नरेश गोदारा काम संगठन चुनाव और बॉट रहे विधायक चुनाव के टिकिट

प्रदेश कांग्रेस और इंदौर शहर के आम कांग्रेसी अनजान। आखिर क्यों ?

खबरनेशन / Khabarnation

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के भेजे गए इंदौर पर्यवेक्षक नरेश गोदारा पर संगठन के कर्मठ कार्यकर्ताओं ने मनमाफिक तरीके से काम करने के आरोप लगा डाले हैं। मंडलम  और बूथ कमेटियों का गठन करने इंदौर आए गोदारा के आगमन से प्रदेश कांग्रेस महामंत्री चन्द्रिका प्रसाद द्विवेदी खुद अनजान हैं। इंदौर शहर के कई पुराने कांग्रेसी भी गोदारा का चेहरा नहीं देख पाए हैं।

बताया जा रहा हैं कि इंदौर की एक  प्रसिद्ध होटल में राजस्थान से नरेश गोदारा को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के कुछ चुनिंदा दावेदारों ने गोदारा को अपने मोहपाश में बांध लिया हैं और मनमाफिक तरीके से बूथ कमेटियों, मंडलम और ब्लॉकों में अपने आदमी नियुक्त करने की जुगत भिड़ा ली हैं। बताया जा रहा हैं कि गोदारा संगठन के कार्य को छोड़कर मिलने जुलने वालों से आगामी चुनाव के दावेदारों को लेकर रायशुमारी कर रहे हैं। कई कार्यकर्ताओं को तो वे स्वयं आगे बढ़कर बेहतर प्रत्याशी का नाम सुझा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ चुनिंदा कांग्रेसी दिन रात बारी बारी से गोदारा की सेवा में लगे हुए हैं। जिनके इशारे पर उनके खास समर्थकों को गोदारा ने उपकृत करने की तैयारी कर ली हैं।

गोदारा के इस रवैये से नाराज कर्मठ कांग्रेसियों ने इस बात की शिकायत मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव और मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया से भी कर दी हैं।

जब इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के  संगठन मंत्री चन्द्रिका प्रसाद द्विवेदी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता इंदौर में कौन आया हैं। हो सकता हैं ए.आय.सी.सी. ने मंडलम और बूथ कमेटी के गठन के लिए किसी को भेजा हो।

सामान्यतः संगठन के कार्य से किसी भी शहर में जाने वाले नेता की जानकारी प्रदश कांग्रेस को सूचनार्थ के तौर पर दी जाती हैं। जो गोदारा ने नहीं दी हैं।इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने बताया कि गोदारा इंदौर शहर में लगभग दो माह से रूके हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 की बैठके इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के दफ्तर गांधी भवन पर हो रही हैं। बाकी क्षेत्रों में गोदारा गए हैं। ऐसी उनके पास जानकारी हैं।

आखिर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 की बैठके गांधी भवन पर क्यों..? नियमतः तो हर बूथ कमेटी और ब्लाक पर ही इनकी बैठके होना चाहिए। सीधे सीधे यह तो संगठन कार्य के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।

जब इस मामले में नरेश गोदारा से चर्ची की तो उन्होंने कहा कि शिकायत कौन कर रहा हैं.. क्यों कर रहा हैं..? यह मुझे नहीं मालूम। अभी तक में मीटिंगों के अलावा 3000 लोगों से व्यक्तिगत तौर पर विगत एक महीने में मिल चुका हूँ। ए.आई.सी.सी. द्वारा सौंपा गया कार्य अंतिम दौर में हैं। लिस्टें आ रही हैं। स्क्रूटनी के बाद तीन दिन के भीतर लिस्ट भोपाल में संगठन को सौंप दी जाएगी।

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