कारम डेम निर्माण घोटाले में शामिल जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव, कलेक्टर धार से लेकर संबंधित इंजीनियरों और ठेकेदार के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज हो

खबर नेशन / Khabar Nation

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि इस्तीफा दें 

तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ और जल संसाधन मंत्री भी वस्तुस्थिति रख जनता को जवाब दें 

मध्य प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की सुरक्षा की दृष्टि से कारम मध्य सिंचाई परियोजना कोठीदा डैम निर्माण घोटाले में शामिल रहे जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव, कलेक्टर धार एवं विभागीय इंजीनियरों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। कारम डैम निर्माण में हो रही गड़बड़ियों को शुरू से उजागर करते रहे मुकेश सोलंकी ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री और जल साधन मंत्रियों को भी जानकारी रहने के बाद कर्तव्य परायणता में लापरवाही बरतने का दोषी माना है । इसलिए इन्हें भी अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए और जनता से माफी मांगना चाहिए ।

मेरा आरोप है कि मध्य प्रदेश में अरबों रुपए के बांध निर्माण और जल संसाधन विभाग की परियोजनाएं अनुभवहीन अधिकारियों और इंजीनियरों के हवाले हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण कारम डैम का घोटाला है ।

कारम डैम मामले में मेरा स्पष्ट आरोप है कि जल संसाधन विभाग के मैनुअल अनुसार अपर मुख्य सचिव, ईएनसी प्रमुख अभियंता और कार्यपालन यंत्री ने काम नहीं किया है और ना ही निर्माणाधीन बांध का निरीक्षण किया है। समय -समय पर स्थानीय ग्राम वासियों सहित स्वयं मैंने उक्त सभी अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत की हैं उन शिकायतों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया । 

नियमत: निर्माणाधीन बांध पर लागत अनुसार जल संसाधन विभाग की ओर से मैकेनिकल इंजीनियर , बिलिंग इंजीनियर मेन साइट पर फाउंडेशन इंजीनियर, अर्थ वर्क इंजीनियर, शटरिंग एवं स्टील इंजीनियर, कांक्रीट इंजीनियर और क्वालिटी कंट्रोल मॉनिटरिंग इंजीनियर सहित इस प्रोजेक्ट के लिए विशेष तौर पर एस डी ओ एक अतिरिक्त एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अप्वॉइंट करना चाहिए था।  इनकी योग्यता डेम के निर्माण का अनुभव को लेकर भी होना चाहिए थी । इसी के साथ ही इसी अनुपात में बांध निर्माणाधीन कंपनी के अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाना थी । 

मेरी मांग है कि शासन विभागीय एवं संबंधित ठेकेदार द्वारा नियुक्त अधिकारियों एवं इंजीनियरों की सूची सार्वजनिक करे।

इन अधिकारियों द्वारा बांध निर्माण कार्य के मेजरमेंट प्रमाण पत्रों का सूक्ष्मता पूर्वक परीक्षण किया जाना चाहिए और दोषी पाए जाने पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। 50 करोड़ के ऊपर के प्रोजेक्ट के लिए ईएनसी को हर माह अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव को साल में एक बार प्रोजेक्ट स्थल का निरीक्षण करना चाहिए। इन की निरीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक कर उच्च स्तरीय जांच भी करवाई जाना चाहिए। बांध निर्माण के दौरान स्वाइल टेस्ट, निर्माण कार्य की कोट कटिंग टेस्ट, पडल टेस्ट,काम्पेक्शन टेस्ट की हर लेबल की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए उच्च स्तरीय जांच की जाना चाहिए।  इस मामले में संबंधित अधिकारियों की मोबाइल की काल डिटेल भी सार्वजनिक की जाना चाहिए। 

कारम डैम के जल भराव की अनुमति कलेक्टर धार को देना थी। अनुमति का आधार क्या था और अगर कलेक्टर धार ने जल भराव की अनुमति नहीं दी तो फिर बांध कैसे भर गया ?

इस कारम डैम निर्माण में गड़बड़ियों को लेकर शिकायतें स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक की गई ।जनहितार्थ चलाई जा रही सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों को अधिकारियों की सांठगांठ से बंद करा दिया गया। 

अगर समय समय पर बांध स्थल का निरीक्षण होता रहता तो शासन को इतनी बड़ी आर्थिक हानि नहीं उठाना पड़ती। यह तो भगवान का शुक्र है कि पहली बारिश में ही रिसाव सामने आ गया, वह भी तब जब बांध पूर्ण रूप से बन नहीं पाया। जबकि बांध की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष होती है, अगर भविष्य में कोई घटना घटित होती तो बहुत बड़ी जन हानि हो सकती थी।

 

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