हाईकोर्ट की आड़ में वरिष्ठ आय ए एस अफसरों पर दादागिरी
कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या कर,स्वयंभू प्रक्रिया से बन बैठा अलंबरदार
गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन
वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा द्वारा मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आय ए एस अफसरों पर हाईकोर्ट की आड़ में जमकर दादागिरी की जा रही है। आईएएस अफ़सर दूर से देख रहे हैं।हाल ही में स्थापित शासकीय प्रक्रिया के खिलाफ न्यायालयीन शरण लेकर पक्ष में आधा-अधूरा फैसला आने के बाद इंदौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक ने कोर्ट के आदेश को धता बताते हुए मनमानी शासकीय प्रक्रिया अपना ली।
मामला कुछ इस तरह है। मध्यप्रदेश के इंदौर महानगर में शासकीय राजस्व एवं प्रक्रिया के सुचारू रूप से संचालन हेतु जिला पंजीयक के चार पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें सबसे वरिष्ठ जिला पंजीयक के पद पर वरिष्ठता पदक्रम सूची में शामिल वरिष्ठतम जिला पंजीयक को वरिष्ठ जिला पंजीयक का प्रभार दिए जाने का नियम है। इंदौर में पूर्व से पदस्थ वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा के स्थान पर शासन के निर्देश पर वरिष्ठतम जिला पंजीयक अमरेश नायडू को वरिष्ठ जिला पंजीयक,इंदौर का प्रभार दिया गया था। शासन के इस निर्णय के खिलाफ दीपक शर्मा उच्च न्यायालय चले गए। उच्च न्यायालय में माननीय न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने शासकीय प्रक्रिया को उचित मानते हुए जिला पंजीयक की वरिष्ठता सात दिन के भीतर तय करने के निर्देश महानिरीक्षक पंजीयन एम सेल्वेंद्रम को दिए थे। इस फैसले को लेकर पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक एम सेल्वेंद्रम ने अमरेश नायडू को वरिष्ठ जिला पंजीयक इंदौर बनाए रखने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ दीपक शर्मा ने युगलपीठ के समक्ष रिट अपील दायर कर दी। माननीय न्यायाधीशो की युगल पीठ ने आदेशित किया कि पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक के स्थान पर प्रमुख सचिव (वाणिज्यिक कर)
इस संबंध में उचित आदेश ज़ारी करें।
इस फैसले के तत्काल बाद माननीय उच्च न्यायालय के इन निर्देशों को धता बताते हुए, मनमानी व्याख्या कर दीपक शर्मा ने हाईकोर्ट के युगलपीठ के आदेश को अपने हित में मानते हुए आदेश की प्रति शासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रदेश के कई शासकीय सेवकों को भेज दी। सूत्रों के अनुसार इस आदेश को उन्होंने स्वयं एवं अपने मित्रों के माध्यम से सोशल मीडिया पर भी वायरल किया ।
इस प्रक्रिया के बाद दीपक शर्मा यहीं नहीं रुके । उन्होंने शासन द्वारा वरिष्ठता तय किए जाने और वरिष्ठ जिला पंजीयक के संबंध में प्रमुख सचिव (वाणिज्यिक कर) के स्पष्ट आदेश जारी होने के पूर्व ही स्वयं को स्वयं-भू वरिष्ठ जिला पंजीयक घोषित करते हुए कार्य विभाजन आदेश जारी कर दिया उक्त कार्य विभाजन आदेश को दीपक शर्मा ने ना कलेक्टर से अनुमोदित कराया ना ही हाई कोर्ट के आदेश का ही कोई लिहाज़ रखा बस खुद को न्यायालय व शासन से भी ऊपर मानते हुए काग़ज़ में अपने आप को वरिष्ठ जिला पंजीयक घोषित कर वरिष्ठ जिला पंजीयक के सभी काम अपने पास रख लिए और ख़ुद कार्यालय प्रमुख भी बन गए ।