पिछले साल में जीवन से क्या पाया, मन को क्या भाया ?

एड. आराधना भार्गव

Khabar Nation/खबर नेशन 
नया वर्ष आप सब के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह के साथ व्यतीत हो, आप स्वस्थ्य एवं प्रशन्न रहें ऐसी कामना ईश्वर से करती हूँ। पिछले साल की मेरी जीवन की बहुत सारी उपलब्धियाँ है जिन्हें मैं आप सब के साथ सांझा करती हूँ। केन्द्र सरकार का भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का एजेन्डा है और इस रास्ते पर उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है, तथा हिन्दु राष्ट्र का संविधान भी तैयार कर लिया है। भारत एक धर्मनिपेक्षय राष्ट्र है, स्पष्ट है कि भारत का अपना कोई धर्म नही है। भारत धर्मनिपेक्षय राष्ट्र बना रहे यह हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है और इसका सामना करने के लिए हम तैयार हैं। राजनैतिक नेताओं का मकसद अपनी छवि चमकाना और सत्ता में बने रहना है, अपनी असफलता को छिपाने के लिए सरकार ने हिन्दू और मुस्लिम के बीच कटुता पैदा करने का काम किया है और प्रिन्ट और इलेक्ट्राॅनिक मिडिया ने आग में घी डालने का काम किया है। इंदौर में पीढ़ियों से चूड़ी का व्यवसाय करने वाले मुस्लिम साथी को हिन्दू लड़की के साथ छेड़छाड़ का फर्जी मुकदमा बनाकर जेल के सींखचों के अन्दर डाल दिया। गुना में तीन मुस्लमान साथियों को एनकाउण्टर करके जीवन के घाट से उतार दिया, इतना ही नही बुलडोजर चलाकर उनके घर जमीन में मिला दिये गये। जीरापुर में हिन्दू और मुस्लिम की एकता को खत्म करने के लिए बिना कानूनी कार्यवाही किये मुस्लिम बस्ती के घर बुलडोजर चलाकर तोड़ डाले गये तथा मुस्लिम परिवार पर फर्जी मुकदमे बनाकर उन्हें जेल के सींखचों के अन्दर डाल दिया गया। इंदौर, गुना, जीरापुर, मन्दसौर में जाकर पीड़ित परिवार के लोगों से मुलाकात किया, सम्पूर्ण प्रकरण की एक रिपोर्ट बनाई तथा न्यायालय में पिटीशन भी दायर किया। प्रदेश में लव जिहाद का कानून बनाया गया जो की भारत के संविधान की आत्मा के खिलाफ था इस कारण कानून को रद्द करने के लिए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर किया। नवम्बर के महिने में माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने लव जिहाद के कानून को लागू करने पर स्थगन आदेश दिया।
छिन्दवाड़ा जिले के चैसरा ग्राम में थर्मल पाॅवर बनाने के लिए मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल ने सन् 1985-86 में जमीन अधिग्रहित किया किन्तु थर्मल पाॅवर बनाने में असफल रही, किसान अधिग्रहित भूमि पर 27 सालों तक खेती करते रहे इस बीच सन् 2010 में शिवराजसिंह चैहान के ईशारों पर विद्युत मण्डल ने उक्त भूमि पेंच अडानी पाॅवर प्रोजेक्ट को बेच दी पर आज तक अडानी थर्मल पाॅवर भी नही बन सका। तीन साल से किसान उस पर एक फसल ले रहे थे 2022 में उक्त भूमि पर किसानो ने 4 फसलें लेने का काम किया किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में किसानों को ये बड़ी सफलता मिली है। अब 1 इन्च  जगह भी खाली नही बची है। 28 दिसम्बर 2022 को महिला किसान ने बची जमीन पर चना बोया तथा आने जाने के रास्ते को पूर्णतः बन्द कर दिया अगर कोई व्यक्ति गलती से उस जगह पर निकलता है तो महिलायें किसी को जाने नही देती। काॅलोनी के मकान में अब किसान अपना निवास स्थल बनाने की तैयारी में है। उच्चतम न्यायालय में मामला अभी लम्बित है।
