बड़े उद्यौगों को टेक्स में छूट ना देकर लघु, मध्यम उद्यौगों तथा किसानों को राहत देने पर देश में आठ गुना नौकरी के अवसर प्राप्त होंगे। -एड. आराधना भार्गव


पिछले 5 वषों में 7 प्रमुख सेक्टरों में 3.64 करोड़ लोग बेरोजगार हुए। भारत में हर साल 1.2 करोड़ नए लोग रोजगार के बाजार में खड़े हो जाते है। युवा भारत की यह एक डरावनी तस्वीर पेश करता है। और यही कारण है कि युवा अपने हाथ में बन्दुक तानने को तैयार है और हमारे देश के कर्णधार उन्हें बन्दुक चलाने के लिये उक्सा भी रहे है। हमारी सरकारें पूँजीपतियों के हाथ की कठपुतली बन चुके है। किसानों को खेतों में सिंचाई पहुँचाने के नाम पर वल्र्ड बैंक जैसी संस्थाओं से कर्ज तो लेते है और उस कर्ज की वसूली टेक्स के माध्यम से भारत के आम नागरिकों से की जाती है किन्तु बाँध का पानी थर्मल पाॅवर, कार उद्यौग ऐसे पूँजी पतियों को दिया जाता है। मैं थर्मल पाॅवर या कार उद्यौग या अन्य उद्यौगों को पानी उपलब्ध ना कराया जाय यह कहना नही चहाती, किन्तु यह कहना अवश्य चहाती हूँ कि ये उद्यौग अपने बलबूते पर जमीन खरीदे खुद की पूँजी लगाकर पानी का पैदावार करें तथा खुद के बूते पर बिजली की पैदावार करें। जनता की पूँजी, जल, जंगल, जमीन जिसका मालिक इस देश का नागरिक है सरकार के माध्यम से पूँजीपतियों को उपलब्ध कराना बन्द करें। देश में अब पूँजीपति को छूट और किसानों की लूट नही चलेगी।
अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग भारत के विकास को लेकर बहुत आशानवित नही है सामान्य जनता में एक भ्रम की कि स्थिति है। हो सकता है ग्रामीण यह समझ नही पा राह हो कि जीडीपी की ग्रोथ का उसकी जिन्दगी से कितना सीधा संबंध है। लेकिन दैनिक जीवन की उपयोगी चीजों की खुर्दा कीमतों में वृद्धि से उसकी स्थिति बत्तर हो रही है। बेटे बेटियों की नौकरी चले जाने या जवान, इंजिनियर बेटे बेटियों को नौकरी न मिलने का डर उसे सता रहा है। बजट में कम्पनीयों को टेक्स में छूट देने का दबाव बढ़ रहा है। लेकिन लम्बे अनुभव के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि ऐसी छूट से कुछ दिन के लिये सेंसेक्स भले हि उछाल मारे पर इससे उद्यौग का विस्तार होता है और न हि इससे रोजगार के अवसर बढ़ते है, बल्कि इसके विपरीत किसानों को वा सामान्य वर्ग को राहत मिलती है तो इससे देश की अबादी में दो तिहाई मध्यम व निम्न-मध्यम  वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ती है। परिणाम स्वरूप सूक्ष्म, लघु  व मध्यम उद्योग को काम मिलता है, जिससे रोजगार तुरंत बढ़ने लगता है। रोजगार पाने वाले लोग भी उपभोग कि वस्तु खरीदने लगते है। वर्तमान में अर्थिक संकट से निकलने का सबसे सरल रास्ता यही है। मैं आशा करती हूँ कि हमारे विद्वान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बड़े उद्यौग के मुकाबले में एमएसएमई सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देंगी ताकि आठ गुना नौकरिया पैदा हो सके। मैं यह भी आशा करती हूँ कि वर्तमान सरकार आगामी बजट में किसानों और मध्यवर्ग के लिये राहत पहुँचायेगी।

 

Share:


Related Articles


Leave a Comment