ट्विटर पर ABVP से NSUI बहुत आगे, NSUI नेता रवि परमार ने ट्वीट कर किया दावा

पोस्टर वॉर ने बताई MP में NSUI की ताकत, सोशल मीडिया पर भी NSUI से मुकाबला करने में पिछड़ी ABVP

मप्र के छात्र-छात्राओं और नौजवान युवाओं के दिलों में कांग्रेस - रवि परमार

एमपी एनएसयूआई के ट्विटर पर 32,900 फॉलोअर्स हैं, जबकि ABVP के ट्विटर पर सिर्फ 12,900 फॉलोअर्स ही हैं,यानी एनएसयूआई के मुकाबले एबीवीपी के आधे फॉलोअर्स भी नहीं हैं

खबर नेशन/ Khabar Nation

भोपाल - मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच पोस्टर वॉर छिड़ी हुई है। इस पोस्टर पॉलिटिक्स से प्रदेश में एनएसयूआई की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश में बार कोड पर सियासत के बाद अब एनएसयूआई-एबीवीपी में तुलना की जा रही है।
माना जा रहा है कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के बदौलत ही पूरे प्रदेश में सीएम के विरुद्ध पोस्टर्स लगाए गए हैं ग्राउंड पर सत्ताधारी दल से लोहा लेने के साथ ही सोशल मीडिया प्रेजेंस के मामले में भी एनएसयूआई भाजपा की छात्र संगठन से काफी आगे निकल गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, एनएसयूआई नेता रवि परमार ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर बताया कि कि मध्यप्रदेश एनएसयूआई के ट्विटर पर 32, 900 फॉलोअर्स हैं, जबकि ABVP के ट्विटर पर सिर्फ 12,900 फॉलोअर्स ही हैं। यानी भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के मुकाबले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के आधे फॉलोअर्स भी नहीं हैं।

परमार ने लिखा, "MP के छात्र और नौजवानों के दिलों में कांग्रेस। सोशल मीडिया प्रेजेंस के मामले में NSUI से बहुत पीछे है ABVP । मप्र NSUI -
- 32 हज़ार 900 फ़ॉलोवर। मप्र ABVP -
- 12 हज़ार 900 फ़ॉलोवर। कमलनाथ के साथ,
मध्यप्रदेश का हाथ....।" परमार ने इसके साथ ही ट्विटर हैंडल्स के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं।

एनएसयूआई नेता रवि परमार के इस ट्वीट से साफ है कि एनएसयूआई सत्ताधारी दल से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी से काफी आगे है। एमपी एनएसयूआईके ट्विटर पर 32,900 फॉलोअर्स हैं, जबकि एबीवीपी के ट्विटर पर सिर्फ 12,900 फॉलोअर्स ही हैं। परमार ने कहा मध्यप्रदेश में छात्र छात्राओं और युवाओं के मुद्दों को लगातार संगठन उठा रहा जिससे आज हजारों छात्र-छात्राओं और नौजवान युवाओं के दिलों में कांग्रेस बसी हुई है।

परमार ने बीजेपी और एबीवीपी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जिस तरह बीजेपी कुपढों की जमात है, उसी तरह एबीवीपी छात्रों का नहीं बल्कि लंपटों की जमात है। एबीवीपी को आप कहीं छात्र हितों के लिए संघर्ष करते नहीं देखेंगे। उनका छात्रों से कोई सरोकार नहीं है। वे संगठन सिर्फ कॉलेज और विश्वविद्यालयों में गुंडागर्दी करने के लिए चला रहे हैं। सरकार इन कुकृत्यों में उन्हें संरक्षण देती है। ऐसे में कोई भी छात्र नौजवान एबीवीपी से न जुड़ना चाहते हैं और न ही ऐसे संगठनों का समर्थन करना चाहते हैं। नतीजतन खुद को दुनिया की सबसे बड़ी छात्र संगठन बताने वाली एबीवीपी आज हाशिए पर है। हमें उम्मीद है कि एनएसयूआई से जुड़कर प्रदेश के छात्र और नौजवान कांग्रेस की सरकार बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।'

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