अडानी पाॅवर प्लाॅट को पानी उपलब्ध कराने हेतु 4/11/2012 को पेंच डाव्यवर्सन प्रोजेक्ट के नाम पर माॅचागोरा में बाँध बनाया गया जिसमें 31 गांव के किसानों की जमीने अधिग्रहित की गई है। किसानों का जीवन नर्क बना दिया गया। किसानों को उक्त भूमि का मुआवजा कमाण्ड एरिया की जमीन के अनुसार देने का उल्लेख 2002 की पुनर्वास नीति में किया गया, किन्तु मुआवजा डूब प्रभावित गांव के अनुसार ही दिया गया, जलाशय का काम पूर्ण होने के पश्चात् मछली पालन तथा विक्रय का अधिकार विस्थापित परिवार के सहकारी समिति को देना था, 8 सहकारी समिति पंजीबद्ध होने के पश्चात् भी किसी भी सोसाईटी को अधिकार नही दिया, विस्थापित परिवार को निवास हेतु कमाण्ड एरिया में ही बसाना था जहां कि उन्हें रोजगार उपल्बध हो सकता था किन्तु डूब प्रभावित गांव कि ही जमीन पर ही उन्हें निवास हेतु भूखण्ड प्रदान किये गये। मकान बनाने का अनुदान किसी भी विस्थापित परिवार को प्रदान नही किया गया। ना ही बेटियों को भी भूखण्ड उपलब्ध कराये गये ना ही उन्हें मकान बनाने का अनुदान दिया। पशु पालन के लिए अलग से भूखण्ड नही दिये गये। सरकार द्वारा 31 गांव में किसी को भी रोजगार उपलब्ध नही कराया गया। परिणाम स्वरूप रोजगार के आभाव में किसान मुआवजे की राशि पर ही निर्भर रह गया उसे निकालकर अपना जीवन चलाता रहा, पर अब मुआवजे की राशि भी समाप्त हो चली है। भारत की सबसे बड़ी अदालत उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति डाॅ डी. वाय. चन्द्रचूड एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली जी ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस दिया यह जानकर किसानों चेहरे खिल गये और उनके मन में जीवन की एक आशा कि किरण दिखाई दी। माननीनय न्यायमूति ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर कहा है कि सरकार  विस्थापित परिवारों का पुनर्वास कर दिया है शपथ पत्र के साथ जवाब दें। याचिका मैने तथा अन्य किसानों के साथ प्रस्तुत किया हैै। दुःख की बात यह है कि मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को उनका हक ना मिले इसके लिए 9 वकील लगा रखे है परन्तु आज दिनांक तक माननीय न्यायालय के समक्ष मध्यप्रदेश सरकार जवाब देने में असमर्थ रही, इस बात को लेकर किसान संघर्ष समिति ने 01 अक्टूबर 2022 से लेकर 08 अक्टूबर 2022 तक एड. आराधना भार्गव के नेतृत्व में पदयात्रा किया, इस पदयात्रा में किसानों महिलाओं, युवा, आदिवासीयों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। यात्रा का समापन 08 अक्टूबर 2022 बस स्टेण्ड छिन्दवाड़ा में रखा गया। मुख्य अतिथि के तौर पर किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डाॅ. सुनीलम्जी ने किया। 31 गांव के लोगों ने बढ़ चढ़कर यात्रा का समापन समारोह में भाग लिया तथा जिलाधीश छिन्दवाड़ा के माध्यम से ज्ञापन मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय में भेजने का आग्रह किया। 01 अक्टूबर 2022 से 08 अक्टूबर 2022 तक नफरत छोड़ों संविधान बचाओं यात्रा भी की गई। 31 गांव में सर्वे फार्म का वितरण किया गया, जिसमें प्रभावित किसान अपनी सम्पूर्ण जानकारी तथा अपने गांव की जानकारी भरकर दे रहा हैं जो मध्यप्रदेश सरकार के जवाब के पश्चात् उच्चतम् न्यायालय के न्यायमूर्ति के समक्ष प्रस्तुत किया जावेगा।
