनाथ सरकार
नौ माह में रखी 30 हजार करोड़ के निवेश की बुनियाद


श्री दुबे ने बताया कि नौ माह की कांगे्रस सरकार में लगभग 30 हजार करोड़ रूपयों का निवेश मप्र में आया है। एक ओर समूचा देश केंद्र की भाजपा सरकार की अदूरदर्शिता के चलते भयंकर आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है, तो वहीं मप्र में निवेशकों की कतार लग रही है। हमें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मप्र का पीथमपुर बीते नौ माह में हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा फार्मा हब बन गया है। कल ही सिपला फार्मा ने 600 करोड़ रूपये के निवेश की बुनियाद पीथमपुर में रखी है। मप्र में जो बड़े निवेशक आये हैं, उनमें अजंता फार्मा ने 500 करोड़ का निवेश किया है, न्यूजर्सी की कंपनी पार फार्मा ने 400 करोड़ का निवेश किया है। मेक्लाॅईड ने 400 करोड रूपये का निवेश किया है।
इसी प्रकार श्रीराम डीसीएम गु्रप ने 600 करोड़ रूपये, इंडिया सीमेंट 1800 करोड़ रूपये, एचईजी ग्रफाईट 1400 करोड़ रूपये, रालसन टाॅयर 1700 करोड़, पी एंड जी ने 500 करोड़, सद्गुरू सीमेंट 250 करोड़, कृष्णा फास्फेट 300 करोड़ इत्यादि कई कंपनियों ने मप्र में बीते नौ माहों में बड़ा निवेश किया है।
मप्र के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने औद्योगिक निवेश को तीन भागों में विभाजित कर उनकी अलग-अलग नीतियों का निर्धारण किया है। पहली-एमप्लाईमेंट इंडस्ट्रीज जो रोजगार अधिक सृजित करती है। दूसरी-केपिटल इंडस्ट्रीज, जिनमें बड़ा निवेश हो रहा है और तीसरी-सनराॅईस इंडस्ट्रीज, जिनमें आॅर्टिफीशियल इंटेलीजेंस इंडस्ट्रीज होंगी। इसी प्रकार मप्र की टूरिज्म पाॅलिसी अलग होगी। हेल्थ टूरिज्म पाॅलिसी अलग होगी और आईटी पाॅलिसी अलग होगी।
मप्र में 20 हजार एकड़ का इंडस्ट्रीयल जोन बनाया जायेगा, जो भोपाल-देवास-इंदौर पर बनने वाले काॅरिडोर पर होगा। जो आने वाले 25 वर्षों तक मप्र की औद्योगिक आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति करेगा। वहीं पीथमपुर में 1200 एकड़ का इंडस्ट्रीयल पार्क बनकर तैयार है। हमें यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि भारत सरकार के जारी आंकड़ों के अनुसार बीते नौ माह में फार्मा इंडस्ट्री का मप्र से 10 हजार करोड़ रूपये का एक्सपोर्ट हुआ है।

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