आखिर क्यों हटाए गए IAS अफसर मनीष सिंह?

मध्यप्रदेश के थे जनसंपर्क आयुक्त , कोई भी काम नहीं देने का क्या कारण

दिल्ली सल्तनत नाराज या शिव साधना इकबाल का खास होना वजह 

 

मोहन क्यों हुए नाराज ?

 

 

 गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation 

 

 मध्य प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त आईएएस अधिकारी मनीष सिंह को अचानक हटा दिया गया । नई सरकार के बनने या नया मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद प्रदेश के प्रमुख पदों पर काबिज आईएएस और आईपीएस अफसरों को बदले जाने की प्रथा रही है, लेकिन मनीष सिंह को जिस तरह से हटाया गया है उसे लेकर राजनीतिक, प्रशासनिक और मीडिया जगत में वजह तलाशी जा रही है । पूर्व में जनसंपर्क आयुक्त को नया काम दिए जाने की परंपरा रही है पर पहली बार किसी से सारे कामकाज छीने गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की कवायद पर एक नजर

 

आइए पहले बताते हैं कौन है मनीष सिंह?

 

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी और मिनी मुंबई के तौर पर जानी जाने वाली नगरी इंदौर को बतौर निगम आयुक्त मनीष सिंह ने स्वच्छता में नंबर वन बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। मनीष सिंह इंदौर एसडीएम , भोपाल नगर निगम आयुक्त , इंदौर विकास प्राधिकरण सीईओ, इंदौर निगम आयुक्त, एमडी एकेवीन इंदौर ,इंदौर कलेक्टर ,उज्जैन कलेक्टर एमडी मेट्रो , जनसंपर्क आयुक्त जैसे प्रमुख पदों पर काबिज रहे हैं । इस दौरान अपनी मेहनत , कड़क और प्रशासनिक रवैये के सहारे उन्होंने कई सारे आयामों को सफलतापूर्वक निपटाया है । इन पदों पर काबिज होने की एक और वजह उनका मैनेजमेंट है।  जहां मनीष सिंह बड़े अफसर और राजनीतिक आकाओं को खुश रखने में देर नहीं लगते हैं ,वहीं छोटे कर्मचारी और मातहत अफसर के साथ बदतमीजी से पेश होने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। भरी बैठक में तो कुछ मातहत अफसर त्यागपत्र तक की धमकी दे चुके हैं। वहीं इंदौर नगर निगम में एक कर्मचारी ने मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या कर ली थी।

अपनी इस कला के सहारे वे कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में पसंदीदा बने रहे क्योंकि नौकरी की शुरुआत कांग्रेस शासन काल में हुई थी । कांग्रेस नेताओं का सहयोग उन्हें अपने पिता सेवानिवृत आईएएस मोती सिंह के कांग्रेस नेताओं से मधुर संबंध के कारण मिलता रहा। बता दे मोती सिंह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के खास अफसर में शुमार होते थे और जब भोपाल गैस त्रासदी हुई तब मोती सिंह भोपाल कलेक्टर हुआ करते थे ।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का वरद हस्त पाकर इंदौर कलेक्टर रहते हुए भाजपा के प्रमुख नेता कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला एवं तत्कालीन समकालीन नेताओं को नीचा दिखाने में मनीष सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । इसी प्रकार उज्जैन कलेक्टर के कार्यकाल में भाजपा के कई प्रमुख नेता मनीष सिंह के निशाने पर रहे। जिसके चलते दिल्ली में मनीष सिंह के रवैए को लेकर काफी शिकायतें की गई । पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और शिवराज की धर्मपत्नी साधना सिंह एवं तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के संरक्षण की बदौलत उन्हें प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती रही।  संभवत शिव साधना और इकबाल का खास होना उन्हें हटाए जाने का एक कारण भी हो सकता है। 

 

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह भी रहे परेशान 

 

मनीष सिंह के पहले जनसंपर्क आयुक्त के राघवेन्द्र सिंह थे। जो वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के प्रमुख सचिव हैं। जब राघवेन्द्र जनसंपर्क आयुक्त थे तब उन्होंने तत्कालीन शिवराज सरकार की छवि निखारने को लेकर कुछ बेहतर कदम उठाए थे। इन कदमों के तहत कुछ नवाचार किए थे। जिन्हें आते से ही मनीष सिंह ने बंद करवा दिया। इसी दौरान सरकार की छवि निखारने को लेकर किए गए राघवेन्द्र सिंह के कुछ कमिटमेंट को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। जिसको लेकर राघवेन्द्र काफी परेशान रहे।

दिल्ली सल्तनत की नाराजगी 

 

मनीष सिंह के जनसंपर्क आयुक्त रहने के दौरान दिल्ली सल्तनत ज्यादा नाराज नजर आई।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर एक कैंपेन डिजाइन किया था।  जिसे डिजाइन करने वाली कंपनी के भुगतान एवं कार्यदेश जारी करने के दौरान मनीष सिंह ने अवांछित मांगे रख दी । इसके बाद उनकी शिकायत दिल्ली दरबार में की गई। बताया जा रहा है की दिल्ली के कुछ केंद्रीय आला नेताओं ने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख पदाधिकारी ने मनीष सिंह के रवैए और भ्रष्ट्र आचरणों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को इन जैसे अधिकारियों से बचने की सलाह दी हैं। इसी के साथ ही हाल ही में जब शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो मीडिया में शिवराज की भूमिका बनाए रखने को लेकर भी जनसंपर्क आयुक्त रहते हुए मनीष सिंह की कार्यशैली एक प्रमुख कारण बनकर सामने आई।

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