अनुसूचित क्षेत्र पर पंचायत विस्तार अधिनियम 1996 पैसा कानून तथा वन अधिकार कानून 2006 तथा पुनर्वास नीति 2002 जो विशेषतौर पर पेंच व्यपवर्तन परियोजना के लिये बनाई गई है, प्रशिक्षण शिविर कराकर उनके बीच में विषय की समझ बढ़े इसलिए 31 गांव के लोगों के साथ प्रशिक्षण का कार्यक्रम किया। पहला प्रशिक्षण शिविर 29, 30, 31 अक्टूबर 2022 को डूब प्रभावित ग्राम धनौरा में किया 10, 11, 12 नवम्बर 2022 को ग्राम ककई तथा तीसरा प्रशिक्षण शिविर 01, 02, 03 दिसम्बर 2022 को डूब प्रभावित गांव भूला पुनर्वास केन्द्र में किया। प्रशिक्षण शिविर में आदिवासीयों को पैसा कानून के तहत किस तरीके से अपनी वन उपज बेचने का अधिकार है, यह समझाया आदिवासी गरीब नही है उसके पास प्रकृति की अपार सम्पदा है वन उपज को बेचने का अधिकार अब उन्हें मिल गया है यह समझने के बाद उनके अन्दर अपनी वन उपज बेचने की एक नई उमंग दिखाई दी।
श्रुति के साथ मिलकर भारत के संविधान को लेकर प्रशिक्षण शिवर में भाग लिया। भारत के संविधान की उद्देशिका में हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण  प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी धर्मनिपेक्षय लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए जैसे शब्दों का अर्थ समझा, भारत के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता शब्दों का विशलेषण तथा भारत के लोगों को यह सारी चींजें कैसे मिले इसका प्रशिक्षण लिया। 11 मार्च से 14 मार्च 2022 तक नागपुर में देश भर के साथियों के साथ भारत के संविधान की उद्देशिका को लेकर देश भर के क्रांतिकारी साथी एकत्रित हुए और उद्देशिका देश के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक कैसे पहुँचे ? इस पर कार्यक्रम की रूप रेखा बनाई। देहरादून में साथी मिलन के कार्यक्रम में देश में चलने वाले आन्दोलनों को समझा तथा 2023 में श्रुति के 40 वर्ष पूर्ण होने पर अपने अपने क्षेत्रों  में हुए संघर्ष की गाथा तैयार करने में जुट गए। 21 एवं 22 दिसम्बर 2022 को हैदराबाद में पैसा कानून तथा वन अधिकार के कानून को जमीन पर कैसे उतारा जाए इसको समझा तथा गढ़चिरौली में ग्राम सभा ने किस तरीके से वन उपज को बाजार में बेचकर आदिवासीयों की माली हालत को सुधारने के संबंध में अपनी समझ बढ़ाई। 25 दिसम्बर 2022 को किसान संघर्ष समिति के 26वाॅ स्थापना दिवस का कार्यक्रम भूला पुनर्वास केन्द्र में सम्पन्न हुआ, जिसमें किसान संघर्ष समिति की सदस्यता बढ़ाने तथा किसानों के हक में काम करने की शपथ ली गई। किसान संघर्ष समिति का स्थापना दिवस अलग अलग गांव में 31 दिसम्बर 2022 तक मनाने का तय किया गया ताकि प्रत्येक गांव के युवा, किसान, महिलाऐं  किसान संघर्ष समिति के कार्य को समझ सकें।
कर्जा मुक्ति पूरा दाम की मांग किसान संघर्ष समिति स्थापना दिवस से ही मांग कर रही है। संयुक्त मोर्चे के साथ मिलकर इंदौर कृषि उपज मंण्डी में सुश्री मेधा पाटकर जी के नेतृत्व में किसान सम्मेलन में उपस्थित रही विशेष तौर पर फूलों की बिक्री समर्थन मूल्य पर की जाए की मांग रखी गई। पूरे प्रदेश में मेंहगे दाम पर लेसुन खरीदकर बोया गया किन्तु जब फसल आई तो उसकी खरीदी करने वाला नही मिलने पर किसान सड़कों पर लेसुन बेचने पर मजबूर हुआ, इसे देखते हुए प्रदेश के किसानों ने मांग रखी की केरल की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार भी सब्जीयों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाये का कानून बनाये।
रक्षा बन्धन पर इकलोते भाई आनंद भार्गव को राखी बान्धने भोपाल गई भाई बहनों ने मिलकर खूब रक्षा बन्धन का त्यौहार का मजा लिया। छिन्दवाड़ा से ही मामा की बेटी की शादी थी सम्पूर्ण मामा परिवार छिन्दवाड़ा आया और परिवार के साथ शादी के महोत्सव को मनाया। पिता की मृत्यु के पश्चात् खानदानी भूमि पर भाई आन्नद, आराधना, साधना, प्रार्थना तथा उपासना के नाम सम्पत्ति पर चढ़वाने हेतु पैतिृक गांव बोहानी गई। गाडरवाड़ा तहसील कार्यलय में नयाब तहसीलदार के पद पर छिन्दवाड़ा की बिटिया कि नियुक्ति है उसे देखकर मन प्रसन्न हुआ। नए वर्ष का पर्व 31 दिसम्बर की रात्रि जहाँ में निवास करती हूँ वर्धमान सिटी के परिवार के साथ रात्रि 12 बजे तक वर्धमान परिवार सदस्यों के साथ बिताया।
घर, होटल, हवाई जहाज, मामा तथा चाचा के घर में स्वादिस्ट भोजन का स्वाद चखा किन्तु कभी ना भूलने वाला स्वाद का भोजन मोहगांव के सरपंच के घर पर बने चने की भाजी का स्वाद मैं कभी नही भूल पांऊगी। आरक्षण के कारण मोहगांव की सीट आदिवासी सरपंच के लिए आरक्षित थी और मोहगांव के लोगों ने ऐसे सरपंच को चुना जो जनता के अधिकार की लाड़ाई लड़ने के लिए 24 घण्टे तत्पर रहता है। किसन संघर्ष समिति को अपने अंग का हिस्सा मानता है तथा कार्यकर्ताओं से हमें कहता है किसान संघर्ष समिति अपनी है इसके लिए अपने को ही काम करना पढ़ेगा। सर्वे फार्म घर घर जा कर भरवाने का काम सरपंच महोदय कर रहे हैं ऐसे सरपंच को मैं सलाम करती हूँ।
अडानी पाॅवर प्लाॅट या पेंच व्यपवर्तन परियोजना से प्रभावित किसानों के पक्ष में किसान संघर्ष समिति काम कर रही है। एड. आराधना भार्गव, सुश्री मेधा पाटकरजी  तथा प्रभावित किसानों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ याचिका दायर की है जिसमें मध्यप्रदेश सरकार को जवाब देना है, लड़ाई भी मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ है, किन्तु मेरी समझ से परे है कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत करने वाली जानकारी देने के लिए मना कर रही है इससे ज्यादा दुखद पिछले साल की कोई घटना मेरे लिए नही रही। इसी तरह का आभाव राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी महसूस किया, जब तक कांग्रेस देश के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति तथा अलग अलग संगठनों को जोड़कर एक जुट करने का प्रयास नही करेगी तब तक पूँजीपति के ईशारे पर देश की सम्पदा को बेचने, बेरोजगारों का ध्यान हटाने वाली हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई को आगे करने वाली सरकार से मुक्ति मिलना असम्भव दिखाई देता है। पिछले वर्ष में महिला हिंसा, ने तो कलेजे को झंझकोर कर रख दिया ऐसा लगता है जैसे महिला का शरीर, शरीर नही लकड़ी का टुकड़ा हो इलेक्ट्रिक आरी से कटना और फ्रिज में रखना और टुकड़े टुकड़े निकालकर कर जंगल में फेंकना एक फैसन बन गया। अपराधी तो अपराधी होता है कोई व्यक्ति इतना निर्दई कैसे हो गया ? इस पर खोज ना कराके सरकार इस मामले को हिन्दू और मुस्लिम की लड़ाई की तरफ ढकेल रहा है, एक हिन्दू ब्राम्हण लड़के ने अपनी बड़ी माँ के शरीर के टुकड़े इलेक्ट्रिक आरी से काट कर जंगल में फैंके, इस पर सरकार मौन रही किन्तु श्रद्धा को मार कर टुकड़े करने वाला मुस्लिम था इस करण उसे तूल देते हुए सरकार दिखाई दी। इस प्रकार जीवन के खट्टे और मीटे अनुभव के साथ 2022 गुजर गया।
गांधी जी का दिया गया सूत्र चलों गांव की ओर के पद चिन्हों पर चलती किसान संघर्ष समिति गांव में रोजगार उपलब्ध कराने, तथा गांव किसानी और किसान को बचाने की और अपना कदम बढ़ा चुकी है नया साल किसान किसानी और गांव बच सके यह हम सब का प्रयास हो इन्ही शुभकामनाओं को साथ नया साल आप सब के लिए मंगलमय हो।
एड. आराधना भार्गव
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